पेरिस समझौते का भारत में अनुकूलन और क्रियान्वयन: जलवायु परिवर्तन मिशन पर भारत की पहल 

 

दिल्ली विशवविदयालय में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा व बहस करने के लिए देश भर के भूगोलविद दो दिवसीय सेमिनार में भाग लेने के लिए इकट्ठा हुए । शहीद भगतसिंह सांध्य कालेज के भूगोल विभाग दवारा आयोजित सेमिनार  में देश भर से क़रीब सौ वैज्ञानिक, भूगोलवेत्ता, समाजशास्त्री, पर्यावरणविद्य, शोधार्थी, खगोल शास्त्री व जमीन से जुड़े कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्रों में किये गये अनुभव, शोध व कार्यों को प्रस्तुत किया.

 

सेमिनार में लगभग 80 शोध पत्र पढ़े गए । इन पत्रों के प्रस्तुति करण के बाद योजना व नीति निर्धारण के लिए क्रियान्वयन पत्रक तैयार किया जायेगा।

इस सेमिनार में नार्थ इस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी (नेहू) से प्रो• मिपुन, गढ़वाल यूनिवर्सिटी से डॅा मोहन पंवार और प्रो• उदय सिंह रावत, पर्यावरणविद् श्री जगत सिंह ‘जंगली’, श्री सच्चिदानंद भारती भाग लेने आये।

 

इसके अतिरिक्त जे•एन•यू• से प्रो• कौशल कुमार शर्मा, प्रो• मिलाप शर्मा, प्रो• बुटोला व प्रो• वैद्य ने भी अपने शोध को साझा किया ।

दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग से प्रो• आर• बी• सिंह, प्रो• एस• सी• राय और डॅा बी• डब्लू• पान्डेय इस सेमिनार के प्रबंधन से जुड़े हुए है। हिमाचल प्रदेश के कण्डाघाट के प्रसिद्ध भू ज्योतिषाचार्य राजीव शर्मा ‘शूर’ भी सेमिनार में भाग लेने आये हुए हैं।

 

कालेज के प्राचार्य डॅा• प्रमोद खुराना ने सेमिनार के आयोजन पर उत्साह जताते हुए इसे कॅालेज स्तर पर एक बड़ी अकादमिक पहल बताया है। इस सेमिनार के संयोजक दिल्ली विश्वविद्यालय के भूतपूर्व अकादमिक काउंसिलसदस्य डॅा• वी• एस• नेगी हैं। उनके अनुसार इस सेमिनार कि संस्तुतियाँ जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए कारगर मार्ग प्रस्तुत करेंगी। उन्होंने कहा की वर्तमान में हमारी निहातायत आरामदायक जीवन शैली पर्यावरण की शत्रु साबित हो रही है खासकर शहरी जीवन शैली .अगर प्रकृति के करीब रहने वाला व्यक्ति 1 यूनिट कार्बन उत्सर्जन करता है तो वहीँ शहरों में रहने वाला गरीब से गरीब व्यक्ति भी उससे लाखों गुना ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन करता है. उन्होंने युवाओं को पर्यावरण दूत बनने के लिए आह्वान किया. इंटर नेशनल ज्योग्राफिकल यूनियन के उपाध्यक्ष और भूगोल विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर आरबी सिंह ने पेरिस एग्रीमेंट के विभिन्न पहलुओं पर गंभीरता से प्रकाश डालते हुए विभिन्न विकासशील देशो को विकसित देशों की षड्यंत्रकारी नीतियों से सतर्क रहने की भी सलाह दी. उन्होंने बताया की वर्तमान में ऊर्जा के गैरपरंपरागत श्रोतों की भूमिका महज 4 से पांच प्रतिशत ही है जिसमे अधिक से अधिक बढ़ोत्तरी भारत का लक्ष्य है .उन्होंने जलवायु परिवर्तन के हमारे पर्यावरण  और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों की भी विस्तार से चर्चा की.शोध छात्र भंवर विश्वेन्द्र राज रानावत ने बताया की पेरिस एग्रीमेंट का प्रमुख लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन में लगातार कटौती करना है जिससे की उसके दुष्प्रभावों से बचा जा सके और इस सम्मलेन में चर्चा का प्रमुख बिंदु यही रहा .विभिन्न विद्वानों के साथ ही साथ छात्रों ने भी बदग-चढ़कर इस सम्मलेन में हिस्सा लिया .कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संघ विचारक जे नन्द कुमार रहे.

उन्होंने विश्व में जलवायु परिवर्तन व कार्बन क्रेडिट जैसे विषय से उपजी चुनौतियों का हल ढ़ूढ़ने के लिए शिक्षकों व युवाओं का आवाहन किया है।

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