अच्छे दिन आने ही चाहिये…

आज देश में दशकों बाद सशक्त व सामर्थ्यशाली नेतृत्व के अभाव की समस्या के समाधान की संभावना बनने लगी है। सत्तर वर्ष पुरानी कश्मीर समस्या पर वर्तमान शासन जिस दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है उससे भारतीय समाज अत्यधिक उत्साहित व बेचैन है। मोदी-शाह-डोवाल सहित केंद्रीय मंत्री मंडल के संयुक्त नेतृत्व में देश की एकता व अखंडता को चुनौती देने वाली विभाजनकारी संवैधानिक अनुच्छेद 35 ए व 370  को हटाने का साहसिक प्रयास अत्यधिक प्रशंसनीय है।
ध्यान रहे कानूनों के पालन कराने में सशक्त व कठोर शासन व प्रशासन की भूमिका सर्वोच्च होती है और बिना कड़क हुए सफलता नहीं मिलती। अतः जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा  और वहां इस्लामिक आतंकियों का गढ़ बन रहा था तो इसको तहस-नहस करने के लिए कठोर निर्णय लेने ही चाहिये। भारत की जनता ने इसी दृष्टि से दृढ़ इच्छाशक्ति वाली मोदी सरकार को पुनः सत्ता में बैठाया है तो “अच्छे दिन आने ही चाहिये”। सम्भवतः  स्वर्ग से भी लौह पुरुष सरदार पटेल “नेहरू को कोसते होंगे” और मोदी-शाह सहित उनके समस्त साथियों को कश्मीर समस्या के समाधान करने की साहसिक पहल पर आशीर्वाद अवश्य देंगे।
आज देश का सभ्य समाज बढ़ते जिहादी अत्याचारों से भी अत्यधिक चिंतित व भयग्रस्त है तो ऐसे में इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बन चुके कश्मीर पर सकारात्मक आक्रमक अभियान देशहित में आवश्यक हो गया था। अतः अब जिस प्रकार अपनी गुप्त योजनाओं के साथ वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व आगे बढ़ कर सक्रिय हुआ है तो देशवासियों की बाहें भी फड़कने लगी है। वे पलकें बिछाये किसी भी आह्वान की प्रतीक्षा में तत्परता से तैयार हो रहे है।
ऐसे में देशभक्ति से अभिभूत जन-जन अपनी अपनी सामर्थ्य से इस अभियान में भागीदार बनना चाहता है। उसमें वे चाहे तन,मन, धन व गन कुछ भी हो वे इस राष्ट्रीय यज्ञ में आहुति देने को तैयार है।
इन निर्णयों से सारे देशद्रोही व जिहादी अब परेशान हो रहें हैं। हम सबको सतर्क रहना होगा। सभी भारतभक्त मोदी सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े हैं। ऐसे सभी तत्वों को जो इन निर्णयों का विरोध करते हो उन्हें अब बन्दीगृहों में डालना होगा। ध्यान रहे कि अब्दुल्ला व मुफ़्ती परिवारों ने जम्मू-कश्मीर को भारत की मुख्य धारा से जुड़ने ही नहीं दिया और इनकी अलगाववादियों व आतंकवादियों के प्रति सहानभूति होने के कारण कश्मीर घाटी पूरे देश में इस्लामिक आतंकवाद फैलाने का केंद्र बना हुआ है। कश्मीर घाटी के हिन्दुओं को अमानवीय अत्याचारों से लहूलुहान करके वहां से भागने के लिए विवश करने वाले इन कुछ कश्मीर के राजनैतिक ठेकेदारों को अब अपने पाप याद आ रहें हैं। सन् 1947 से कश्मीर का इतिहास देखा जाय तो हिन्दुओं पर हुए इनके अत्याचारों की गाथाएं भरी पड़ीं है। आज जब केंद्र द्वारा उन संवैधानिक प्रावधानों को जिनसे ये नेतागण व कुछ इनके सहयोगी वहां की जनता को लूटने के साथ उन पर निरंकुश शासन करते आ रहे थे, के समाप्त होने से इन्हें खौफ लगने लगा है।
