मै ज्ञान का सौदागर हूं

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मै ज्ञान का सौदागर हूं
करता हूं ज्ञान का व्यापार।
इसके रोजाना करने से,
मेरा हो जाता है बेड़ा पार।।

मै छोटा सा कलमकार हूं
करता हूं कलम की पूजा।
कागज स्याही है मेरी पूंजी,
और काम करता नहीं दूजा।।

मै पुस्तको का बड़ा प्रेमी हूं,
पुस्तके ही मेरी परम मित्र हैं।
इनसे ही मै मित्रता रखता हूं,
ये ही मेरी मस्तिष्क के चित्र है।।

मै करता हूं शब्दो से श्रंगार,
करता हूं कविता का श्रृंगार।
हिन्दी में जो अंग की बिन्दी है,
वही तो कविता की बिन्दी है।।

पुस्तके मेरी ही सहपाठी है,
ये मेरे जीवन की साथी है।
करता हूं मै सदा इनको प्यार,
ये भी करती हैं मुझको प्यार।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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