हिन्दू पर आतंकवादी छाप से अलकायदा को मदद

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-तरुण विजय

भारत के इतिहास में पहली बार एक लोकतांत्रिक भारतीय शासन के नाम पर, भारतीय इतिहास और यहाँ के हिन्दू समाज की एक बड़ी विडम्बना है कि शासन का प्रथम प्रहार हिन्दू अस्मिता और उनके गौरव स्थानों तथा संगठनों पर हो रहा है।यह स्थिति हिन्दू समाज की कमजोरी के कारण ही आयी है। आपस में लड़ना, एक दूसरे के बारे में उसी चिंतन और विद्वेष के साथ प्रहार करना जिस विद्वेष और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के साथ जय सोमनाथ उपन्यास में शिवराशी गजनी को लेकर आया था, आज हिन्दू समाज के विभिन्न संगठनों के लोगों में देखने को आता है। नतीजा यह है कि भारत विभाजित करने की त्रासदी झेलने के बाद भी हिन्दू अपनी अस्मिता और स्वाभिमान के लिए संघर्ष कर रहे दिखते हैं। यह वह भारत है जहाँ हिन्दू पूर्ण बहुमत में होने के बावजूद न तो गौ हत्या बंद करवा पाए, न ही राम जन्म भूमि पर अपने सर्वोच्च आराध्य देव का स्थान पुन: निर्मित करवा पाए। उनका दुर्भाग्य इससे बढ़कर और क्या होगा की पांच लाख हिन्दू केवल हिन्दू होने के कारण कश्मीर से निकाल दिए गए फिर भी उनके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं और अब शायद ही वे कभी वापस जा पाए ऐसा वातावरण बन गया है।

लेकिन वे जो नक्सल हिंसक आतंकवादियों के पक्ष में खुल कर बोलते हैं, वे जो कश्मीर के देशद्रोही आतंकवादियों से बातचीत की वकालत करते हैं, वे जो नागालैंड को भारत से अलग एक ईसाई देश बनाने के लिए अपनी फौज और गोला बारूद एकत्र करने वालों का साउथ ब्लाक में स्वागत कर उनके साथ बात करते हैं, क्या उनमें से एक पक्ष भी कभी हिन्दू मुद्दे पर एक शब्द भी बोलने के लिए तैयार होगा ? भाजपा छोड़ दीजिये, आर.एस.एस. की भी बात मत करिए, पर क्या देश का हिन्दू सिर्फ इन दो संगठनों तक सीमित रह गया है? बाकी दलों और संगठनों में जो हिन्दू हैं क्या उनमें से किसी को भी, कहीं भी, एक बार भी हिन्दू मुद्दे पर कुछ बोलते हुए आपने देखा या सुना या पढ़ा है? यह है आज के हिन्दुस्तान की त्रासदी। इसलिए आर.एस.एस. और उससे प्रेरणा प्राप्त संगठनों के खिलाफ आक्रमण किया जा रहा है ताकि देश में हिन्दू स्वर को मंद और कमजोर किया जा सके।

आजादी से पहले भारत में एक नहीं अनेक राष्ट्र व्यापी हिन्दू संगठन थे जो अपने अपने कार्यक्रमों और पद्धति से हिन्दू हितों पर कार्य करते थे। उनको महात्मा गांधी और कांग्रेस का भी कुछ समर्थन मिलता था हालांकि तब भी कांग्रेस हिन्दू वोट लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण वाली पार्टी मानी जाने लगी थी। हिन्दू महासभा, आर्य समाज, आर.एस.एस., रामकृष्ण मिशन, श्री अरविन्द, हिंदी के साहित्यकार जिनमें मैथिलिशरण गुप्त, दिनकर, अज्ञेय, सुभद्रा कुमारी चौहान, माखनलाल चतुर्वेदी, रामचन्द्र शुक्ल, और शिक्षा के क्षेत्र में महामना मदन मोहन मालवीय जैसे दिग्गज पुरुष खुलकर, नि:संकोच भाव से हिन्दू हितों के लिए समाज के उच्च कुलीन तथा सभी अन्य वर्गों के साथ काम करते थे, उनकी लोकमान्यता थी और समाज में उनको अत्यंत आदर के साथ देखा और समझा जाता था।

आज हम बौने लोगों के बीच काम कर रहे हैं इसलिए न तो समाज का उच्च कुलीन वर्ग हिन्दू हितों पर खुलकर सामने आता न ही हिन्दू धर्मं और समाज के लिए जीवन अर्पित करने वालों को वो मान्यता मिलती है जो कभी आजादी से पहले मिलती थी।

