गजल साहित्‍य

गज़ल ; मैखाने में जरा कभी आकर तो देखिये – सत्येंद्र गुप्ता

मैखाने में जरा कभी आकर तो देखिये

मैख़ाने में जरा कभी आकर तो देखिये

एक बार ज़ाम लब से लगाकर तो देखिये।

दुनिया को तुमने अपना बनाया तो है मगर

हमको भी कभी अपना बनाकर तो देखिये।

तुम हाले दिल पे मेरे हंसोगे न फिर कभी

पहले किसी से दिल को लगाकर तो देखिये।

जिसकी तुम्हे तलाश है मिल जायेगा तुम्हे

चाहत में उसकी खुद को मिटाकर तो देखिये।

फिर होश में न आओगे दावा है ये मेरा

उनकी नज़र से नज़र मिलाकर तो देखिये।