हिन्दुओं की पवित्र भूमि भेंट द्वीप पर गैरकानूनी अतिक्रमण

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गौतम चौधरी

सरकार और प्रशासन की कुंभकर्णी निन्द्रा के कारण हिन्दू धर्म की पवित्र भूमि भेंट द्वारका के संपूर्ण द्वीप पर एक खास संप्रदाय का अतिक्रमण बढता जा रहा है। प्रशासन नहीं चेती तो महज 10 सालों के अंदर यह द्वीप पाकिस्तान संपोषित उक्त संप्रदाय की गतिविधियों का केन्द्र बन जाएगा।

द्वीप के सामाजिक और सांप्रदायिक स्वरूप में विगत 05 सालों के अंदर अप्रत्याशित परिवर्तन हुआ है। द्वीप पर दो पुराना मजार है जिसमें से एक हजी किरमानी का मजार है तो दूसरा मजार पैतन पीर का कहा जाता है। इन दो मजारों को छोड कर भेंट द्वारका में बने अन्य सारे मजार अबैध है। आश्चर्य की बात तो यह है कि ये माजार विगत पांच सालों अंदर खडे किये गये हैं। वर्तमान समय में द्वीप पर कुल मजारों की संख्या 52 है। मजारों की संख्या में बढोतरी की संभवना बतायी जा रही है, क्योंकि कई मजार निर्माणाधीन है। मजारों की संख्या में बढोतरी के पीछे का कारण क्या हो सकता है इसपर रहस्य बरकरार है। जानकारी में हो कि भेंट लंबे समय से इस्लाम के टारगेट में रहा है। आज से लगभग 400 साल पहले भेंट के लिए, भेंट के राठौर राजा महाराज संग्राम सिंह ने अकबर के मैशौरे भाई और सेनापती अजीज कोको के साथ लडाई लडी। इस लडाई में हजारों राजपूत योध्दा मारे गये लेकिन राठौरों ने हार नहीं मानी। इसके बाद भेंट के लिए ढोल नाकम गांव में सभी स्थानीय राजपूत एक होकर अजीज के साथ मोर्चा खोल दिया तब अजीज को वहां से भागना पडा था। बाद में भेंट में जाडेजा राजाओं ने भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बनवाया। भेंट द्वारिका में आज भी ज्यादा संख्या कच्छी मुस्लमानों की है। भेंट की आबादी सात हजार के लगभग है जिसमें से पांच हजार मुस्लमान है और दो हजार हिन्दू है। हिन्दुओं में ब्राह्मणों की संख्या ज्यादा है। ऐसे हिन्दुओं में पशुपालकों की संख्या भी है लेकिन कम। भेंट स्थित दो पीरों के मजारों की मान्यता पूरे सिंध में है। इसलिए यहां न केवल भारत के अपितु पाकिस्तान के मुस्लमान भी आते रहते हैं।

इस यात्रा के आवरण में पाकिस्तानी जासूस भेंट की खाडी में लगातार अपनी स्थिति मजबूत करने में लगा है। पूरी खाडी में 41 द्वीप है भेंट छोडकर अन्य द्वीपों पर जनवसाव नहीं है लेकिन जानकार बताते हैं कि इन निर्जन द्वीपों पर भी इस्लामी अतिक्रमण प्रारंभ हो गया है।

भेंट द्वीप केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं अपितु सामरिक दृष्टि से भी महत्व का है। जानकार बताते हैं कि भेंट से दुवई की दूरी मात्र 1500 मील की है जबकि कराची नाव से मात्र 06 घंटों में पहुंचा जा सकता है। यह इलाका पुराने तस्करी का केन्द्र रहा है। युसुफ पटेल, हाजी मस्तान, करीम लाला के गुर्गे इसी इलाके के हुआ करते थे और आज दुनियाभर में तस्कारी का जाल फैदाने वाला भारतीय मूल का तस्कर दाउद इब्राहिम के लिए भी इसी इलाके के गुर्गे काम करते हैं।

