है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !

0
171

वो पल वो क्षण
हमारे नयनों का मिलन
जब था मूक मेरा जीवन
तब हुआ था तेरा आगमन
कलियों में हुआ प्रस्फुटन
भंवरों ने किया गुंजन

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरा रूप तेरा यौवन
जैसे खिला हुआ चमन
चांद सा रौशन आनन
चांदनी में नहाया बदन
झूम के बरसा सावन
फूलों में हुआ परागण

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरे पायल तेरे कंगन
कभी छन-छन कभी खन-खन
पड़ें जहां तेरे चरण
खिल जायें वहां उपवन
तू शास्त्रों का श्रवण
तू मंत्रों का उच्चारण

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरा छुअन तेरा आलिंगन
जैसे चंदन का चानन
दे कर तुझे वचन
बन गया तेरा सजन
तेरे संग लगा के लगन
तेरे प्यार में हुआ मगन

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
वो अधरों का चुंबन
हमारे सांसों का संलयन
तेरे जिस्म की तपन
मेरे तन की अगन
अजब सा छाया सम्मोहन
हम भूल गये त्रिभुवन

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !
तेरे मन का समर्पण
मेरे प्यार का पागलपन
सुनके तेरा सुमिरन
मैंने दे दी धड़कन
प्यार बन गया पूजन
बना हर गीत भजन

है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन !

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress