उनके प्यार की धुप आने लगी है

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आर के रस्तोगी

उनके प्यार की धूप आने लगी है
सुबह से ही मुझको गर्माने लगी है
देखता हूँ वे पिघलती है न पिघलती
पर मेरे दिल की बर्फ पिघलने लगी है

उनकी जुल्फे अब लहराने लगी है
छत पर चढ़ कर सुखाने लगी है
देखता हूँ वे क्या कह रही है
शायद वे मुझको सिग्नल देने लगी है

उनके पैरो की पायल अब कुछ
अपनी जबान में कुछ कहने लगी है
पहनी है लाल रंग की चूडिया
इसका अर्थ समझाने लगी है

माथे की बिंदिया चमकने लगी है
सोलह सिंगार वे करने लगी है
मांग में सिन्दूर भरेगा कौन ?
उसका इंतजार वे करने लगी है

जब से उन पर पहरे लगने लगे है
कुछ सहमी सी सहमी रहने लगी है
फिर भी अपनी यादो के सहारे
दिल में प्रियतम का चित्र बनाने लगी है

जब से उनको जुल्फे लहराते देखा
हम भी बहाने से छत पर जाने लगे है
कब कैसे कहाँ मिले हम दोनों
इशारों इशारों में कुछ कहने लगे है

खुल कर बात हम कहें कैसे
कि तुमसे हम प्यार करने लगे है
सोचा यह कई बार,पर कह न सके
अपने आप में हम शर्माने लगे है

ऐसी ही होती है प्यार की शुरुआत
लोग इसको खूब समझने लगे है
प्यार करने वाले समझे न समझे
रस्तोगी तो उनको समझाने लगे है

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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