यह सच है कि आज बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, माता अमृतानंदमयी जैसे महँ विभूतियाँ हिन्दू धर्मं के मंच से जगत व्यापी ख्याति और अपार धन भी अर्जित कर रहीं हैं। लेकिन उनमें से कोई भी, सिवाय स्वामीनारायण्ा संप्रदाय के, हिन्दू के नाम पर जन संगठन और प्रतिरोध का वातावरण भी बना रही हैं क्या ? उनमें से एक भी संगठन हिन्दू हितों पर हमले के समय, हिन्दू जन के ऊपर होने वाले प्रहारों के समय और हिन्दू अस्मिता पर सरकारी आघातों के समय खुलकर सामने आकर प्रतिरोध करतें है क्या? इसका एक ही उत्तार है, नहीं। इनमें से एक भी संगठन ने अपनी भक्तशक्ति, भक्तों के द्वारा प्राप्त धनशक्ति और उनकी अपनी अपनी महत्वपूर्ण स्थिति का उपयोग हिन्दू हितों के व्यापक उद्देश्य के लिए कभी किया है क्या? इसका भी उत्तार है, नहीं। वे तो हिन्दू धर्मं के मधुर प्रवचन करता बनकर धन और वैभव का विस्तार ही तो कर रहे हैं ? आर.एस.एस. क्योंकि आग्रही हिन्दू धर्म के आधार पर भारत के अभ्युदय के लिए काम कर रहा है, इसलिए उसपर निशाना साधना सेकुलर ईसाई सत्ताा को सर्वाधिक जरूरी लग रहा है, पिछले दिनों एक चैनल पर सैफ्फ्रान टेर्रोरिज्म नाम से एक प्रोग्राम दिखाया। उसमें ऐसा एक भी तथ्य नहीं था जो उसके शीर्षक को न्यायोचित ठहराता। लेकिन बैक ग्राऊंड म्युजिक और लापतेदार एंकरिंग के सहारे आप कुछ भी दिखा सकतें हैं और दर्शकों के मन में कम से कम एक शक तो पैदा कर ही सकते हैं जो कहेंगे भाई कुछ तो जरूर काला होगा।

इस सरकार के सेकुलर चरित्र का एकमात्र पहलु है हिन्दू नाम से चिढ़। इसने भारत विभाजन की जिम्मेदार मुस्लिम लीग के साथ समझौता स्वीकार किया और स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार उसके सांसद को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान दिया। कोई कुछ नहीं बोला। इसने नागालैंड में भारत से पृथक नागा लिम देश की मांग करने वाले चुर्च समर्थित ईसाई आतंकवादियों को बुलाकर उनसे वार्ता की, कोई आपत्तिा नहीं हुई। इसनें भारत के विरुध्द और हमारे संविधान को अमान्य करने वाले कश्मीर के हुर्रियत जैसे संगठन से बात की पेशकश की, उनके नेताओं को सुरक्षा और चिकित्सा की सुविधाएँ दी, कोई उसपर विद्रोह में खड़ा नहीं हुआ। मदनी जैसे आतंकवादी को अदालत से सजा होने पर केरल प्रदेश के कांग्रेसी और कम्युनिस्ट नेता मदनी के समर्थन में सामने आये और उसके जमानत पर छूटने के समय उसका नागरिक अभिनन्दन किया, सब चुप रहे। इस सरकार के निशाने पर सिर्फ आग्रही हिन्दू औए उनके संगठन हैं इसलिए क्या कभी आपने सुना की प्रधानमंत्री ने आर.एस.एस. या विश्व हिन्दू परिषद् के प्रमुख नेताओं को घर पर बातचीत के लिए बुलाया? क्योंकि आर.एस.एस. और उसके विचारों से प्रेरणा प्राप्त पचास से अधिक संगठन हिन्दू विचारों के आधार पर देश में एतिहासिक सेवा और संगठन के कार्य कर रहे हैं जिससे विदेशी और सेकुलर अभारतीय तत्वों को सर्वाधिक परेशानी हो सकती है, इसीलिए महंगाई, आतंकवाद पर नियंत्रण में असफलता, बढ़ती गरीबी और हर मोर्चे पर सरकारी असफलता से जनता का ध्यान हटाने के लिए अब हिन्दू संगठनों को बदनाम करने की साजिश बड़े पैमाने पर शुरू की जा रही है। कोई व्यक्ति यदि संविधान विरोधी कार्यों में लिप्त हो तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए। इतना बड़ा हिन्दू संगठन क्या कभी संकीर्ण हिंसा का मार्ग अपनाकर अपने दशकों की तपस्या और बलिदान से प्राप्त उपलब्धि को बर्बाद होने दे सकता है?

