हो -हो हैया जी

    हा- हा -ही- ही- हू- हू करते,
   साल बिताया भैया जी।
   पिज्जा वर्गर चाऊमीन सा,
   माल उड़ाया भैया जी।

   इस होली में नानी के घर,
   कितने मज़े उड़ाये थे।
   नानाजी पिचकारी के संग,
   टेसू के रंग लाये थे।
   गुझिया खाकर मामी के संग,
   नाचे ता -ता थैया जी।

  दीवाली में फुलझड़ियों से,
  फूल झरे थे मस्ती के।
  गूँज उठे थे बम पटाखे,
  गली- गली में बस्ती के।
  धूम धड़ाका  हल्ला गुल्ला,
  करते हो -हो हैया जी।

नए साल आने की खुशियाँ,
तो हम खूब मनाएंगे।
 गए साल की मीठी बातें,
बिसरा हम क्या हम पाएंगे?
भरे रहेंगे स्मृतियों के ,
हरदम ताल तलैया जी।

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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