
प्रधानमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत करने जा रहे भारत के
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी बात कही। उन्होंने उस दुखती हुई रग पर हाथ रखने
के प्रबल संकेत दिए जिस पर अबतक देश के किसी भी नेता ने हाथ नहीं रखा था।
वास्तव में यदि यह कार्य पहले ही हो गया होता तो आज इतनी गम्भीर समस्याओं
से भारत की गरीब जनता नहीं जूझ रही होती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अगले
कार्यकाल में कार्य करने की रूप रेखा देश की जनता के सामने रख दी। मोदी
अपना अगला कार्यकाल किस रूप और किस दिशा में लेकर जाएंगे इसकी लाईन
मोदी ने अपने भाषण के माध्यम से देश की जनता के सामने खींच दी।
देश के प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरूआत ही उन शब्दों से की जिसे
सुनते ही देश के सभी तीव्र बुद्धिजीवी वर्ग तुरंत ही समझ गया कि मोदी अपना
भाषण किस ओर ले जाना चाहते हैं। मोदी अब देश के सामने कौन सा प्रश्न रखना
चाहते हैं। मोदी देश को कहाँ पहुँचाना चाहते हैं।
यह सत्य है कि पिछली सरकारें सत्ता सुख भोगने से इतर, चाटूकारों के बीच
घिरे रहने से इतर देश की जनता के लिए जमीनी स्तर पर मूलभूत ढ़ाँचे के लिए
यदि कुछ कार्य कर लेतीं तो आज देश की जनता की हालत इतनी दयनीय एवं
दुर्लभ नहीं होती। लेकिन, शर्म की बात है कि देश के नेतागण सत्ता प्राप्ति के बाद
सत्ता सुख भोगने एवं अपने चाटुकारों के बीच ही घिरे रहे। देश में दबा हुआ व्यक्ति
और दबता चला गया। गरीब और गरीब होता चला गया। किसान संकट से और
संकट की ओर जूझता चला गया। देश की बड़ी आबादी भुखमरी, गरीबी, कंगाली के
बीच घिरती चली गई परन्तु, देश का शीर्ष नेतृत्व अपनी आँख मूँदे हुए बैठा रहा।
यह सत्य है। इसे नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि, इतनी अधिक समस्याएं एक ही
दिन में आकाश से नहीं कूद पड़ीं हैं। यह समस्याएं धीरे-धीरे इस समाज में अपने
पैर पसारती चली गयी, और विशाल एवं विचित्र रूप धारण करके इस पूरे समाज
को अपने प्रकोप में घेर लिया। उदाहरण के रूप में जैसे शरीर पर किसी एक छोटे
से चोट के निशान को बिना उपचार छोड़ दिया जाए, कुछ समय के पश्चात वह
छोटा निशान एक विशाल घाव की भाँति शरीर पर अपना रूप धारण कर लेता है।
जिसका ईलाज कर पाना अत्यंत जटिल हो जाता है। ठीक यही परिस्थिति देश की
सभी समस्याओं की है। आज पूरा देश समस्याओं से जूझ रहा है उसका मुख्य
कारण यही है। इससे इतर और कुछ नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत सन् 1857 के आंदोलन की
एकता को याद करते हुए आरम्भ की, मोदी ने कहा कि उस समय को याद कीजिए
जब देश में फिरंगी शासनकाल था। लेकिन उस अंग्रेजी शासन से मुक्ति हेतु देश
की जनता ने बहुत बड़ा त्याग किया। भारत की जनता ने कंधो से कंधा एवं कदम
से कदम मिलाकर एक साथ चलने का कार्य किया। उस समय किसी ने भी जाति-
पात अथवा भेदभाव का सुर नहीं अलापा। पूरे देश की जनता ने एक होकर अंग्रेजी
शासन के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया, जिसमें देश के सभी जाति एवं सभी धर्म के
लोग शामिल थे, सभी देश वासियों ने एक होकर बढ़-चढ़कर देश की आजादी में
हिस्सा लिया। अगर किसी ने चर्खा चलाया तो देश की आजादी के लिए, अगर
किसी ने खादी पहना तो देश की आजादी के लिए, अगर किसी ने विदेशी सामानों
का त्याग किया तो देश की आजादी के लिए, अगर किसी ने विदेशी कपड़ो को
जलाया तो देश की आजादी के लिए।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार अब ‘नयी ऊर्जा के साथ, नए भारत के
निर्माण के लिए नयी यात्रा’ शुरू करेगी। मोदी ने एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों से
बिना भेदभाव के साथ काम करने को कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने (एनडीए) का नेता
