कविता

दादाजी अब हँस देते

खीर पुड़ी के गए जमाने,
अब दिन पिज्जा बरगर के।
लगे बताने दादाजी को,
बच्चे सारे ही घर के।

 भजिये और मुंगेडे हमको,
 बिल्कुल नहीं सुहाते हैं।
  हमको तो बस चाऊमीन्स,
  नूडल्स गरम ही भाते हैं।

हम बच्चों की फरमाइश पर,
दादाजी अब हँस देते।
पिज्जा बर्गर चाऊमीन झट,
ऑन लाइन बुक कर देते।