प्रभुदयाल श्रीवास्तव
छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश
मैंने की दादी से बात
मोबाइल पर आज मजे से ,
मैंने की दादी से बात |
मैंने दादीजी को अपने ,
पढ़ने का परिणाम बताया |
मैंने उन्हें बताया कैसे,
कक्षा में नंबर वन आया |
खुशियों से दादी अम्मा के ,
उठे दुआओं वाले हाथ |
मैंने बोला गरमी की इस ,
छुट्टी में मैं गाँव आऊँगा |
खटमिट्ठा सा पना आम का ,
बैठ आपके साथ खाऊँगा |
दाल बाटियाँ और चूरमा ,
मेरे लिए बनाना ख़ास |
योग, ध्यान, सूरज से बातें ,
सुबह नदी के तीरे करना |
होती वहाँ दिव्य अनुभूति ,
बहता जहाँ सुनहरा झरना |
मुझको बड़ा चैन मिलता है ,
तुम जब दादी होती पास |
सूरज की चमकीली किरणे ,
हरी घास पर जब पड़ती हैं |
धरती माँ की हरी अंगुलियाँ
हीरे जड़ी -जड़ी दिखती हैं |
फूट -फूट पड़ता कलियों में,
फूलों ,पत्तों, में उल्लास |