बेहतर संविधान की तलाश में

हमारे नेतृत्व द्वारा भारतीय संविधान की भूरी-भूरी प्रशंसा की जाती है और कहा जाता है कि हमारा संविधान विश्व के श्रेष्ठ संविधानों में से एक है| वास्तविकता क्या  है यह निर्णय पाठकों के विवेक पर छोडते हुए लेख है कि हमारा संविधान ब्रिटिश संसद के भारत सरकार अधिनयम,1935 के प्रावधानों से  काफी कुछ मेल खाता है| विश्व में तुर्की गणराज्य जैसे ऐसे छोटे देश भी हैं जिनके संविधान में वास्तव में जनतांत्रिक, सुन्दर और स्पष्ट  प्रावधानों का समावेश है जो हमारे संविधान में मौजूद नहीं हैं| यह भी स्मरणीय है कि तुर्की की प्रति व्यक्ति आय भारत से आठ गुणा है व विश्व में इस दृष्टि से तुर्की का स्थान 57 वां और भारत का स्थान 138 वां है|

तुर्की के संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह संविधान अमर तुर्की राष्ट्र और मातृभूमि व तुर्की राज्य की  अविभाज्य एकता की पुष्टि करता है| इसमें तुर्की गणराज्य के अनंत अस्तित्व, समृद्धि और भौतिक व आध्यात्मिक कुशलता  की रक्षा करने, और विश्व राष्ट्र परिवार के समानता आधारित  सम्माननीय सदस्य के रूप में सभ्यता के समसामयिक मानक प्राप्त करने के लिए दृढ संकल्प समाविष्ट है |

समस्त तुर्की नागरिक राष्ट्रीय सम्मान और गौरव, राष्ट्रीय खुशी एवं दुखः में, राष्ट्रीय अस्तित्व के प्रति अपने अधिकारों व कर्तव्यों में, और प्रत्येक राष्ट्रीय जीवन में संगठित हों और उन्हें एक दूसरे के अधिकारों व स्वतंत्रता, आपसी प्रेम व साह्चर्यता  पर आधारित शांतिमय जीवन की मांग करने का अधिकार है और “घर में शांति, विश्व में शांति” में विश्वास करते और  चाहते हैं| एतदद्वारा तुर्की देश द्वारा यह संविधान उसके  जनतंत्र प्रेमी बेटों और बेटियों की  देशभक्ति और राष्ट्रीयता  को समर्पित किया जाता है| तुर्की  गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 10 में कहा गया है कि समस्त व्यक्ति कानून के समक्ष भाषा, जाति, रंग, लिंग, राजनैतिक विचार, दार्शनिक आस्था, धर्म, समुदाय या अन्य किसी आधार पर बिना भेदभाव के समान हैं| जबकि भारत में निवास स्थान के आधार पर नौकरियों में भेदभाव किया जाताहै और समानता का दायरा  भी व्यापक न होकर अत्यंत सीमित है|

तुर्की के संविधान में पुरुष और नारी के समान अधिकार हैं| राज्य का यह दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करे कि यह समानता व्यवहार में विद्यमान रहती है| किसी भी व्यक्ति, परिवार, समूह या वर्ग को कोई विशेषाधिकार नहीं दिया जायेगा| राज्य अंग और प्रशासनिक प्राधिकारी अपनी समस्त कार्यवाहियों में समानता के सिद्धांत का अनुसरण करेंगे| जबकि भारत में समानता  का ऐसा स्पष्ट  और व्यापक प्रावधान नहीं है| अनुच्छेद 11 में आगे कहा गया है कि इस संविधान के प्रावधान विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायिक अंग तथा प्रशासनिक और अन्य संस्थाओं व व्यक्तियों पर बाध्यकारी मौलिक कानूनी नियम हैं| कानून संविधान के टकराव में नहीं होंगे| जबकि भारत में संवैधानिक कानून का ऐसा स्पष्ट  और व्यापक प्रावधान नहीं है|

तुर्की  के संविधान के अनुच्छेद 17 के अनुसार प्रत्येक को जीवन और सुरक्षा का अधिकार है व अपने  भौतिक और आध्यात्मिक विकास का अधिकार है| जबकि भारत में सुरक्षा के विषय में ऐसे  स्पष्ट  और व्यापक प्रावधान का अभाव है और आवश्यक होने पर पुलिस सुरक्षा भुगतान करने पर उपलब्ध करवाई जाती है| किसी को भी यातना या दुर्व्यवहार के अध्यधीन नहीं किया जायेगा , किसी को भी मानवोचित गरिमा से भिन्न दण्ड या व्यवहार से बर्ताव नहीं किया जायेगा| जबकि भारत में यातना  के विषय में किसी भी  प्रावधान का अभाव है और पुलिस द्वारा यातानाओं को भारतीय जीवन का आज एक सामान्य भाग कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगा|  अभी हाल ही तरन तारन पंजाब में  महिला की सरे आम पिटाई के मामले में जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में भी इसे आम बात बताया गया है|

