गजल

गजल:देश बंटने से बचाना है ज़रा याद रहे…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

तुमको कुछ करके दिखाना है ज़रा याद रहे,

सबको इंसाफ़ दिलाना है ज़रा याद रहे।

 

बम कोई सा भी बनाओ तुम्हें पूरा हक़ है,

बम से गै़रों के बचाना है ज़रा याद रहे।

 

तुमने बोई थी जो वादों की फ़सल काट चुके,

अब अमल करके दिखाना है ज़रा याद रहे।

 

जो हैं ज़्यादा वो तुम्हारे हैं चलो मान लिया,

जो हैं कम उनको मनाना है ज़रा याद रहे।

 

तुम हो सबके तो तुम्हारे लिये सब राज़ी हैं,

अपना ये क़ौल निभाना है ज़रा याद रहे।

 

कोई भाषा कोई सूबा हो जो हक़ हो देना,

देश बंटने से बचाना है ज़रा याद रहे।

 

जो थे बुनियाद में झगड़े की बनाया था अछूत,

उन्हीं मुद्दों को भुलाना है ज़रा याद रहे।

 

तुमको रोकेंगे जो कहते थे वो सब हार गये,

तुमको भी दाग़ मिटाना है ज़रा याद रहे।।

 

 

नोट-क़ौलः वादा, सूबाः राज्य, हक़ः अधिकार, अमलः कार्यवाही