अभिनय की दुनिया में जाना-पहचाना नाम है श्री सवाई बिस्सा


– डॉ. दीपक आचार्य

 

      किसी एक ही शख्स में खूब सारे किरदार देखने हाें तो वह हैं श्री सवाई कुमार बिस्सा। उम्र के नन्हें पड़ावों से ही अपनी बहुआयामी प्रतिभाओं का दिग्दर्शन कराने वाले बिस्सा कला संस्कृति और साहित्य के साथ ही मातृभूमि की सेवा के लिए वह समर्पित व्यक्तित्व हैं जिनकी प्रतिभा का कायल हुए बिना कोई नहीं रह सकता।

      मौलिक हुनर से बनायी अनूठी पहचान

      जैसलमेर जिले के अमरसागर गाँव में 28 फरवरी 1982 को श्री सत्यनारायण बिस्सा के घर जन्में सवाई बिस्सा के जन्म के समय किसी ने यह नहीं सोचा था कि यह बालक बड़ा होकर एक दिन लेखक, निर्देशक, अभिनेता, रंगकर्मी  और शैक्षिक चेतना का भगीरथ बनेगा लेकिन सवाई बिस्सा ने अपनी मौलिक प्रतिभाओं को निखारकर अपनी एक अनूठी पहचान बनायी है।

      अभावों में खिलाये महक भरे फूल

सवाई बिस्सा ने अब तक कई नाटकाें में अपनी कला का जोरदार प्रदर्शन कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है। उनका मानना है विषमताओं में ही समताओं के फूल खिलते हैं, ज़ज़्बा एवं बुलंद इरादों से सफलता हासिल होती है। साधनों के अभावों में भी अपने क्षेत्र में कार्यरत सवाई जैसाण की सरजमीं पर कुदरत की विलक्षण सृजनधर्मी प्रतिभा हैं।

      कई मंचों पर सराही गई नाट्य प्रस्तुतियाँ

आपने सर्वप्रथम सन् 2000 में मुरलीमनोहर बोहरा और गौवंश हत्या पर आधारित पहला नाटक ’ भारतमाता के अमर शहीद’ सन् 2000 में फलौदी में प्रस्तुत किया जिसको लोगों ने काफी सराहा। इसमें उनके अभिनय ने खूब वाहवाही लूटी।

बिस्सा द्वारा मंचित निर्देशित दूसरा नाटक ‘अमर शहीद सागरमल गोपा’ है जिसे वर्ष 2001, 02 व 2003 और 2006 में आयोजित पुष्करणा सम्मेलन तथा कई बार स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस पर हुई सांस्कृतिक संध्या में प्रस्तुत किया गया।

      देशप्रेम की भावना है सर्वोपर

देशप्रेम के प्रति समर्पित व्यक्तित्व सवाई बिस्सा ने शहीद भगतसिंह, सुभाषचन्द्र बोस, शहीद पूनम सिंह भाटी आदि शहीदों और युगपुरुषों पर केन्दि्रत नाट्य लेखन एवं निर्देशन तथा अभिनय किया और बेहतरीन रंगकर्मी के रूप में अपनी खास पहचान कायम की।

अपने नाटक के जरिये उन्होंने शहीद पूनमसिंह के गाँव पूनमनगर (हाबूर) में 28 सितम्बर 2005 को प्राकृतिक धोरों से सुसज्जित मंच पर आकर्षक रूप से निर्मित मोर्चे एवम् युद्ध के दृश्यों को जीवंत किया। इस नाट्य मंचन में 35 कलाकारों को निर्देशित करके शहीद पूनम सिंह के जीवन प्रसंगों का नाट्य रूपान्तरण करके शानदार की प्रस्तुति का कमाल दिखाया। इसमें आस-पास के दस गाँवों के लगभग दो हजार दर्शक उपस्थित हुए। यह नाटक सवाई बिस्सा द्वारा लिखित एवं निर्देशित अभिनित था।

      नाटकों की सीडी ने मचायी धूम

शहीद पूनमसिंह के जीवन पर यह सबसे पहला नाटक इनके द्वारा लिखा गया तथा इसकी सीडी भी बनाई गई जिसका प्रसार जैसलमेर के समस्त गाँवों में किया गया। शहीद पूनम सिंह नाटक का अब तक चार बार मंचन हो चुका है। पुलिस दिवस 13 नवम्बर 2006  को भी शहीद पूनमसिंह भाटी नाटक का मंचन पुलिसकर्मियों में जोश का ज्वार उमड़ाने वाला रहा।

      रंगकर्मियों के बीच खासी पैठ

संस्कार भारती की कार्यशाला में बिस्सा द्वारा लिखित, अभिनित एवं निर्देशित तथा क्रिकेट, देश भक्ति और आतंकवाद पर आधारित नाटक ‘मेरा भारत मेरा सपना’ का मंचन किया गया। इसमें क्रिकेट से ग्रसित विद्यार्थी का सटीक चित्रण है। उन्हाेंने सन् 2004 में संस्कार भारती द्वारा आयोजित नृत्य प्रतियोगिता में शिव ताण्डव, कथक, भस्मासुर, शिव नृत्य नाटिका की प्रस्तुति बड़े नृत्य कौशल के साथ पेश की।

