
वो उसे
कहते हैं घर
मात्र दीवार
और छत ही हैं
फिर भी उसे
कहते हैं घर
पिता है
निठल्ला शराबी
माता है
करती मजदूरी
बच्चे हैं
बालमजदूर
चूहे भी हैं
आवाज की तलाश में
फिर भी उसे
कहते हैं घर
-विनोद सिल्ला©
वो उसे
कहते हैं घर
मात्र दीवार
और छत ही हैं
फिर भी उसे
कहते हैं घर
पिता है
निठल्ला शराबी
माता है
करती मजदूरी
बच्चे हैं
बालमजदूर
चूहे भी हैं
आवाज की तलाश में
फिर भी उसे
कहते हैं घर
-विनोद सिल्ला©
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।