चुने जाने के बाद अपने करीब 75 मिनट के भाषण में अल्पसंख्यकों का विश्वास
जीतना आज के समय की सबसे सख्त जरूरत बताया। मोदी ने कहा कि वोट-बैंक
की राजनीति में भरोसा रखने वालों ने अल्पसंख्यकों को डर में जीने पर मजबूर एवं
विवश किया। अल्पसंख्यक समुदाय के अंदर एक काल्पनिक भय का वातावरण पैदा
किया गया। हमें इस भय एवं छल को सदैव के लिए समाप्त करना है। हमें सबको
साथ लेकर चलना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘2014 में मैंने कहा था, मेरी
सरकार इस देश के दलित, पीड़ित, शोषित, आदिवासी, अल्पसंख्यक सभी को
समर्पित है। मैं आज फिर से वही कहना चाहता हूं, मैंने पांच साल के कार्यकाल में
अपने उद्देशों को मूलभूत ढ़ाँचे से भटकने नहीं दिया। 2014 से 2019 तक हमने
प्रमुख रूप से गरीबों की लड़ाई लड़ी है। और आज मैं यह गर्व से कह सकता हूं कि
यह सरकार गरीबों ने ही बनाई। गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में
हमने छेद करने का कार्य किया है। हम उसमें सफल हुए हैं। हमारी सरकार सीधे-
सीधे गरीबों के द्वार पहुँची है। हमारे देश पर आज जो गरीबी का टैग लगा हुआ है
उससे हमे अपने देश को मुक्त करना है। गरीबों के हक के लिए हमें जीना और
जूझना है। गरीबों के लिए हमें अपना जीवन खपाना है।
मोदी ने साफ शब्दों में अपने भाषण में कहा कि गरीबों के साथ जैसा छल
हुआ वैसा ही छल देश की माइनॉरिटी के साथ हुआ है। यह बहुत ही दुर्भाग्य की
बात है। यह बड़े ही दुखः की बात है। अच्छा होता कि पिछली सरकारें माइनॉरिटी
के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य की चिंता करतीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं 2019
में आपसे अपेक्षा करता हूँ कि आप इस छल को भेदने में मेरा साथ देंगे। क्योंकि,
हमें इस छल को पूरी तरह से भेदना है, हमें इस छल में छेद करना है। क्योंकि,
हमें सभी का विश्वास जीतना है। आज हम सभी संविधान को साक्षी मानकर यह
संकल्प लें कि देश के सभी वर्गों को नई ऊंचाइयों पर हम एक साथ लेकर जाएंगे।
पंथ-जाति के आधार पर हमारी सरकार में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। मोदी ने
कहा कि हम सबको एक साथ लेकर 21वीं सदी का हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं। हमें
भारत को 21वीं सदी की ऊंचाइयों पर ले जाना है। सबका साथ, सबका विकास और
अब सबका विश्वास ही हमारा मूल मंत्र है। स्वच्छता अगर देश का
जनआंदोलनकारी मुद्दा बन सकती है तो समृद्ध भारत का भी मुद्दा एक बड़ा
जनआंदोलन बन सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे बड़ी बात यह कही कि हम सरकार में कुछ करने के
लिए नहीं, अपितु हम बहुत कुछ करने के लिए आए हैं। 21वीं सदी भारत की सदी
बने, यह हम सभी लोगों का दायित्व है। इस देश की जनता ने हम सबको जो
दायित्व दिया है उसे हम सबको पूरी ईमानदारी के साथ निभाना है। क्योंकि, यह
दायित्व कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं, यह हमारी संयुक्त जिम्मेवारी है। मोदी ने सभी सांसदो
को भरोसा दिलाते हुए कहा कि आप निश्चिंत रहें, चोट झेलने की जिम्मेवारी मेरी
है, सफलता का श्रेय प्राप्त करने का हक आपका है। सभी प्रकार की प्रशांसाएं
आपके हिस्से में तथा सभी प्रकार की आलोचनाएं मेरे हिस्से में। लेकिन, आप पूरी
ईमानदारी के साथ बिना किसी प्रकार का भेदभाव किए देश की जनता के लिए
समर्पित रहें। मोदी ने सभी सांसदों से फिर आगे कहा कि आप देश के हर वर्ग, हर
समुदाय, हर जाति, हर धर्म के कल्याण हेतु कार्य करें। जिन्होंने आपको वोट दिया
है उनके लिए भी जिन्होंने आपको वोट नहीं दिया उनके लिए भी। क्योंकि, हमें वह
नहीं करना है जोकि पिछली सरकारों ने देश की गरीब जनता एवं अल्पसंख्यक