आर.एस.एस. आज दुनिया का सबसे बड़ा सेवाभावी और गरीब भारतीयों की सहायता का ऐसा संगठन बना है जो अपने किसी भी सेवा कार्य में संप्रदाय के आधार पर कभी कोई भेदभाव नहीं करता। उसपर और उसके बहाने सारे हिन्दू समाज को कलंकित करने का घृणित कार्य किसकी सहायता के लिए किया जा रहा है? अफजल को सजा सुनाने के बाद भी फांसी से बचने वाले अब हिन्दू समाज के उदारवादी और सर्व धर्मं समभाव के चरित्र की हत्या कर रहे हैं। हमारा स्पष्ट कहना है की जो भी दोषी हो, कोई भी व्यक्ति हो, किसी भी पद पर हो, उसे दोषी पाए जाने पर संविधान के अनुसार सजा मिलनी ही चाहिए, इसमें कौन आपत्तिा करता है? लेकिन हिन्दुओं को आतंकवादी कह कर सजा क्या जांच, अदालती कार्यवाही और संवैधानिक प्रक्रिया से पहले ही सुनाई जा सकती है? जो हिन्दू कभी नादिरशाह द्वारा दिल्ली में हुए कत्लेआम और उसके अलावा दिल्ली के सत्रह बार और कत्लेआम के बाद आतंकवादी नहीं हुए और न ही उन्होंने मुस्लिम या इस्लाम विरोधी रवैय्या अपनाया, जो हिन्दू बाबर से लेकर औरंगजेब के अत्याचारों के बाद भी कभी मुस्लिम या इस्लाम विरोधी नहीं हुए और मस्जिदों को नहीं तोड़ा न ही उन्होंने दरगाहों को जलाया। जिन हिन्दुओं ने अपने हजारों मंदिरों को मुसलमान हमलावरों के हाथों तोड़े जाते देख कर भी मुस्लिम या इस्लाम विरोधी तेवर नहीं दिखाए और न ही उनसे नफरत की, जिन हिन्दुओं ने अपने पांच लाख हिन्दू भाई बहनों को मुस्लिम जिहादियों के हाथों लुट – पिटकर, बलात्कार और कत्लोगारत का शिकार होते देखा फिर भी मुसलमानों के खिलाफ विद्रोह का आह्वान नहीं किया, जिनके कारण भारत सर्व धर्म समभाव वाला संविधान स्वीकार कर रहा है और इस्लामी पाकिस्तान या बंगलादेश की राह पर नहीं चला, उन हिन्दुओं को आज सोनिया गाँधी की सरकार और उनके रहमोकरम पर चलने वाले मीडिया के चैनल आतंकवादी घोषित कर रहे हैं। ऐसा पाप इंदिरा या नेहरु के कार्य काल में भी नहीं हुआ था क्योंकि उनमें हिन्दुस्तान का रक्त बहता था। हिन्दू को बिना प्रमाण या कानूनी कार्यवाही के आतंकवादी घोषित करने का षड़यंत्र विदेशी ईसाई शक्तियों के इशारे पर किया जा रहा है इसके परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं। जो हिन्दू संगठन भारत के सभी वर्गों को साथ में लेकर व्यापक हिन्दू एकता का कार्य सफलता पूर्वक कर रहा है, उसको बदनाम और ध्वस्त करके ही ईसाई विस्तार की वैटिकन – योजना सफल हो सकती है। इसलिए सी.बी.आई. जैसे राजनीतिकृत संगठन, जिससे कभी मायावती को ब्लैक मेल किया जाता है तो कभी मुलायम सिंह को, की सहायता से अधपके साक्ष्यों को पक्के सबूत के तौर पर प्रेस में उछाल कर एक हव्वा बनाया जा रहा है। उसके आधार पर संसद में तो शोर शराबा हो ही सकता है।

मीडिया में हिन्दू संगठनों की आवाज तो पहले से ही कम है, उनपर एक प्रकार का अघोषित प्रतिबन्ध है। उसपर हिन्दू संगठन और बौने हिन्दू सेठों द्वारा नियंत्रित मीडिया संकीर्ण और आपस की हिन्दू बनाम हिन्दू की लड़ाई में आत्मघाती रस ले रही है। मीडिया के बिजनिस हित और सरकारी कृपा का चस्का भी हिन्दू संगठन विरोधी वातावरण बनाने में सहायक बना है, ऐसी स्थिति में हिन्दू विरोधी सेकुलरों का काम यह हिन्दू शिवराशि और मंद बुध्दि शोर मचाओ दस्ते आसान कर रहे हैं। यह समय पुन: सोमनाथ के उद्धोष का है जिसमें कहीं भी हिन्दू एकता में दरार न आए। वयं पंचाधिकम शतं, यह उद्धोष आर.एस.एस. के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरूजी का था। उनकी वाणी और मार्गदर्शन ही आज हिन्दू समाज पर गजनी के पुनरोदय के समान घातक सेकुलर प्रहार के समय में पथ प्रदर्शक बन सकता है।

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तरुण विजय
तरुण विजय भारतीय राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत पत्रकार एवं चिन्तक हैं। सम्प्रति वे श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता व सांसद हैं। वह 1986 से 2008 तक करीब 22 सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य के संपादक रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत ब्लिट्ज़ अखबार से की थी। बाद में कुछ सालों तक फ्रीलांसिंग करने के बाद वह आरएसएस से जुड़े और उसके प्रचारक के तौर पर दादरा और नगर हवेली में आदिवासियों के बीच काम किया। तरुण विजय शौकिया फोटोग्राफर भी हैं और हिमालय उन्हें बहुत लुभाता है। उनके मुताबिक सिंधु नदी की शीतल बयार, कैलास पर शिवमंत्रोच्चार, चुशूल की चढ़ाई या बर्फ से जमे झंस्कार पर चहलकदमी - इन सबको मिला दें तो कुछ-कुछ तरुण विजय नज़र आएंगे।

