भारतीय अर्थव्यवस्था और संप्रग रिपोर्ट कार्ड

-अशोक हांडू

भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुरूप मानसून ने 31 मई 2010 को केरल के तट पर दस्तक दी। वैश्विक आर्थिक संकट और सूखे के कठिन दौर से निकलने के बाद इस साल का मानसून देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। अच्छी शुरुआत होने के कारण यह उम्मीद की जा सकती है कि इस बार फसल अच्छी होगी और खाद्यान्न पर कीमतों का जो इस समय दबाव है, वह कम होगा। मानसून धान, अनाज, गन्ने, सोयाबीन, तिलहन आदि के लिए जरूरी है। संयोग से भारत तिलहन का बड़ा आयातक है और दुनिया में चीनी की सबसे ज्यादा खपत यहीं होती है।

संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रथम वर्ष का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने देश को बताया कि केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2009 10 के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.4 प्रतिशत है। यह दर पहले आकलन की गई 7.2 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है। इससे इस बात को बल मिलता है कि इस साल विकास दर 8.5 प्रतिशत के आसपास होगी और आने वाले साल में इसके दो अंकों में हो जाने की पूरी संभावना है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह लोगों को गरीबी और कुपोषण से निकालने के लिए जरूरी है।

वास्तव में पिछले छह माह में देश में उत्तरोत्तर सुधार दर्ज किया गया। पिछली तिमाही खासतौर से अच्छी रही क्योंकि इस दौरान निर्माण क्षेत्र में 16.3 प्रतिशत विकास दर्ज किया गया जबकि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान यह मात्र 0.6 प्रतिशत थी। पिछले छह माह में निर्यात में लगातार बढोत्तरी हो रही है, और इस क्षेत्र ने अप्रैल में 36 प्रतिशत की शानदार वृध्दि दर्ज की। ऐसा उस दौरान हुआ जब 13 माह तक लगातार निर्यात में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था को बुरे दिन देखने पड़े। अप्रैल में आयात में भी 43 प्रतिशत की बढोतरी हुई जिसके कारण व्यापार घाटा 10 अरब डॉलर के ऊपर रहा, 27.3 अरब डॉलर के आयात बिल और निर्यात आय 16.9 अरब डॉलर। वर्ष 2009 10 में भारतीय निर्यात 4.7 प्रतिशत गिरा। मौजूदा साल में हमारा निर्यात में 15 प्रतिशत वृध्दि का लक्ष्य है।

सबसे ज्यादा अचरज तो कृषि क्षेत्र में हुआ जहां हम .02 प्रतिशत की त्रऽणात्मक वृध्दि की संभावना व्यक्त कर रहे थे। इस क्षेत्र में .02 प्रतिशत की सकारात्मक वृध्दि दर्ज की गई।

इसी पृष्ठभूमि में यह रिपोर्ट कार्ड समीक्षा वर्ष में भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कार्यनिष्पादन वाले देशों में से एक बताता है, खासतौर से अपवाद स्वरूप ऐसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण समय में संभव हुआ है जिसका हमने सामना किया है। लेकिन प्रधानमंत्री ‘आगे आने वाली जबरदस्त चुनौतियों’ तथा ‘क्षितिज में मौजूद अनिश्चितताओं’ के मद्देनज़र सावधानी के साथ इस बारे में आशावादी थे।

मुद्रास्फीति, मूल्य वृध्दि और वित्तीय घाटा निरंतर चिंताजनक बने हुए हैं। हालांकि मई में मुद्रास्फीति मामूली कम हुई है जो फरवरी में 10.1 प्रतिशत थी लेकिन यह अब भी चिंता का कारण है। शुक्र है कि सरकार को विश्वास है कि यह वर्ष के आखिर तक घटकर 5.5 प्रतिशत रह जाएगी। इसलिए रिपोर्ट कार्ड अंशशोधित ढंग से वित्तीय समझदारी के पथ पर लौटने की आवश्यकता की बात करता है। यह उस उच्च वित्तीय घाटे को भी कम करेगा जिसका सामना हम वित्तीय और मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों के जरिए अर्थव्यवस्था में भारी मात्रा में नकदी जारी करने के कारण कर रहे हैं। यह कब और कैसे होना है इसका निर्णय रिजर्व बैंक को करना है।

यूरोपीय क्षेत्र में त्रऽण की समस्या भारत को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकती है मगर यदि संकट गहराता है तो इससे यूरोपीय मांग में गिरावट आएगी और हमारे निर्यात पर इससे फिर दबाव बनेगा। आरबीआई के गवर्नर को विश्वास है कि यदि यूनान संकट से कोई असाधारण दबाव बना तो हमारा अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार हालात से निपटने में समर्थ होगा।

मूल्य वृध्दि के मामले में प्रधानमंत्री ने खुशी प्रकट की कि हाल के सप्ताहों में कीमतें कम होनी शुरू हुई हैं तथा उम्मीद प्रकट की कि यह रूझान जारी रहेगा। लेकिन वे शीघ्र ही यह भी जोड़ते हैं कि इसके लिए करीबी और सावधानीपूर्वक निगरानी की ज़रूरत होगी जो की जाएगी तथा मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए जो भी आवश्यक होगा सही कदम उठाए जाएंगे। मुद्रास्फीति और बढी क़ीमतें अर्थव्यवस्था की वृध्दि के लिए संकट बनी हुई हैं।

लेकिन यदि आर्थिक वृध्दि समावेशी नहीं है तो भारत जैसी ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लिए ऐसी वृध्दि का कोई मतलब नहीं है। इसीलिए रिपोर्ट कार्ड समाज और अल्पसंख्यकों के वंचित वर्गों की प्रगति पर विशेष बल देता है। यह हमारे समाज के इस वर्ग के कल्याण के लिए कार्य जारी रखने की सरकार की प्रतिबध्दता दोहराता है। महिलाओं का सशक्तीकरण और शिक्षा सरकार के ऐसे वरीय क्षेत्र हैं जिनसे यह हासिल किया जाएगा।

रिपोर्ट कार्ड कहता है कि भारत निर्माण, मनरेगा, और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसे सरकार के प्रमुख कार्यक्रम अच्छी प्रगति कर रहे हैं तथा वास्तव में अपना प्रभाव डाल रहे हैं। उनका आशावाद संभवत: हालात की सही अभिव्यक्ति है। (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,237 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress