वैसे वो मेरे लिए मर गया !
पर सवाल इंसानियत का है,
जो दोनों के दिलों में मर गया !!
बिछड़े रिश्ते, नसतर की तरह होते हैं,
जिक्र होते ही आखों में छलक आते हैं!!
मलाल दोनों को है मगर,
एहसास दोनों का मर गया!!
भारत भूषण
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।