27 COMMENTS

  1. बालकृष्ण को ना अदनान को हाँ !
    Posted by जितेन्द्र प्रताप सिंह on August 13, 2011 in टू द पॉइंट | 1 Comment
    आचार्य बालकृष्ण अगर इस देश मे नहीं रह सकते तो अदनान सामी को भारत मे रहने की सिफारिश चिदंबरम और दिग्विजय ने प्रधानमंत्री से क्यों किया ? यूपी के चुनावी संग्राम के मद्देनजर कांग्रेस ने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने और अपने पाले में लाने की कवायद में इस देश के क़ानूनी ढाचे को भी अगर तोडना पड़े तो कांग्रेस तोड़ सकती है । यूपी में अपनी खोई जमीन को वापिस पाने की सबसे अधिक अकुलाहट कांग्रेस में दिखाई देती है।
    अभी एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है जो किसी भी टीवी चैनल ने नहीं दिखाया . क्योंकि कोई कुत्ता उसके उपर कभी नहीं भौकता है जो उसे चबाने के लिए “हड्डी ” फेकता है ..और कांग्रेस सबसे पहले “हड्डी ” इस देश की लालची मीडिया के सामने ही फेकती है . जिससे भौकने वाले कुत्ते हड्डी चबाने मे लगे रहे और कांग्रेस अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इस देश के कानून की ऐसी तैसी करती रहे ..

    अपने उल्‍टे-सीधे बयानों के लिए मशहूर दिग्गी राजा ने पिछले दिनों पाकिस्तानी गायक अदनान सामी को देश में रहने की मोहलत देने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री पी.चिदंबरम से सिफारिश करके एक बार फिर मुस्लिम कार्ड खेला है। दिग्विजय का यह कदम यूपी चुनावों के मद्देनजर मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने और अपने पाले में लाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
    गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से प्रसिद्व गायक अदनान सामी के मामले में मिले थे और उन्होंने अदनान को भारत में रहने की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया था। । दिग्विजय ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें इस मामले में मदद का भरोसा दिया है। प्रधानमंत्री जरुर देंगे .. क्योंकि अदनान सामी कभी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाते है !सिर्फ गैर क़ानूनी तरीके से भारत से पकिस्तान रूपये भेजते है !
    दिसंबर 2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने अदनान सामी का संपत्ति जब्त कर ली थी। जिसे सामी ने भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की बिना अनुमति के खरीदा था। सामी अपनी पत्नी से कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं।
    अदनान सामी के खिलाफ भारत मे पांच फौजदारी के गुनाह दर्ज है ऐसे मे कानून ये कहता है की उसे तुरत भारत से बाहर भेज दिया जाये .. लेकिन हाय रे कांग्रेस की वोट बैंक की मजबूरी !
    और प्रधानमंत्री ने “दरियादिली ” दिखाते हुए अदनान की फाइल पर “priority” का नोट लिखते हुए तुरंत चिदंबरम के पास भेज दी .. और सिर्फ एक दिन मे ही गृह मत्रालय ने अदनान सामी को भारत मे रहने की मंजूरी दे दी !

    वाह रे आजाद भारत ! यहाँ पांच दिन से अन्ना हजारे अनशन के जगह के लिए धक्के खा रहे है और सिर्फ एक दिन मे ही अदनान सामी की फाइल ओके कर दी जाती है !

    दिग्विजय कांग्रेस आलाकमान के माउथ पीस बनकर ही बयानबाजी और कोई कदम उठाते हैं। इसी कड़ी में दिग्विजय सिंह ने गायक अदनान सामी की तरफदारी करके ये जता दिया है कि मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं।

    यह लेख मैंने इसलिए यहाँ पेस्ट किया है ताकि भाई जितेन्द्र प्रताप सिंह की आवाज़ ज्यादा से ज्यादा लोग सुन सके.

  2. आतंकवाद को किसी सम्प्रदाय का नाम न दो, वरना भेद खुल्जायेगा. भेद खुलगया तो आतंकवाद और आतंकवाद फैलानेवाले समाप्त हो जायेंगे. अतः पर्दा पडा रहने दो आतंकवाद की जनक ताकतों के चेहरों पर. ज्यादा बात करोगे तो साम्प्रदायिक कह कर किनारे कर दिए जाओगे. अतः चुप रहो और आतंकवादियों के हाथों चुपचाप मरो, उनकी पहचान को प्रकट करने का अपराध मत करो.

