गजल:पहलू-श्यामल सुमन

2
187

मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है

जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है

 

जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर

लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है

 

हौसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया

जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है

 

ख्वाब से हटकर हकीकत की जमीं पर आओ भी

दर्द से जज्बात बनते फिर रवानी और है

 

जब सुमन को है जरूरत बागबां के प्यार की

मिल गया तो सच में उसकी मेहरबानी और है

2 COMMENTS

  1. वो कहते हैं इश्क नहीं नादानी है ये मेरी,
    नादानी तो बहुत देखीं पर ये नादानी और है

Leave a Reply to sachin Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here