होली भजन

(तर्ज- होली खेले रघुवीरा)

होली खेलै गिरधारी (बनवारी) बृज में, (होली खेलै गिरधारी-2)
होली खेले गिरधारी (बनवारी) बृज में……….

बरसाने की गोपियाँ (सखियाँ) सारी, भर-भर ये मारे पिचकारी
और नाचै दै दै तारी, होली खेलै…………

सब ग्वालो का टोला लायौ, ऐसौ यानै रंगु बरसायौ
हुरदंग मचरहयो भारी, होली खेलै………

राधाजू ने युक्ति विचारी, घेर लयौ है श्याम बिहारी
वाकी सूरत दई बिगारी, होली खेलै……..

नन्दों भईया अरज लगावै, माखन मिश्री को भोग लगावे
दर्शन दो बनवारी, होली खेलै………..

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