      नाट्य मंचन ने किया व्यापक लोक जागरण

राष्ट्रीय मिशन के अन्तर्गत नाटक विभाग द्वारा संचालित अभियान में  इनके द्वारा लिखित, अभिनित एवं निर्देशित नाटक ‘धापूड़ी रो ब्याव’ और ‘लक्ष्मी आई आँगणें’ ने खासी धूम मचायी। ये नाटक क्रमशः बाल विवाह और भू्रण हत्या पर आधारित थे। बाद में इनका जिले के कई स्कूलों में सफल मंचन भी किया गया। सवाई बिस्सा की रंगकर्म यात्रा कई श्रृंखलाओं में सजी हुई है।

      अभिनय ने जगायी जनचेतना

उन्हाेंने आम आदमी की जिन्दगी से जुड़े तथा राष्ट्रभक्ति का ज्वार उमड़ाने वाले कई नाटकों का लेखन, निर्देशन तथा अभिनय किया है। इनमें सन 2007 में खेजड़ली रो बलिदान नाटक, सन 2008 फिल्म सागरमल गोपा का निर्देशन महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानते हैं।

      बड़े पर्दे पर भी आजमाया फन

बिस्सा की प्रतिभाओं को फिल्म निर्देशकों और रंगकर्म की जानी-मानी हस्तियों ने भी सराहा। 31 मार्च 2006 को बालीवुड निर्देशक समीर कार्णिक की स्कि्रप्ट ‘नन्हें जैसलमेर’ में सहायक एडवाइजर लेखक और निर्देशन एवं अभिनय में भागीदारी निभायी। डेढ़-दो दशकों पहले जैसलमेर में बनी फिल्म ‘रुदाली’  में सवाई बिस्सा ने बाल कलाकार के रूप में भी काम किया। सन  2009 में बिस्सा ने मराठी निर्देशक मंगेला हड़ावालों के साथ सहायक निर्देशक,  स्क्रीप्ट राइटर, राजस्थानी भाषा के सलाहकार के रूप में कार्य किया। इस फिल्म का नाम ‘देख इण्डियन सर्कस’ था।

      बाल कलाकारों को दिया हुनर निखारने का मौका

आपने जैसलमेर के ही बाल कलाकारों को फिल्म के अभिनय का प्रशिक्षण दिया। बिस्सा तथा उनके द्वारा निर्देशित बाल कलाकारों का एक दल इस फिल्म के फिल्मांकन के लिए जैसलमेर से मुम्बई भी गया था। वहाँ बिस्सा ने टिकट कलक्टर का अभिनय भी किया। सन 2010 में उन्होंने कन्याभू्रण हत्या के विरोध में व्यापक लोक जागरण के उद्देश्य से कहानी लेखन एवं निर्देशन किया और इस पर आधारित नाटक में ग्रामीण पिता का अभिनय किया।

इसी प्रकार सन 2011 में भागवत गीता के प्रसंग पर नाटक का निर्देशन किया जो प्रेम राठी द्वारा आयोजित था। बिस्सा ने सन 2012 में गौ रक्षक पनराजजी के जीवन चरित्र पर नाटक लिखा। जबकि सितम्बर 2012 में ‘धर्म की जय’ फिल्म का निर्देशन एवं महाराजा का अभिनय किया था। यह फिल्म भाटी राजपूतों के जीवन पर आधारित है।

      लेखन में भी आगे हैं बिस्सा

श्री सवाईकुमार बिस्सा लेखन क्षेत्र में भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया है जिनमें स्वामी विवेकानंद के जीवन प्रसंग पर केन्दि्रत  ‘प्रभुजी मोरे अवगुण…’, परमार्थी समाज सेवी स्व. भजनलाल बिस्सा एवं बाल मजदूरी पर आधारित पुस्तक ‘नन्हें सरताज’ महत्त्वपूर्ण है। इन पाण्डुलिपियों को अब प्रकाशन की अपेक्षा है।

      काव्य सृजन ने दिया कल्पनाओं को आकार

संवेदनशील और कोमल भावनाओं से भरे, मृदुभाषी सवाई बिस्सा के मन की कल्पनाओं और आशाओं ने कविताओं के रूप में आकार पाया है। उन्होंने लोक मन से लेकर परिवेश तक पर आधारित कई कविताओं की रचना की है। उनका काव्य संकलन तथा अनेक पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं।

      तालीम के जरिये ग्राम जागरण का प्रयास

शिक्षा को अपनी आजीविका का जरिया बनाने वाले सवाईकुमार बिस्सा ने अपनी माताश्री स्व. हरप्यारी देवी के नाम से सन 2005 में एक स्कूल का संचालन आरंभ किया और इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक चेतना के लिए समर्पित भूमिका निभा रहे हैं। इस विद्यालय में लगभग 200 विद्यार्थियों के अध्ययन की सुविधा है।

लोक जीवन की कई भूमिकाओं का निर्वाह एक साथ करने वाले श्री सवाईकुमार बिस्सा जैसाण की सरजमीं के वे कलाकार हैं जिन्होंने सम सामयिक विषमताओं को चुनौतियों के रूप में लिया और रचनात्मक गतिविधियों में रमते हुए बेहतरीन कलाकार एवं रंगकर्मी के रूप में अपनी पहचान बनायी है जो युवाओं के लिए प्रेरणा जगाने के साथ ही अनुकरणीय भी है।

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