  3. KIYA HINDU IS DESH ME ATM SAMMAN HE SATH KABHI NAHI
    KHADA HOGA..??
    ESE HI MAR MAR KE APMAN KE SATH JIYEGA..
    APNI GO MATA KO SLAUGHTER HOUSE JANE SE KABHI NAHI ROK PAYGA??
    AGR HINDU APNA ATM SAMMAMAN BHOOL HI GAYA HE..TO
    ISRAEL SE SEEKH LE

  4. shaandaar lekh के लिए तरुण विजय को बधाई देता हूँ. आपकी कलम की शक्ति अकाट्य रही है. हिन्दू धर्म आज पहचान के संकट से गुजर रहा है. सबसे ज्यादा हमले आज के समय में इस धर्म पर हो रहे हैं.
    हिन्दू धर्म को कमजोर बनाने के लिए सभी लगे हैं, जैसे यह मुगल सल्तनत हो गयी और हर कोई इससे आजाद होना चाहता है. कांग्रेस पार्टी, मीडिया. सरकार और सभी सेकुलर ताकतें कमजोर बनाने में लगे हैं.
    इस धर्म पर आतंरिक समस्याएं भी कम नहीं हैं. जातिवाद, मंडल, आरक्षण जैसे मुद्दे घुन की तरह हिन्दू धर्म को खा रहे हैं. इस धर्म के किसी एकक्षत्र नेता का भी आभाव है. जो धर्म के नियमों को उदार बना सके. सर्वमान्य नेता के आभाव में नीतिगत परिवर्तन असंभव हो गया है.

  5. Tarunji aap lakh logon ko samjhane ki koshish karen parantu ye satya hai ki aapki soch puri tarah seemit, pakshpaat purn hai.aap hamesh hi party ke namak ka haq ada kartey rahe hain. bataaiye ki media kyon zimmedar hai, ya alqaida ko madad kaon kar raha hai. wo log jo aaisi gatividhiyon men shamil hain wahi alqaida ki bhi madad kar rahe hain aor udaarwadi hindu dharm ko bhi kalankit wa badnam kar rahe hain.tarun ji apni soch ki paridhi ko aor barhaiye, aor nishpaksh roop se manawta wa rashtra hit ko dhyan men rakhkar swayam darpan ke samne khare ho kar apne aap se hi poochhiye. jawab mil jaayega ki kaon kisko badnaam kar raha hai. nishchit roop se aap ki kuchh baaten bari achchhi lagti hain. aap ko ghalat jagah par sahi vyakti ki sangya di ja sakti hai.kirpya apni budhhi , urja, wa qalam kaprayog rachnaatmak karyon men karen aapka shubhchintak vijai shukla
    aasha hai aap merei baaton ka uttar awashya denge

  6. Jasbeer chawala aap ka comment aisa hai hi aaap shirf media ki khaber se hi gyan paate hain….hindu dharm main ek jeev hatya kitna bada pap hai ye aap jante honge aur …..aur kasai khane se nikalnewali badbu…aap ko do din tak sone nahi deti hogi….agar aap hindu hain to….aise dhrm ke log bom lagayenge….sochiye…..kasab ke baare main …..aise log bom lagate hain……pata hai ya bhool gaye 26/11 ko….

    agar aap hindu hain to aap morning walk per jaiye…aapko ahsaas hoga ki apko….psychological pressure diya jayega…muslims dwara….aap ke ghar main betiyan hongi…..aap pata kijiye kitne muslim ladke uske peeche pade honge….agar aap hindu hain to ….apka koi muslim dost apko apni jhoothan jaroor khilane ki koshish karega….agar aap hindu hain to koi autowala muslim aapse double bhada wasool lega…..aap hindu hain to ….kisi muslim teacher ki coaching main ja rahe apne bacche se puchiye wanha kya hota hai…..unki insult ki jaati hai…..
    main college main teacher tha wanha ki ek hi batch ki 3 ladkiyon ko muslim ladko ne bhagya tha.

    ek taraf atankwadi hamle….dusri taraf….Shahrukh aur Amir muslims ki filmon ki line lagane main kage hain….batate hain ki muslim acche hain…..har dusari film muslim aur atankwadi per hi hai…..nahi dekhi to dekiye filme pata chal jayega…..

    Hinduon ko bahut jaldi ekjut hona padega chawla ji…..aap bhi agar hindu hain to. nahi to jaldi hi khatam ho jayenge.

    • Hay bhagwan!
      Ye kya kya likhte ho ranjan ji. Kabi to kuch sochkar likha karo. Aapke khyali pulawo he ye.
      Bhagwan apko sadbuddhi de. Aisa nahi hota he.
      Fir bhi apke lye shubhkamnaye.

