हसरत अब दिल में है

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नीलम ग्रेंडी

चोरसौ, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

कुछ कर गुजरने की हसरत अब दिल में है।

बन्द पिंजरे से निकलने की हसरत अब दिल में है।।

खुल कर जी ले अपनी जिंदगी  ऐ नारी।

जिंदा जज्बात हमारे भी तो दिल में है।।

खुले आसमानों में पंख फैलाए।

उड़ने की हसरत अब दिल में है।।

बहुत मुस्कुरा लिया है दूसरों की खुशी के लिए।

अब खुद के लिए मुस्कुराने की हसरत दिल में है।।

अपने घर के रोशन दिए जलते हुए देख लिए हैं।

खुद के अंदर दिए जलाने की हसरत दिल में है।।

बहुत वक्त गुजारा अंधेरी रातों में।

अब एक नई सुबह जीने की हसरत दिल में है।।

फूल समझने की भूल न करे ज़माना।

कल्पवृक्ष बन जाने की हसरत अब दिल में है।।

तेरे अरमानों के कितने रंग हैं ‘नीलम’

इन रंगों में रंग जाने की हसरत अब दिल में है।।

चरखा फीचर

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