तुर्की के संविधान के अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि मात्र वे व्यक्ति जिनके विरुद्ध अपराध करने के पुख्ता प्रमाण हों को सिर्फ पलायन, या प्रमाणों का विनाश  रोकने, या प्रमाण के साथ छेड़छाड रोकने  मात्र  के उद्देश्य जैसी परिस्थितियों जो बंदी बनाना आवश्यक बनाती हैं और कानून द्वारा निर्धारित हैं, में न्यायधीश के निर्णय से ही गिरफ्तार किया जा सकेगा| जबकि भारत में गिरफ़्तारी  के विषय में किसी भी  अलग कानून  का अभाव है और पुलिस द्वारा किसी को कहीं भी कोई (मनगढंत) आरोप लगाकर गिरफ्तार किया जा सकता है| भारत में तो पुलिस ने नडीयाड में मजिस्ट्रेट को भी गिरफ्तार कर उसे जबरदस्ती शराब पिलाकर उसका सार्वजानिक जूलुस भी निकाल दिया था तो आम आदमी कि तो यहाँ औकात ही क्या है| तुर्की में न्यायाधीश के आदेश के बिना गिरफ़्तारी मात्र ऐसी परिस्थिति में ही की जायेगी जब किसी व्यक्ति को अपराध करते पकड़ा जाता है या विलम्ब करने से न्याय मार्ग में व्यवधान पहुंचना संभावित हो, ऐसी परिस्थितियां कानून द्वारा परिभाषित  जाएँगी| जबकि भारत में गिरफ़्तारी की आवश्यकता के विषय में संवैधानिक प्रावधान तो दूर किसी भी  अलग कानून में ऐसी परिस्थितियां के वर्णन का अभाव है|

तुर्की के संविधान के अनुच्छेद 26 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचारों व मत को भाषण द्वारा, लिखित में या चित्रों से या अन्य संचार माध्यमों से, व्यक्तिगत या सामूहिक रूप में  व्यक्त करने और प्रसारित करने का अधिकार है |इस अधिकार में बिना शासकीय हस्तक्षेप के सूचना व विचार  प्राप्त करना और देने का अधिकार समाहित है| तुर्की के संविधान में व्यक्तियों और राजनैतिक पार्टियों को, सार्वजानिक निगमों द्वारा रखी जाने वाली प्रेस को छोड़कर, संचार माध्यमों और संचार के साधनों को प्रयोग करने का अधिकार है| प्रत्येक व्यक्ति को बिना पूर्वानुमति के निशस्त्र और शांतिमय सभा व प्रदर्शन जुलूस अधिकार है| भारत में सभा, प्रदर्शन, जुलूस आदि के लिए पूर्वानुमति आवश्यक है पुलिस को उसके बावजूद भी रामलीला मैदान में रावणलीला खेलने का निर्बाध अधिकार है| मृत्युदण्ड  और सामान्य जब्ती को दण्ड  के रूप में लागू नहीं किया जायेगा| भारत में ऐसे प्रावधान का अभाव है|

2 COMMENTS

  1. क्रान्ति की गैस दिनोदिन बनती रहती है. जब दवाब एक सीमा से अधिक बढ़ जाता है तो सतह पर वास्तविक क्रान्ति होती है. लेकिन १९४७ में जो क्रान्ति हुई उससे गैस का दवाब रिलीज तो हुआ, लेकिन व्यवस्थाए अपेक्षित रूप से परिवर्तन न हो पाई. आज भी हम ब्रिटेन+अमेरिका के गुलाम है.

  2. विचार उत्तेजित करनेवाला आलेख लिखकर मणीराम शर्मा जी ने अच्छी पहल की है।
    मैं नहीं जानता. कि, इस प्रकार के आलेख कहीं और छपते है, क्या?
    प्रवक्ता भी ऐसे अद्वितीय विषयों पर आलेख प्रसारित करने के लिए धन्यवाद का भागी है।
    हमारे संविधान पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
    संविधान राष्ट्र की रक्षा, प्रगति, समृद्धि में सहायक होना चाहिए।
    अन्य पाठक और जानकार अवश्य टिप्पणी दें।
    लेखक को अनेकानेक धन्यवाद।

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