    • प्रिय विश्वास रंजन जी,
      में आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूँ यही होता हे और और अगर हम अभी भी नहीं जागे तो इससे और बुरा होगा वजूद ही ख़तम हो जायेगा इस ब्रह्माण्ड के सबसे प्राचीन संस्कृति का वह संस्कृति जिससे निकले हे सरे धर्म चाहे वो इस्लाम हो ईसाई हो जैन हो या कोई और सभी इसी सनातन संस्कृति की पैदाइश हे , ……. और में तो सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा की

      देश हे पुकारता पुकारती माँ भारती ……………..
      खून से तिलक करो गोलियों आरती ……………………..

  7. हमे सिखाया जाता है की अंग्रेज़ो ने हमे 200 वर्षो तक गुलाम बना कर रखा. और उसी आज़ादी का जश्न हम हर साल मनाते है. भाजपाऔर दूसरे … समर्थित दल भी मनाते है. पर मेरा प्रश्न है की उन 200 वर्षो के पहले क्या हम आज़ाद थे? मेरा मानना है की हम 1000 वर्ष पहले ही गुलाम हो गये थे. आज का भारत हमारे पुर्वजो की नपुंसकता और स्वार्थी चरित्र की देन है. हम अपना स्वाभिमान तो खो ही चुके है अब अस्तित्व भी खोने के कगार पर बैठे है. आज के भारत मैं मूलतः तीन प्रकार की संस्कृतियों का अनुसरण करने वाले लोग मिल जाएँगे: 1) जो 2300 वर्ष पुराने कल खंड को पुनर्जीवित करना चाहते है (चंद्रगुप्त मौर्या का शासन कल जब पहली बार यह भूखंड मौलिक रूप मैं और तथ्यों पर आधारित भारत वर्ष के रूप मैं प्रतिस्थापित हुआ). इस के पूर्व यह भारत, खंड खंड जनपड़ो मैं बटा हुआ था. 2) जो मानते है की अगर अंग्रेज़ो ने इस भूखंड पर अपना अधिकार नही जमाया होता तो अभी तक पूरा भारत पाकिस्तान बन गया होता व इसमे भी शरीयत का क़ानून ही चलता. 3) मध्या युगीन दार्शनिक जैसे महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू इत्यादि जिन्होने मुगलो के आक्रमण, हिन्दुओ के पतन, और मुसलमानो के साम्राज्य विस्तार को ना केवल दो संस्कृतियों का एक पवीत्र सम्मिलन मान लिया वरण उस युग को इस विचार से उत्परेरित और सम्मोहित भी किया. आज का भारत उस नयी संस्कृति की ही दें है. स्पष्टतः इन तीनो विचारो मैं कही सम्यता नही है इसलिए टकराव की स्थिति को नकारा नही जा सकता.

    श्रीकांत

  8. किसी भी सभ्यता, समाज या राष्ट्र को उर्जा, शक्ति और मार्गदर्शन उसे उसके अतीत या इतिहास से मिलता है. हमारे यहाँ इसे बदलने का काम कई शताब्दियों पहले बड़े ही सुनियोजित प्रकार से शुरू हो गया था और उसे गति मिली मध्य युग के दर्शनिको जैसे महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहेब अंबेडकर, इंदिरा गाँधी, (अपवाद स्वरूप वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया इत्यादी) आदि के पदार्पण के बाद. इन्होने हमारे अतीत और उसके दर्शन को तत्कालीन युग की सामाजिक और राजनैतिक आवश्यकताओं के अनुरूप ना केवल बदल दिया वरन महर्षि अरविंद, महर्षि द्‍यानंद, चाणक्य, विवेकानंद, महाराजा रंजीत सिंगइत्यादि जैसे महान दर्शनिको के दर्शन को भी प्रतिस्थापित भी कर दिया. इसे हम इस पीढ़ी का दुर्दैव ही कह सकते है की उनका मार्गदर्शन यह विखंडित इतिहास और दर्शन करते है और वो अपने आप को आधार विहीन पाते है. आज के महान दर्शनिको और समाज सुधारको की श्रेणी मैं जो विभूटिया सुशोभित होती है वह भी इन्ही मध्य कालीन महापुरुषों के जीवन दर्शन से प्रभावित है और उसी भटकाव को आगे बढ़ा रही है जो राष्ट्र के लिए नितांत घातक है, कुछ उदाहरण इन महान विभूतियों के इस प्रकार है, श्री मणिशंकर अय्यर, श्री अर्जुन सिंग, श्रीजावेद अख़्तर, श्री नितिन गडकरी, श्री राहुल गाँधी, सुश्री तीस्ता सीतलवाड़, श्री प्रणव रॉय, सुश्री बरखा दत्त, श्री शाहरुख ख़ान, श्री आमिर ख़ान, श्री कूलदीप नैयर, श्री ख़ुशवंत सिंग, श्री लालू प्रसाद यादव, सुश्री मायावती, सुश्री अरुंधती रॉय, श्री रजत शर्मा, श्री सचिन पायलट, श्री महेश भट्ट, श्री दीपक चौरसिया, श्री प्रबल प्रताप सींग, इत्यादि. इन सभी महान विभूतियों ने हमारे जीवन की दर्शन और दिशा दोनो बदल दी है.
    यह पुराना ग़ूढ मंत्र है की यदि किसी राष्ट्र या शासन करना है तो ज़रूरी है की उस राष्ट्र की अपनी मौलिक पहचान को ही नष्ट कर दो या उसे अपने चश्मे से देखने की आदत डाल दो. मैकले अपने समय का उच्च कोटि का दार्शनिक था ऐसा मे मानता हूँ, क्योंकि उसने शताब्दी पहले जिस विचार की नींव रखी थी वह आज साकार रूप लेती दिख रही है. भारत ने मौलिक आधार खो दिया है, उसकी पहचान बदल गयी है. दोषी और कोई नही हम स्वयं है.

