गज़ल / ना भूले आदमी काटेगा वो जो बोता है…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

0तमाम सर्दियों फुटपाथ पर जो सोता है,

क़सूर उसका मज़दूर होना होता है।

 

0वो एकता का मसीहा बना जो बैठा है,

वही तो मुल्क में नफरत के बीज बोता है।

 

0खुद अपने हाथ से एक हाथ काट लेता है,

जो घर को बांट के भाई को भाई खोता है।

 

0वो आदमी जो हमेशा सभी पे हंसता था,

पता चला वो अकेले में खुद पे रोता है।

 

0मैं खुद पड़ौस की खुद्दारियों का मुजरिम हूं,

मेरा पड़ौसी कई बार भूखा सोता है।

 

0जो बेटा बाप का अपने अदब नहीं करता,

ना भूले आदमी काटेगा वो जो बोता है।

 

0सफ़ाई तन की ही काफी हुआ नहीं करती,

वो ‘सोप’ चाहिये जो मन का मैल धेता है।

 

0मुखालिफों की महरबानियां भी हम देखें,

नज़र में उनकी हमारा वजूद होता है।।

 

 

नोट- मसीहाः नेता,खुद्दारीः स्वाभिमान,सोपः साबुन,वजूदः अस्तित्व

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इक़बाल हिंदुस्तानी
लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

2 COMMENTS

  1. बहुत सुन्दर|
    नोट में अर्थ देकर आपने उसकी वाचनीयता और बढ़ा दी|
    धन्यवाद

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