कविता

 मैंने की दादी से बात 

प्रभुदयाल श्रीवास्तव 

 छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश 

 मैंने की दादी से बात 

 मोबाइल पर आज मजे से ,

 मैंने की दादी से बात |

मैंने दादीजी को अपने ,

पढ़ने  का परिणाम बताया |

मैंने उन्हें बताया कैसे,

कक्षा में नंबर वन आया |

खुशियों से दादी अम्मा के ,

उठे दुआओं वाले हाथ |

मैंने बोला गरमी  की इस ,

छुट्टी में मैं गाँव आऊँगा |

खटमिट्ठा सा पना आम का ,

बैठ आपके साथ खाऊँगा |

दाल बाटियाँ और चूरमा ,

मेरे लिए बनाना ख़ास |

योग, ध्यान, सूरज से बातें ,

सुबह नदी के तीरे करना |

होती वहाँ दिव्य अनुभूति ,   

बहता जहाँ सुनहरा झरना |

मुझको बड़ा चैन मिलता है ,

तुम जब दादी होती पास |

सूरज की चमकीली किरणे ,

हरी घास पर जब पड़ती हैं |

धरती माँ की हरी  अंगुलियाँ 

हीरे जड़ी -जड़ी दिखती हैं |

फूट -फूट पड़ता कलियों में,

फूलों ,पत्तों, में उल्लास |