    आज भी हम द्रौपदी का चिर हरण होते देखते बैठे रहते है और आशा करते है की श्री कृष्ण पुनः अवतरित होंगे और उसकी आबरू की रक्षा करेंगे. हम अपना अस्तित्व खोने के कगार पर बैठे है.

    श्रीकांत

  9. 13% log? Sirf us tustikaran par congress sarkar bana leti he. To kitna asan he other k lye 14% pana. Itni samsyen hen bharat mein lekin hmko to bs ek hi khatra nazar ata h. Hindu khatre me hein. Iske alawa to hum bhul gaye hen

  10. विश्वास से कहा जा सकता है कि भारत की आज़ादी के बाद भी कोई ताकते है जो भारत की मूल सस्क्रिति के खिलाफ़ बडे जोर-शोर से काम कर रही है. तभी तो जो एक चूहा भी नही मारते उन हिदुओ की तुलना निर्मम हत्याये करने वाले आतकवादियो से की जाती है. सारे सम्प्रदायो को शरण देने वाले, सबसे सहिश्नुता का व्यवहार करने वाले हिन्दुओ को साम्प्रदायिक कहा जाता है. मगर सन्कीर्ण,
    घोर साम्प्रदायिक, लाखो की हत्याओ के ज़िम्मेवारो पर कोई उगली तक नही उठती.
    क्या बात है ये, माजरा क्या है ?
    एक ही बात है न कि इस देश को अपनी पुण्य भूमी, धर्म भूमी और कर्म भूमी मानने वाला समाज ही विदेशी लुटेरो के रास्ते का रोडा है. अतः उनका सफ़ाया येन-केन प्रकारेण किया जा रहा है. सबसे बडी समस्या तो वे हिन्दु है जो प्रचार तन्त्र का शिकार बनकर इस सच को नही देख रहे और अपने विनाश का सामान अपने खुद के हाथो कर रहे है.
    पर जिनके रक्षक स्वयम राम-वैदेही हो उन अमर पुत्रो को कोई क्या मिटायेगा. १३-१४ सौ साल मे तो मिटा नही सके, अब क्या मिटायेगे, इस कोशिश मे खुद हि मिट जयेगे. यही नीयती है. यह समाज आज भी अक्षुण है, कई मि्टानेवाले आये और खुद मि्टगये.

  11. Kindly provide Hindi typing option.
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    Friends ! Just reply a question ——Don’t u think that India is secularist only becouse of Hinus. If not so, show any part of India where Hindus r in minority & secularism suvives in that perticular area?
    Show any Muslim secularist country in the world where other religions are safe & protected ? Than why u people r be-fooling others including yourself about communal forces. Are u innocent or agents of foreign agencies & r miss guiding, creating confusion about open facts,deliberately ? Don’t mind. It is very polite reply for people who r weakling India knowingly or un- knowingly.

  12. Ek pakshi report hai.Malegaon,Goa,Macca masjid,Ajmer me kisne visphot kiye?Kaun Alpasankhon ke virudh satat abhiyan chlata hai?RSS,VHP,BJP sare saal nafrat ke beej boten hain

      • kya stya hai Deepa ji???????
        26/11, Jaipur, akshardhaam, godhra, Dilli, Mumbai 93, Gajiyabad, Pune, Banglore, Mambai local Trains per hamla, aur bhi bahut….aap ginte ginte thak jayengi……….YE SAB ASATYA HAI KYA?????? boliye

        • Vese agar me kahu ki ye kirya ki prtikirya he(aapki hi bhasha me) 92 ke baad ke ginay he aapne. Jab desh ki nyaypalika aur constitutiön ko dhokha diya gaya. Khare hum bhi nahi hain. Bekar aise tathy jin par sirf apni kuntha ko shant karne ke lye aap comment karte hein. Hum kya jawab dein. Mahoday me bhi ginane par aai to pura itihas khul jayga. Lekin hal kuch nahi hoga. Behtar he ese vishyo se bachen. Aapki shubhchintak

          • आदरणीया दीपा जी आतंकवाद तो आतंकवाद है चाहे वो मुस्लिम हो या हिन्दू . घटनाएँ गिनाने से बात नहीं बनेगी “महोदय मै भी गिनाने पर आई तो पूरा इतिहास खुल जायगा” ऐसी टिप्पणी उचित नहीं है ऐसा कर आप हिन्दू धर्म को कटघरे मैं खड़ा कर रही हैं . प्राचीन काल से हिन्दू धर्म शांति का प्रतीक रहा है. प्राचीन हिन्दू राजा यज्ञ हवन अनुष्ठान करते थे सिर्फ शांति के लिए और हम सब उनकी ही संतान हैं.

