बैठ ट्रेन में गधेराम जी,

 

बैठ ट्रेन में गधेराम जी,
निकले हैदराबाद को।
उनका था संगीत समागम,
आनेवाली रात को।

किंतु बर्थ के ठीक सामने,
एक आदमी बैठा था।
पल पल में तंबाकू खाता,
पल में सिगरेट पीता था।

खांस खांस कर गधेराम का,
हाल बड़ा बेहाल हुआ।
उड़ी महक तंबाकू की तो,
लुड़का और निढाल हुआ।

किंतु होश जैसे आया तो,
वह टी.टी को ले आया।
तंबाकू खाने वाले का,
सौ जुर्माना करवाया।

फिर बोला टी टी से ,भैया,
मेरी सीट बदलवा दो।
इंसानों से दूर कहीं भी,
जगह जरा सी दिलवा दो।

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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