परिचर्चा

लगा दो आग इस चीलमन में !

-फखरे आलम-

Indian_Army_Kargil

लगा दो आग इस चीलमन में, के न तुम झांको, न में झांकूं! हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दुस्तान हमारा। हम हिन्दी हैं। हम हिन्दु हैं। सभ्यता और संस्कृति हमारी है इसी से हम जाने और पहचाने जाते हैं। हमारी पहचान ही भारतीयता है हमारा संस्कार। आज हम इसी चीलमन में आग लगा रहे हैं। रामराज, राष्ट्रधर्म में ऐसा कोई अध्याय दर्ज नहीं है जिसके अन्तर्गत हम अपने चिराग से अपने घर को जलाने बैठ गये हैं। वह तो एक झोंका आया और चला गया। वह झोंका या यूपीए और कांग्रेस के विरोध में। संघ परिवार और उनके सहयोगी अनेको धर्मिक और संस्कृति संगठनों का 66 वर्षों का अथक प्रयास था। जो कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों के पापों को बहा ले गया। जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री कोई हिन्दू बने, उत्तर प्रदेश में भाजपा की वापसी हो, सीमा पर हर पल युद्ध जैसी स्थिति बनी रहे, इससे देश की 125 करोड़ जनता और देश में बसने वाले अल्पसंख्यकों को फर्क पड़ता हो कि न पड़ता हो मगर समाज प्रभावित अवश्य होता है। एक खबर को अगर हम सही माने तो, हमारे देश के सौ से अधिक लोग आईएसआईएस की और से खिलाफत के लिये जहाद करने गये हैं जिसमें जम्मू कश्मीर सहित देश के अन्य प्राप्तों से युवक गये हैं।

नई सरकार के गठन के पश्चात् पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा सुर्खियों में रही और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, भारत के नवगठित प्रधनमंत्राी की मां के लिए साड़ी लेकर आये थे। बाद के दिनों में हमारे सम्बन्ध् विश्व के अन्य देशों के साथ सम्बन्ध् सुधरने लगे यहां तक कि बांग्लादेश और नेपाल भी हमारे निकट आये और पाकिस्तान सम्बन्ध् खराब करने पर तुला हुआ है। यहां तक खबर आ गई के सीमा पर 1971 बाद सबसे अधिक गोलीबारी हुई। कोई दिन ऐसा नहीं जाता कि दो चार धमकियां इधर से दो चार धमकियां उध्र से नहीं आती। पाकिस्तानी की आन्तरिक स्थिति किसी से धीमी नहीं है। प्रथम आतंकवाद और अब इमरान खान और ताहिर उल कादरी का मार्च भारत में नई सरकार ने अपने कोई वादे पूरे नहीं किए है। सरकार, पार्टी और सघ अभी तक गोरी बैठा नहीं पाई है। अभी तक पिछली सरकार अथवा उनके विश्वासपात्रों को निकाल बाहर करने की प्रक्रिया चल रही है। मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय की और तकता दिखाई पड़ रहा है, तो प्रधानमंत्री नागपुर की ओर अभी प्रधानमंत्री सुकुन से बैठे नहीं है और विदेशी दौरा जारी है प्रधानमंत्री दिल्ली से बाहर के प्राणी है और उन्हें दिल्ली में आये अभी मात्रा तीन महीना ही हुए हैं उस तीन महीनों में उन्होंने अधिक समय विदेशों में ही बिताया है और ऐसा प्रतीत होता है कि निकट भविष्य वह और अध्कि समय विदेश में ही बिताने वाले है। मंहगाई सरकार के नियंत्रण से बाहर है। सरकार के सारे दावे खोखले हो गए। हाँ मैं कर सकता हूं – अबकी बार मानसून ने धोखा दे दिया जमा खोरों ने भी धेखा दे दिया विदेश से अभी तक काला ध्न नहीं आया है। जिन्होंने अपार जनादेश दे कर इतनी शक्तिशाली सरकार के गठन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। निराशा उनके चेहरों पर साफ देखा जा सकता है। आम चुनाव के बाद जहां-जहां पर उपचुनाव सम्पन्न हुये हैं न तो एनडीए को और न ही भाजपा को वैसा जनसमर्थन प्राप्त हुआ है।

प्रधानमंत्री के सामने मुख्यमंत्राी के विरोध में नारेबाजी उस उस राज्यों में वर्तमान सरकार के विरोध् में जनता का रोस जरूर है। अथवा अनेकों प्रदेशों में जनता बदलाव चाहती है। हरियाणा, झारखण्ड और महाराष्ट्र में जनता बदलाव का मूड आवश्यक ही रखती है। मगर जनता केन्द्र की सरकार से खुश भी नहीं है, अगर ऐसी बात है तो केन्द्र की सरकार देश के दिल और देश की राजधनी दिल्ली में चुनाव करवा कर देख ले उनकी लोकप्रियता का ग्रापफ कहां से कहां आ गया है।

हां, मोदी की अगवायी वाली सरकार में धार्मिक और संस्कृति संगठन ताजा दम होकर सामने आई है। मन्दिरों में सांई की मूर्तियों को हटाने, गाय के नाम पर गंगा के नाम पर और अध्कि राजनीति तेज हुई है। धर्मिक संगठन सम्पन्न दिखाई देने लगे हैं। उनकी चमक दमक लौटी है, देश की अल्पसंख्यक खामोश है। सरकार और उनके सर्मित धर्मिक संगठन इसे अल्पसंख्यकों का डरा सहमा समझ बैठी है।

सरकारी स्तर पर कर्मचारियों में मोदी सरकार का भय है। सीध्े तौर पर लोग रिश्वत नहीं ले रहे हैं। तो काम भी नहीं होता दिखाई पड़ रहा है। राज्यपालों के बदलने के साथ साथ सभी बड़े शिक्षा संस्थान सुनसान है ऐसी स्थिति में जनता का ध्यान भटकाने और अपनी जिम्मेदारियों और वादों से भ्रमित करने के लिऐ कभी जम्मू कश्मीर और कभी पाकिस्तान सब से सरल हथियार है बजरंग दल ने पाकिस्तान पर हमले का सुझाव दिया है और में भी सीधे तौर पर युद्ध का सुझाव देता हूँ कि इस चीलमन को जला डालो के हम सुकुन से जी सके। मेरे आशयाने का गम न करके जलता है। जला करे, मगर उन हवाओं को रोको के सवाल सारे चमन का है कि जितना जिम्मेवार इस चमन को जलाने वाले लोग हैं। उतना ही जिम्मेवार वह लोग भी है जिन्होंने इस स्थिति की पृष्ठभूमि अपने शासनकाल के दस वर्षों में तैयार की थी और आज मुखदर्शक बने हैं। देश को समाज को और नहीं तोड़ना चाहिए। हिन्दु राष्ट्र, लव जहाद एवं अन्य विस घोल कर।