समुदाय के साथ किया है। हमें किसी भी समुदाय को अपना वोट बैंक नहीं बनाना
है। हमें वोट की राजनीति नहीं करनी है। हमें हृदय से सबके लिए कार्य करना है।
हमें सभी देश वासियों का विश्वास जीतना है। हमें सबका साथ सबका विकास के
साथ सबका विश्वास भी जीतना है। क्योंकि, भारत का संविधान हमारे लिए सर्वोपरि
है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्ता में रहते हुए लोगों की सेवा करने से बेहतर अन्य
कोई मार्ग कदापि नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने उक्त सभी बातें संसद के
सेंट्रल हॉल में एनडीए के सांसदों के बीच कही है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण
में सभी सांसदो को साफ संदेश देते हुए कहा कि हम उनके लिए हैं जिन्होंने हम
पर भरोसा किया, हम उनके लिए भी हैं जिनका विश्वास हमें अभी जीतना है।
वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण के दौरान एक महान गुरू की भूमिका
में नजर आ रहे थे, प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को बहुत बड़ी बात कह दी जोकि
आज की राजनीति का बहुत बड़ा मुद्दा है। क्योंकि, आज के समय में देश के
अधिकतर राजनेता सादगी से दूर, वैभव एवं वर्चस्व की ओर बड़ी ही तीव्रता के साथ
गतिमान हैं। मोदी ने इस पर अंकुश लगाने के लिए सभी को वीआईपी संस्कृति से
बचने को कहा। उन्होंने कहा कि सांसदों को जरूरत पड़ने पर अन्य नागरिकों की
तरह कतारों में भी खड़ा होना चाहिए। मंत्रिपरिषद के नामों को लेकर चल रही
अटकलों पर मोदी ने सांसदों से कहा कि ऐसी बातों पर कदापि भरोसा नहीं करें।
क्योंकि, नियमों के अनुसार ही जिम्मेदारी दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी कहा कि
अबतक देश का चुनाव जनता को बांटने का कार्य करता था। अबतक देश का चुनाव
देश की जनता के बीच दूरियां पैदा करने का कार्य करता रहा। लेकिन इस बार
2019 के चुनाव ने लोगों और समाज को जोड़ने का काम किया। प्रधानमंत्री मोदी
कहा कि इस चुनाव में सत्ता समर्थक लहर थी, इसके परिणामस्वरूप सकारात्मक
जनादेश आया। साथ ही मोदी ने एनडीए नेताओं को मीडिया से बातचीत करने में
संयम बरतने की भी सलाह दी और कहा कि सार्वजनिक रूप से दिये गये कुछ
बयान अकसर मुझे परेशान करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 से 2019 तक
गरीबों के लिए सरकार चलाई, मैं कह सकता हूं कि इस बार गरीबों ने सरकार चुनी
है।
वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में शब्दों के माध्यम से जो दृश्य
देश की जनता के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। यदि वह दृश्य पूर्ण रूप
से सभी सांसदों के द्वारा ईमानदारी के साथ जमीनी स्तर पर बिना किसी भी
भेदभाव के साथ अस्तित्व में आ गया तो यह सत्य है कि मोदी देश ही नहीं,
अपितु विश्व के सबसे महान नेताओं की श्रेणी में सबसे आगे खड़े दिखाई देंगे
जिन्होंने अपने राष्ट्र के लिए बुहत कुछ किया है। क्योंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
अपने इस कार्यकाल को एक आंदोलन के रूप में देश के सामने प्रस्तुत किया है।
जोकि गरीबी, निर्धनता, भेदभाव एवं अन्याय के विरूद्ध मुख्य रूप से समर्पित है।
विचारक ।
(सज्जाद हैदर)
आ. सज्जाद हैदर जी .नमस्कार।
आप की मौलिक सोच से प्रभावित हूँ।
इसी वैचारिक पृष्ठ भूमि पर भारत छल्लांग लगा कर विश्व में अग्र स्थान पा सकता है।
सारी दुनिया संघर्ष से (आपसी स्पर्धा से) आगे बढना चाहती है; वहाँ भारत पहले समन्वय और भाई चारे की वकालत करता है।
मोदी जी के शब्दों में मुझे यही विशेषता दिखाई देती है।
आप का स्वतंत्र दृष्टिकोण अभिव्यक्त करते रहें।
लिखते रहें।
सबका साथ, सबका विकास के लिए, सबका विश्वास ही आधार हो सकता है।
डॉ. मधुसूदन