कविता

गीत कैसे बनाऊँ

                                   बेसुरी सी ज़िन्दगी मे,

स्वर मै कैसे लगाऊँ।

गति ही जब रुक गई हो

ताल कौन सी बजाऊँ

वीणा के हैं तार टूटे,

साज़ सारे मुझसे रूठे,

संगीत को कैसे मनाऊँ,

आज गीत गा न पाऊँ,

कल शायद गुनगुनाऊँ।

इन्द्रधनुषी सात स्वर,

आज मै कहाँ से लाऊँ।

शून्य हों जब भावनायें,

दिखे ना संभावनायें,

हो अंधेरा ही अंधेरा,

सूर्य पे बादल का घेरा,

लेखनी अपनी उठाऊँ

कविता लिख तो ली है,

गीत इसे कैसे बनाऊँ

बेसुरी सी ज़िन्दगी मे,

स्वर मै कैसे लगाऊँ।