आज उन लाखों हिन्दुओं के लिए ऐतिहासिक विजय का पर्व है जो 1947 में देश विभाजन के समय पश्चिमी पाकिस्तान से लूट पिट कर जम्मू-कश्मीर में शरणार्थी बन कर आये थे। उनके मौलिक व नागरिक अधिकारों को भी शेख अब्दुल्ला ने अपनी कुटिल चालों से 70 वर्षों से नारकीय जीवन जीने को उन्हें विवश कर दिया था। पिछले लगभग 30 वर्षो से अपने ही देश में विस्थापित जीवन जीने वाले उन लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को भी अब आशा जगेगी कि वह भी अपनी छिन चुकी सम्पत्ति को प्राप्त कर सकेंगे और एक सुरक्षित व सम्मानित जीवन जी सकेंगे। उनकी घटती संख्या से उनके वंश के ही नष्ट होने की संभावना समाप्त होगी। इसलिये कश्मीर को नर्क बनाने वाले अनुच्छेदों को हटाने पर शासन के साहसिक निर्णय का भारत भक्त आज दिवाली मना कर स्वागत कर रहें है। स्वतंत्र भारत में सम्भवतः सन् 1947 के स्वतंत्रता दिवस एवम 2014 व 2019 में हुई चुनावी विजय के उपरान्त आज चारों ओर सार्वधिक प्रसन्नता का दिवस मनाया जा रहा है। आज अनुच्छेद 35 ए व 370 की बड़ी षडयन्त्रकारी संवैधानिक भूल को सुधार करने के निर्णय का विरोध करने वाले देशद्रोहियों को पहचानना सरल होगा।
क्या यह देश के साथ विश्वासघात नहीं था कि जब 1947 में पूर्ण जम्मू-कश्मीर का विलय बिना शर्त भारत के साथ हुआ तो इसमें पाकिस्तान के साथ विवाद कैसा व क्यों था? साथ ही अब यह भी सोचना होगा कि पाक ने आक्रमण करके 1947-48 में हमारे जम्मू-कश्मीर के एक तिहाई भाग पर अनधिकृत रूप से कब्जा कर लिया था,तो आज जब सारा देश शासन के साथ एकजुट है तो शत्रु के कब्जे से हमें अपना भूभाग वापस लेने के लिए आक्रमण करना अत्यंत सार्थक हो सकता है। अतः जब यह पूर्णतः स्पष्ट हो गया है कि जम्मू-कश्मीर पूर्णतः भारत का अभिन्न अंग है तो फिर इसकी समस्त समस्याओं का निदान भी भारत को अपने ही बल पर करना होगा। आज वैश्विक समुदाय भी भारत की बढ़ती हुई शक्ति से भली प्रकार परिचित हो गया है। इसलिए ऐसे सुअवसर पर पाक अधिकृत कश्मीर को स्वतंत्र कराने की सार्थक पहल होने में कोई विवाद नहीं होना चाहिये।
जब अमेरिका ने पाकिस्तान में घुस कर दुनिया का खूंखार आतंकी ओसामा-बिन-लादेन को मारा था तो क्या पाकिस्तान की संप्रभुता पर आक्रमण नही हुआ था? लेकिन किसी ने भी सशक्त अमरीका का विरोध करने का साहस नहीं किया। लेकिन हम तो अपने ही अनाधिकृत रूप से युद्ध के माध्यम से पाकिस्तान द्वारा कब्जा किये हुए क्षेत्र को ही वापस लेना चाहते है, तो ऐसे में पाकिस्तान की संप्रभुता पर कोई प्रहार नहीं होगा। ऐसे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेकर उसके विकास के लिए आवश्यक आर्थिक सहयोग के लिए राष्ट्रवादी अति उत्साहित होगा। भारत की देशभक्त जनता किसी भी आह्वान पर अपने प्रिय भारत देश के सम्पूर्ण मुकुट की रक्षा के लिए हर बलिदान देने को तैयार है।
आज केंद्र के सशक्त शासन को करोड़ों राष्ट्रवादियों का ऐतिहासिक सहयोग व समर्थन मिल रहा है। क्योंकि जन-जन को यह पता चल चुका है कि भारत है तो हम व हमारा अस्तित्व सुरक्षित रहेगा अन्यथा पाकिस्तान परस्त इस्लामिक शक्तियां तो हमारे भविष्य को अंधकारमय करने का दुःसाहस करती रहेगी। अतः भाजपानीत सरकार से ही यहीं आशा होती है कि वह समस्त राष्ट्रतोडक व अवरोधक शक्तियों एवम इस्लामिक आतंकवादियों पर कड़े प्रहार करके भारत की संप्रभुता व अखण्डता के साथ साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। अंततः प्राचीन काल में विश्वगुरु के सिंहासन पर सुशोभित होने वाली भारत माता के भक्तों के लिए “अच्छे दिन आने ही चाहिये”।

विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक)
गाज़ियाबाद

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