मै मन के भाव लिखता हूं

0
136


मन में भाव आते हैं तो मै लिखता हूं।
दिल में दर्द होता है तो मै लिखता हूं।।
किसी का कुछ न लेता हूं न मै देता हूं।
केवल अपने उदगारो को मैं लिखता हूं।।

दीवार के सहारे खड़ा हूं तेरा क्या लेता हूं।
केवल अपने दिल की तपिश बुझा लेता हूं।।
तू प्यार का पानी पिला न पिला मुझको।
अपने प्यार की प्यास तो मै बुझा लेता हूं।।

ये जिंदगी तेरे हवाले कर दी है मैंने।
सब कुछ लुटाकर तुझे पाया है मैंने।।
ये एहसान मान न मान तू मेरा अब।
तू कुछ भी कर,तुझ पर छोड़ा है मैंने।।

तेरी गली से निकलते है तेरा क्या लेते है।
बस अपने दिल को ही समझा लेते है।।
तू घर से निकल न निकल देखने के लिए।
तेरे घर को देखकर ही तेरा दीदार कर लेते है।।

दिल की दवा लेने निकले हैं तेरा क्या लेते है।
दिल के दर्द को बस यूंही हम छिपा लेते है।।
तू दर्दे दिल दवा दे न दे हमे कोई बात नही।
तेरी गली की हवा को ही हम दवा मान लेते है।।

आर के रस्तोगी

Previous articleक्या है हिन्दू फोबिया का कारण
Next articleभगवान महावीर एक कालातीत संस्कृति
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here