केवल एक करोड़ से निर्दोष की हत्या से निर्दोष?

अम्बा चरण वशिष्ठ

टाइम्स आफ इण्डिया ने आज ही अपने इन्टरनेट संस्करण में समाचार छापा है कि इताल्वी जहाज़ के जिन दो नाविकों ने केरल के दो निर्दोष मछुआरों को गोली से उड़ा दिया था, उन्होंने अदालत के बाहर एक समझौता कर लिया है जिसके अनुसार मृतकों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपया मुआवज़ा मिलेगा। अपराधी यह राशि अदा कर देने पर निर्दोष करार हो जायेंगे और जेल से आज़ाद। समाचार के अनुसार इस समझौते की प्रति अदालत में आज शुक्रवार 20 अप्रैल को पेश कर दी जायेगी और फिर अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा होगी। हो सकता है कि केरल सरकार इस समझौते का विरोध न करे और इन इतालवी नागरिकों की रिहाई में कोई रोड़ा न अटकाये। चलो, यह तो बाद की बात है और पता चल ही जायेगा। स्मरणीय है कि इस मामले में इटली सरकार ने भारत सरकार पर काफी दबाव डाला था और कानून का हवाला देकर तर्क दी थी कि इन अपराधियों पर इटली के कानून के अनुसार इटली में ही मुकद्दमा चलाया जायेगा। पर तब केरल सरकार न मानी थी। इटली के प्रधान मन्त्री ने तो फोन पर हमारे प्रधान मन्त्री डा0 मनमोहन सिंह को तो धमकी तक दे डाली थी और परस्पर सम्बन्धों की दुहाई देकर इस आपराधिक मामले को सुलझाने का अनुरोध भी किया था। अब यह पता नहीं कि क्या भाईचारे के भाव से इस मामले को सुलझाने की कड़ी में यह एक कदम है ?

इसमें कोई शक की बात नहीं कि न्या़यालय तो न्याचय ही करेगा। राजनीति तो सरकार को करनी है।

पर इस समाचार ने जनता के मन में एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है। दो-तीन घंटों में ही प्रतिष्ठित दैनिक के इन्टरनेट संस्करण पर लगभग चार सौ प्रतिक्रियां लग चुकी हैं और बहुत सी अदालत के बाहर इस समझौते के विरोध में हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि यह सरासर हत्या का मामला है। क्योंक हुई, किन परिस्थियों में हुई — यह तो जब मुकददमें की सुनवाई होगी, गवाह बोलेंगे, तभी पता चलेगा। पर अदालत के बाहर इस समझौते को यदि मान्यहता मिल गई और ये विदेशी नागरिक छोड़ दिये गये तो देश के भीतर हो रही हत्याओं व हमारी समुद्री सीमाओं पर लगभग प्रतिदिन की जा रही हमारे मछुआरों के पकड़े जाने और हत्याओं के मामलों पर यह अवश्य अमिट छाप छोड़ जायेगी।

अपने पड़ोसी देश श्रीलंका के साथ हमारे निर्दोष मछुआरों की हत्या पर आगे ही हमारा विवाद चल रहा है। तमिलनाडू सरकार व डीएमके आगे ही मनमोहन सरकार पर श्रीलंका सरकार के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये दबाव डाल रही हैं। हमारे सांसदों का एक शिष्‍टमंडल पिछले सप्ताह ही श्रीलंका के दौरे पर गया था पर तमिलनाडू के सांसदों ने इसका बहिष्कार किया। हमारे ऐसे ही विवाद अन्य पड़ोसी देशों पाकिस्तान व बांग्लादेश से भी हैं। तो इताल्वी नाविकों के मामले में जो भी न्यायिक निर्णय होता है वह सारे ही देशों के लिये उदाहरण बन कर रह जायेगा। इस प्रकार हमारे निर्दोष भाइयों के सभी हत्यारे एक करोड़ या इससे कम या ज्यादा की राशि देकर छूट सकते हैं।

इस प्रकार यह तो हमारी न्याय संहिता में एक नया अध्याय बन कर रह जायेगा। कल को तो कसाब भी 26/11 में मारे गये निर्दोष नागरिकों के परिजनों से अदालत से बाहर समझौता कर मुंहमांगी रकम देकर फांसी के फन्दे से छूट सकता है। यही अफज़ल गुरू कर सकता है। बात यहीं समाप्त नहीं होगी। देश में हर हत्यारा यही हथकण्डा अपना कर हमारी न्यायसंहिता की खिल्ली उड़ा सकेगा।

1 COMMENT

  1. कांग्रेसी, मुस्लिम और काले अँगरेज़ ( पाश्चात्य संस्कृति में रंगे और शिक्षा प्राप्त छद्म भारतीय ) और अकूत पैसे वाले / बदमाश अपराधी तो यह चाहते ही हैं की कानून का इस्लामीकरण ही न हो जाये बल्कि हर तरह से देश इस्लामिक हो जाए और भारतीय सनातन संस्कृति और विधि – कानून की धज्जियाँ उडती रहें …..
    यह आप देखना कि जरूर ही अदालत पर भी कांग्रेसी दबाव बनाया जायेगा, क्यूँ कि इतालवी सोनिया राहुल की भी यही आतंरिक और उत्कट कामना रहेगी कि माँ / नानी के देश के, हमारे गरीब मछुवारों के हत्यारे, निवासी येन केन प्रकारेण छूट जाएँ….. आखिर भारतीय गरीबों की जान की कीमत कीड़ों मकोड़ों की जान से जादा थोड़े ही है….. BOFORS काण्ड के संगीन और वास्तविक अपराधी ओत्त्रवियो कुअत्त्रोची को भी तो अदालत में सीबीआई द्वारा सबूत पेश न करने देकर जबरदस्ती सोनिया और उसके चमचे कान्ग्रेसिओं ने ही छुड्वाया ना….. सब को पता है कि असली अपराधी तो राजीव गाँधी था , हालाँकि उसको तो कांग्रेस ने ‘भारत रत्न’ से नवाज़ दिया… ऐसा ही इस केस में भी होगा क्यूँ कि हमारे देश में कांग्रेस ने इंसानियत, सत्य और न्याय को जिन्दा दफना दिया है और यहाँ अब भी विदेशिओं का अपरोक्ष रूप से राज है …..

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