कविता

अगर एक बार तुम आ जाते


अगर एक बार तुम आ जाते,
ये आंसू आंखो से रुक जाते।
लगा लेते तुम मुझको सीने से,
सारे मन के मैल धुल जाते।

विरह वेदना मे मै जलती हूं,
बिन अग्नि के मै जलती हूं।
अगर एक बार तुम आ जाते,
दिल के सारे शोले बुझ जाते।।

तड़फ रही हूं मै तुम्हारे लिए,
भटक रही हूं मै तुम्हारे लिए।
अगर एक बार तुम आ जाते,
पुनः जीवित होती तुम्हारे लिए।।

मत तड़फाओ अब आ जाओ,
अपना दर्श मुझे दिखा जाओ।
अगर एक बार दर्श दिखा जाते
भले ही फिर तुम लौट जाओ।।

आर के रस्तोगी