
—विनय कुमार विनायक
हिन्दू धर्म में एकता कैसे हो
कोई निदान ब्राह्मण ही बता सकता!
ब्राह्मण वो कहलाते
जिन्होंने विद्या-बुद्धि से काम लिया!
क्षत्रिय उसे कहते
जिन्होंने हाथ में डंडा को थाम लिया!
वैश्य वे कहलाते
जिन्होंने डंडा को ही डंडी बना दिया!
शूद्र उसे कहते
जिन्होंने हुनरबाजी को पहचान लिया!
ये तो तब की बात थी
जब वर्ण व्यवस्था की पराकाष्ठा थी!
अब बदली है स्थिति
वर्णवाद कुछ टूटी,जातिवाद हुई झूठी!
अब सब जाति आरक्षित
सब में चलन होने लगी है रोटी बेटी!
पहले भी वर्ण संघर्ष था
मगर वर्णों में विवाह प्रथा उत्कर्ष था!
पहले ब्राह्मण चारों वर्ण में
वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करते थे!
ब्राह्मण में चयन प्रथा थी
ब्राह्मण हर वर्ण से कन्यादान लेते थे!
ब्राह्मण की मेधा व खूबसूरती
चयनित रक्त अतिमिश्रण से बनी थी!
पहले वर्ण कर्मगत था
मगर बाद में जन्मना वर्ण होने लगा!
आरम्भिक ब्राह्मण थे
पितृपक्ष से आर्य मातृपक्ष से अनार्य!
वशिष्ठ शक्ति पराशर व्यास
सबको था वर्ण संकरता का अहसास!
पहले महत था तप संस्कार
आगे चलकर सबकुछ हो गया बेकार!
वर्णो बीच अभिमान जगा
जो जितने मिश्रित वे उतने उच्च थे!
धर्म में वितंडाबाद बढ़ा
कोई वैष्णव कोई शैव कोई शाक्त था!
आर्य विष्णु इन्द्र उपासक
अनार्य शिश्न पूजक शाक्त कापालिक!
आर्य यज्ञ बलि कर्मकांडी
अनार्य था शैव शाक्त अघोरी सर्वभक्षी!
बड़ी मुश्किल की घड़ी थी
फिर आर्य-अनार्य में सुलह आन पड़ी थी!
वैदिक यज्ञवादी ब्राह्मण ने
द्रविड़ की शिश्न पूजा विधि अपना ली!
अब उत्तर दक्षिण में धर्मभेद नहीं
आर्य अनार्य द्रविड़ हिन्दुओं में खेद नहीं!
पर आर्यों की तरह द्रविड़ में भी
घृणित जाति व्यवस्था ने जोर पकड़ ली!
जो जातिवाद गोरे आर्यों में थी
वो काले द्रविड़ जातियों के बीच फैल गई!
हर समय काल में
ब्राह्मण ही बली,ब्राह्मण मचाते खलबली!
ब्राह्मण ने क्षत्रियों का बाहु तोड़ा
डंडा को डंडी बनाया,अशक्त शूद्र कहलाया!
ब्राह्मण की मेधा से ही
अब्राह्मणी क्षत्रिय संगठन बौद्ध जैन हारा!
ब्राह्मण के बिना चाहे
भारत से जातिवाद कभी नहीं मिट पाएगा!
ब्राह्मणों के चाहे बिना
चारों शंकराचार्य भी कुछ नहीं कर पाएगा!
ब्राह्मण के चाहने से
हिन्दुत्व उभरेगा या पूरी तरह डूब जाएगा!
ब्राह्मण चाहेगा तभी तो
हिन्दुओं में छुआछूत जातिभेद मिट पाएगा