—विनय कुमार विनायक
कभी अपनी जाति विरादरी से हटकर देखो,
पराए जाति-धर्म में भी खुदाई नजर आएगी!
छोड़ दो दूसरों को आंकना अपने आईने से,
देखो खुद को, अपने में बुराई नजर आएगी!
छोड़ो चाहत दूसरों की जाति को जानने की,
पराई जाति-उपाधि में तो खाई नजर आएगी!
जाति जानने की इच्छा जिस शख्स में होती,
उसमें कभी ना अंकुर भलाई की पनप पाएगी!
जाति से मानव को आंकना बहुत बुरी बात है,
जातिवाद के हाथ में भारत डुबी नजर आएगी!
जाति बुरी बला है अपनी जाति अच्छी लगती,
जातिवाद से पराई जातियां बुरी नजर आएगी!
जातिवाद हिन्दुओं के बीच बहुत बड़ी बीमारी है,
जातिवाद से ही हिन्दू संस्कृति बिखर जाएगी!
अगर हिन्दू संस्कृति को बचाए रखना चाहते हैं,
तो भूलें बड़े-छोटे भाव को तभी समता आएगी!
भारत में पहले जन्मना जाति श्रेष्ठता नहीं थी,
इस नीति को त्यागें सब की भलाई हो पाएगी!
—विनय कुमार विनायक