        • मालेगाव, गोधरा, मऊ दंगे और अजमेर शरीफ विस्फोट इन्हें गिनाते हुए शर्म आ रही है क्या ?

  13. स्वतंत्रता के बाद हिन्दू वर्तमान में सबसे कठीन दौर से गुजर रहे है. सोमनाथ हमें शक्ति दे.

  14. really indian media is not free. they are selfish. all media and elite class is making money. even they not regret to support orthodux people. only rss and bjp speak in favor of hindu. all others are dumb? jago india jago.

  15. Congress dharmnirpekshta ki aad main Muslim vote bank ke liye hi kaam kar rahi hai aur hinduon ko khatm karne ke liye sankalp le chuki hai…ek tarah se dalali lekar hinduon ko mitane per tuli hai. Ye ek bahut badi saajish chal rahi hai…jagna jaroori hai shriram ji.

    Secularism ka matlab ye nahi ki ek vishal hindu samaj ko alpsankyak kar diya jaye and phir kuchal diya jaye…

    AAJ TAK per ban lagna chahiye. Aaj tak and Headline today Biased hain.

    Paisa lekar abhivyakti ki swatntrata ka jo durupyog bharat main ho raha hai wo desh ko gart main le jayega. yahi es desh ko nasht karnewalon ki mansha bhi hai.

  16. Dheere dheere hi sahi hindu samaj jaag raha hai. peeche ke ghatnakram men kuch udaharan dhyan men aate hain, jiname hinduon ne ekta dikhai, yah shakti ek baar sangathit ho gayi to bade bade hindu virodhi past ho jayenge aur rashtra majboot hoga.

  17. ग्लोब्लाइजेशन भूमंडलीकरण उदारीकरण आधुनिक तकनीकीकरण आर्थिक मंदी ;अशिक्षा अन्धविश्वास सामाजिक .आर्थिक जातीय असमानता पर आप चुप हैं .पाकिस्तान को मुफ्त में फ-१६ विमान दिए जाने पर आप चुप हैं .भारत के विद्वान् प्रधानमंत्रीजी १ २ ३ एटमी करार {अमरीका के साथ }करने को बेकर्रार हैं .इस पर आप चुप है .समूचा मीडिया पैसेबालों की चिरोरी करता हुआ आपको स्पस्ट दिख रहा है किन्तु आपने जिनको राजनेतिक शक्ति प्रदान की बेभी अधिकांस भस्मासुर बनकर गरीब असहाय निर्धन हिदू जनता परही कहर बरपा रहे हैं “को न राजपद पाहि नसाहीं ”
    आपके आलेख का निचोड़ येहै की हिदू आपस में बैर भाव रखते हैं .हिन्दू
    कमजोर हैं .हिन्दू एक विराट नर मेध्नी शक्ति में जब तक नहीं बदल जाते .वे अतीत की बर्बर गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो सकेंगे ..कश्मीर .उत्तर पूर्व तथा देश के अन्य अंदरूनी हिस्शों में अशांति के लिए आप हिदुओं को क्यों कोस रहे हैं .क्या देश की सीमाओं पर कुर्वानी देने बाले हिन्दुओं ने आर एस एस या आपसे प्रेरणा ली थी .सारा भारत समवेत स्वरों में धर्मनिरपेक्षता के प्रति संकल्पित है तो किसी भी व्यक्ति या समाज को धर्म के आधार पर पृथक शक्ति संधारण की आवश्यकता क्यों आन पड़ी .यही प्रश्न मुस्लिम इसाई सिख तथा अन्य अल्पसंख्यक कट्टर तावादियों से भी पूंछा जाना चाहिए .देश में एक संविधान है .उसे ही सिरमौर होना चाहिए .संविधान से परे पृथक शक्ति सम्पन्न सत्ता केंद्र न केवल देश के लिए apitu us koum को भी aatmghati hoga jo ensa karega .dunia का itihas udahrno से bhara pada है .

    • shradhey, kabhi kashmir jakar dekh aana ki bharat kitana dharm nirpeksh hai…ghar baith kar vani vilas koi bhi kar sakta hai….yatharth parak tathya rakhe to behtar hoga….jaha tak RSS ko gariyane ka sawal hai to….to vo comunisto ki aadat aaj se nahi hai…janam jat bimari hai…isliye aapko dosh nahi dunga…shesh shubh….

  18. हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम वो कत्ल तक कर देते हैं चर्चा नहीं होती

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