राजनीति

मुफ्त का तमाशा

-लीना

विधानसभा अध्यक्ष पर चप्पल फेंकी, कुर्सियां पटकीं, एक दूसरे पर हमला किया, मार्शल पर गमला दे मारा, पिछले कई दिनों से मीडिया पर बिहार विधानमंडल का यह तमाशा-माननीय विधायकों की जूतम पैजार खूब देखने को मिल रहा है। और कैमरा को देख-देख कर विधायकों ने भी तमाशा तहेदिल से और अधिक उत्साह से दिखाया। आखिर ऐसा मौका बार बार हाथ थोडे़ ही न आता है कि जनता के सामने अपने दुख दर्द इतनी साफ-साफ दिखा सकें। सो जमकर हंगामा बरपाया। यही नहीं शहीदों की तरह गर्व से अपने चोट कैमरे की नजर किये! बेहोशी के नाटक भी हुए, मगर उसके पहले कैमरों की ओर नजर जरूर गयी मार्शलों द्वारा टांग कर बाहर किये जाते हुए भी कैमरों के सामने एक सधे हुए अभिनेता की तरह पोज देना नहीं भूले।

कहने का मतलब यह है कि बिहार में कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर पटना उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई से जांच के निर्देश के बाद उठे राजनीतिक बवाल के इस मामले को खूब भुनाया नेताओं ने और मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया। वैसे इन तमाशों को मीडिया ने भी खबर दिखाने के नाम पर खूब बेचा। आखिर वे भी मुफ्त के तमाशे को बेचने का मौका भला क्यों चूकते! तभी तो जैसे की चर्चा है कि स्थानीय अखबारों के संपादक विधानमंडल के अंदर-बाहर की जीवंत तस्वीर, जो माननीयों द्वारा अपने मोबाइल पर ली गई थी, पाने के लिए विधायकों की चिरौरी करते रहे या फिर अपने कलम के सिपाहियों (रिपोर्टरों) को इस काम के लिए लगा रखा था। विधानमंडल परिसर में रात भर धरना पर रहे सोये पड़े विधायकों की तस्वीर लाने के लिए भी रात के दो-तीन बजे तक पत्रकारों-फोटोग्राफरों का हुजूम लगा रहा।

हांलाकि खबर पहुंचाना मीडिया का दायित्व बनता है। और जनता तक खबर पहुंचाने के लिए मीडिया ने वहीं किया जो उसका फर्ज बनता है आखिर जनता को पता तो चले कि कैसे बेशर्म है उनके द्वारा चुने गए माननीय प्रतिनिधिगण। हालांकि यहा मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ नेताओं ने अपनी तस्वीर दिखाने में किया। जो भी हो हर बार की तरह मीडिया का भी इस्तेमाल जमकर हुआ। पन्ना का पन्ना विधानमंडल की घटना से पटा रहा। नेता खुश कि हमारी बात जनता ने खूब सुनी, हमें देखा और मीडिया की बदौलत मशहूर हुए! लेकिन जनता को सब पता है। नेताओं का सब नाटक। एक ने दिखाया पट्टी बंधे हाथ दूसरे ने पट्टी खोल खोली उसकी पोल! मीडिया खुश मिला एक्सक्लूसिव। जनता खुश चलो राजू श्रीवास्तव की कमी नहीं खली!