ऐसे में यह द्वीप न केवल धार्मिक दृष्टि से अपितु सामरिक दृष्टि से भी अति संवेदनशील द्वीप है लेकिन इस द्वीप पर लगातार अतिक्रमण जारी है, बावजूद इसके प्रशासन मौन धारण किये हुए है। शास्त्रों में भेंट द्वारका का क्षेत्रफल 09 कोश बताया गया है लेकिन आज इस द्वीप का क्षेत्रफल 35 वर्ग किलो मीटर है। द्वारिका द्वीप पर 600 एकड की भूमि संरक्षित वन क्षेत्र है, जबकि गोचर के लिए 900 एकड की भूमि छोडी गयी है। भेंट द्वीप पर 1000 एकड की भूमि कृषि कार्य के लिए है। कृषि कार्य के लिए जो जमीन है उसपर तो किसी ने कब्जा नहीं किया है लेकिन जो जमीन संरक्षित वन क्षेत्र का है उसपर लगातार अतिक्रमण जारी है। ऐसे कुछ गोचर की भूमि पर भी मजार बनाये गये है लेकिन ज्यादातर वन क्षेत्र की भूमि पर अतिक्रण हुआ है। इस स्थिति को नहीं रोका गया और द्वीप पर सतत अतिक्रमण जारी रहा तो आने वाले मात्र 10 सालों के अंदर हिन्दुओं के पवित्र भूमि भेंट पर इस्लाम धर्मावलंवियों का अधिकार होगा।

3 COMMENTS

  1. कॅन्सर कहते हैं, कि इतने धीरे बढता है, जब आप को पता चलता है; तो देर हो चुकी होती है। इसी प्रकार के कॅन्सर से हम ने पहले भी देश के हिस्से गवांए हैं। सुरक्षा तो केंद्रीय शासन का ही दायित्व मानता हूं। कोइ गलती हो, तो सुझाए।
    माइकिया वेली(?) कूट नीतिज्ञ, यही विधा सुझाता है, जो शत्रु अपना रहा है।
    (१) जिस स्थल को कुंठित करना हो, उस के चारों सीमा पर की भूमि या निर्माण खरिद लो।
    (२) जिससे वहां जाने वाले डर के मारे दूर रहें। आबादी बढा कर भी यह किया जा सकता है।
    (३) फिर छद्म आक्रमण करते हुए, उस स्थान को अधिकार में कर लो।
    कुछ ऐसा ही तरिका, ड्रग किलींग में भी, प्रयुक्त होता है। जानकारी के लिए लिखता हूं। थोडा विषय से हटकर, पर फिर भी संदर्भ गलत नहीं मानता।
    अमरिका में माफिया आप की कार के आगे, पीछे, बांए और दाहिने ४ कारें चलाते हैं। फिर चारों कारें जो आप को घेर कर चलती थी, धीरे धीरे धीमी होकर रोक दी जाती है। आप को आप की कार रोकना ही पडती है। फिर ड्रग डिलर बाहर निकल कर आप पर गोली चलाता है। और सारे भाग जाते हैं।
    शांत होने पर पुलिस आती है।
    चाहो तो भी डेमोक्रॅसी में आप वोट के चक्कर में क्या कर पाएंगे?
    देश की रक्षा के लिए, डेमॉक्रॅसी भी गौण हो जाती है। कभी कभी क्षेत्रीय आपात्काल भी लाया जाए। कश्मिर में भी —सीमित आपात्काल लाने के लिए सोचा जाए। बेट(बेट गुजराती शब्द: अर्थ टापु होता है) टापु द्वारका में भी सोचा जाए। सारी नीतियां देश हित के लिए हैं। संविधान से बंध ना जाएं। सरदार वल्लभ भाई होते, तो ऐसी समस्याएं पैदा ही ना होती।

  2. गौतम चौधरी जी बहुत बहुत धन्यवाद इस लेख के लिए, बहुत पीड़ा हुई यह जानकार की गुजरात सरकार और केन्द्रीय सरकार (अरे मैं तो भूल गया केंद्र सरकार से यह उम्मीद बेमानी है) इस पर बिलकुल ध्यान नहीं दे रही है , आईये हम और आप रोज़ इसके बारें में जहां मौक़ा मिले लिखते रहे , मैं आपसे वादा करता हूँ मैं यह लेख अपने सभी दोस्तों को कॉपी करके पहुंचा दूंगा. हम एक सार्थक प्रयास अवश्य करेंगे.

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