खेत-खलिहान शख्सियत समाज

आदिवासी किसानो के गुरु जाफर हुसैन

शैलेन्द्र सिन्हा

हम अपनो किसानो के प्रति आभारी हैं कि वे हमारे देश की खादसुरक्षा के रीढ़ हैं। हमे खाद सुरक्षा से आगे सोचना होगा और अपने किसानो को आय सुरक्षा देनी होगी इसलिए सरकार खेत और खेती के क्षेत्रो मे कार्यवाही की दिशा बदलेगी ताकि 2022 तक किसानो की आमदनी दुगनी हो जाए, कृषि और किसान कल्याण के लिए हमारा कुल आवंटन 35984 करोड़ रुपए का है। देश के वित्त मंत्री ने लोकसभा मे वर्ष 2016-17 का बजट पेश करते हुए ये कहकर किसानो के मन मे आशा की एक नयी किरण जगाई है जिन किरणो मे हमे किसानो की हालत बेहतर होते हुए दिखाई दे रही है हांलाकि इस सपने को पुरा होने मे लंबा समय लग सकता है परन्तु झारखंड की कमीशनरी  संथाल परगना मे रहने वाले किसान जाफर हुसैन ने कृषि को आधार बनाकर बहुत पहले ही अपनी स्तिथि बदल ली है जाफर ने ये सब कब और कैसे किया इस बारे मे वो कहते हैं कि – वर्ष 1991 मे जब गांव के लोग रोजगार के लिए पश्चिम बंगाल पलायन कर रहे थें तो उस समय मैने पलायन न करते हुए सब्जी की खेती करने का मन बनाया हालांकि मेरे पूर्वज किसान नही थे मुझे खेती के बारे कोई ज्ञान भी नही था जब मैने इसकी शरुआत की तो लोगो ने मेरा मजाक उड़ाया लेकिन किसी की परवाह न करते हुए मैने मेहनत की और शुरुआत मे बैगन,टमाटर,फुलगोभी और मिर्च लगाया,जब आमदनी बढ़ी तोसलादपत्ता,नींबू,पालक,प्याज,फुलगोभी,पत्तागोभी,सरसों,टमाटर,मुली,आलू,करैला, सहित कई हरे साग सब्जी की भी खेती करने लगा जिससे अब हर साल मेरी लाखो की कमाई हो जाती है। आज मै ये दावे के साथ कह सकता हुँ कि किसान से बड़ा और कोई वैज्ञानिक नही होता, किसान मौसम के अनुसार फसल लगाते हैं उन्हे खरपतवार की विशेष जानकारी होती है सुबह 6 बजे ले लेकर दिन भर खेती के काम मे लगा रहता हुँ, आर्गेनिक खेती से किसानो को अधिक लाभ है मै अपने खेत मे 10 ट्रैक्टर गोबर डालता हुँ और केचुंआ खाद का प्रयोग करता हुँ सप्ताह के 6 दिन इसी तरह गुजर जाते हैं पर शुक्रवार को मै काम नही करता जुमे की नमाज अदा करने के बाद बाकि समय परिवार के साथ बिताता हुँ । जाफर की इस तरक्की मे उनके परीवार का भी बड़ा योगदान है विशेष रुप से उनके बड़े बेटे मुस्तफा औऱ उनकी पत्नी का। इस बारे मे जाफर की पत्नी बताती हैं “पति के इस काम मे साथ देती हुँ खेतो से सब्जी काटकर घर लाना, हाट जाने के पहले सब्जी को इकट्ठा करना, जैसे काम रोज करती हुँ ताकि पति की कुछ सहायता हो जाए”। इस बारे मे जाफर के बड़े बेटे मुस्तफा बताते हैं कि “परिजनो ने मेरे पिता का साथ नही दिया फिर भी मेरे पिता ने हिम्मत नही हारी औऱ अपने काम को जारी रखा इसलिए मुझे गर्व है अपने पिता पर, मैने उर्दु मे बीए किया है लेकिन मै अपने पिता के इस काम को और आगे लेकर जाना चाहता हुँ मेरे ख्याल मे आने वाले दिनो मे सब्जी की खेती अच्छा व्यवसाय साबित हो सकती है”। सिर्फ मुस्तफा ही ऐसा नही मानते बल्कि गांव के अन्य लोग भी आज जाफर हुसैन से प्ररित होकर धान की खेती छोड़ कर सब्जी की खेती कर रहे हैं । पुरे क्षेत्र के लोग आज उन्हें सब्जीवाला किसान कहकर पुकारते हैं। जाफर हुसैन ने कई बार किसान विकास मेला में हिस्सा लिया और पुरस्कार जीता है,इस वर्ष भी उनकी सब्जी को प्रसिद्ध राजकीय जनजातीयहिजला मेला में कई पुरस्कार मिला है।वे बिना सरकारी मदद के अपने तरीके से सब्जी की खेती कर रहे हैं,उन्हें मौसम का ज्ञान है और वे मौसमी सब्जी उगाकर लाभ कमा रहे हैं।मुडभंगा पंचायत के चिरूडीह गांव के प्रधान मालिक मरांडी बताते हैं कि इस क्षेत्र मेंसब्जी की खेती जाफर ने ही शुरू की,गांव के किसान उन्हें आदर्श मानते हैं,उनसे राय लेकर ही खेती करते हैं।मुखिया सरोज हांसदा बताती हैं कि मुडभंगा गांव में आदिवासी किसान भी उनसे प्ररित होकर सब्जी की खेती कर रहे हैं।इस समय चीरूडीह गांव मेंमुस्लिम 250 परिवार हैं और 50 आदिवासी परिवार रहते हैं।जाफरसब्जी के बीज की बिक्री भी हाटों में करते हैं, औऱ अपनी तीन पहीया गाड़ी जिसे चाइना फटफटिया कहते हैं उसमे सब्जी डालकर हरएक मंडी मे जाकर सब्जियों को बेचते हैं और मुनाफा कमाते हैं ,साथ ही आदिवासी किसानों को खेती करने के तरीके भी बताते हैं। भारत जैसे देश मे जहाँ लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है ऐसी स्तिथि मे जाफर हुसैन जैसे किसान हमारे लिए किसी अनमोल धरोहर से कम नही जिनकी योग्यता को हमे न सिर्फ सलाम करना चाहिए बल्कि इसे संभाल कर भी रखना चाहिए ताकि कृषि मे होने वाले नुकसान के कारण आत्महत्या करने वाले किसानो की संख्या मे कमी आने के साथ कृषि प्रधान देश की विशेषता को बरकरार रखा जा सके।झारखंड के ऐसे गुमनाम किसान की सुध आजतक कृषि विभाग ने नहीं ली और ना किसी प्रकार की मदद की लेकिन अब समय आ गया है कि ऐसे किसानो की सहायता लेकर कृषि से उब चुके किसानो को जिंदगी का मूलभूत मंत्र सिखाया जाए ताकि प्रधानमंत्री का सबका साथ सबका विकास का सपना पुरा हो सके।