लेख

 भारतीय ‘बुरी नज़रें ‘ उतारता चाइनीज़ ‘नज़र बट्टू ‘  

निर्मल रानी

चीन निः संदेह इस समय न केवल विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है बल्कि विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका से भी हर क्षेत्र में दो दो हाथ करने की तैयारी में जुटा हुआ है। हम चाइनीज़ को अपने ‘ज्ञान’  अथवा सूचना के अनुसार या भारतीय मीडिया से प्राप्त आधी अधूरी जानकारी के आधार पर चाहे कम्युनिस्ट कहें नास्तिक कहें या विस्तारवादी देश कह कर संबोधित करें परन्तु वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर चीन के न केवल विस्तार अपितु लगभग पूर्ण  वर्चस्व व नियंत्रण ने यह साबित कर दिया है कि भले ही अनेक देशों की सत्ता,वहाँ के राजनेता अपने देशवासियों में राष्ट्र भक्ति का संचार कर चीन निर्मित सामानों की बिक्री के बायकॉट का राग अलापते रहें परन्तु उन देशों की जनता संभवतः अब चाइनीज़ निर्मित सामानों के इस्तेमाल के बिना रह ही नहीं सकती। 

                                                              उधर चीन के व्यवसायिक रणनीतिकारों की भी तारीफ़ करनी पड़ेगी कि उन्होंने भी दुनिया की ‘भीड़’ रुपी जनता की ‘पसन्दीदगी ‘ वाली नब्ज़ बख़ूबी पकड़ रखी है। उदाहरण के तौर पर जो चीन ख़ुद धार्मिक विश्वास या अंधविश्वास ,यहाँ तक कि देवी देवता ,पूजा पाठ,नमाज़ इबादत आदि पर विश्वास नहीं करता परन्तु वही चीन विश्व बाज़ार के माध्यम से दुनिया के सभी धर्मावलंबियों,विश्वासियों व अंधविश्वासियों की लगभग हर ज़रुरत पूरी करने की कोशिश ज़रूर करता है। उदाहरण के तौर पर चीन के शिनजियांग प्रांत में लगभग एक करोड़ 20 लाख वीगर रहते हैं। इनमें से ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। ख़बरें आती रहती हैं कि चीन किस तरह अपने ही देश के वीगर मुसलमानों पर अत्याचार करता है ,उनको अपने धार्मिक रीति रिवाज मनाने नहीं देता। यहाँ तक कि वीगर मुसलमानों के नरसंहार और उन्हें डिटेंशन सेंटर में बंद कर उन्हें यातनायें देने तक की ख़बरें आती रही हैं। परन्तु वही चीन दुनिया के मुसलमानों का इतना ‘ख़याल ‘ करता है कि उनके लिये सिर ढकने की टोपी,नमाज़ पढ़ने का मुसल्ला,जानिमाज़ यहां तक कि अल्लाह का नाम जपने वाली रंग बिरंगी यहाँ तक कि रात के अँधेरे में चमकने वाली तस्बीह तक पूरी दुनिया के इस्लामिक देशों में निर्यात करता है। 

                                                         इसी तरह भारतीय बाज़ार में दीपावली जैसी देश की सबसे बड़ी बाज़ार व्यवस्था पर चीन अपना नियंत्रण गत लगभग दो दशक से किये बैठा है। छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी रंगीन व आकर्षक आतिशबाज़ी हों या लाइट्स या देवी दवताओं की मूर्तियां या पोस्टर्स,धर्मस्थलों पर बिकने वाले छोटे बड़े गिफ़्टआइटम हों या गिफ़्ट हाउसेज़ में बिकने वाले सस्ते से लेकर मंहगे से मंहगे सामान, अधिकांशतः सब चीन निर्मित ही हैं। हद तो यह है कि नज़र बट्टू जैसा अंधविश्वास पूर्ण आइटम जो हमारे देश में एक दूसरे की बुरी नज़र लगने से बचने के उद्देश्य से लोग अपने घरों,दुकानों या अन्य कई जगहों पर लटकाते हैं वह भूत नुमा नज़रबट्टू भी तरह तरह की डिज़ाइन में यानी ‘स्मार्ट नज़रबट्टू’ भी चीन भारत जैसे देश में बड़ी संख्या में निर्यात कर रहा है। मेड इन चाइना नज़रबट्टू यानी प्लास्टिक के निम्बू व हरी मिर्च भी बाज़ारों में भरे पड़े हैं। इसलिये यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भारतीय लोगों द्वारा अपने ही भारतीयों पर डाली जाने वाली  ‘बुरी नज़रें ‘ मेड इन चाइना  ‘नज़र बट्टू,स्मार्ट भूत और प्लास्टिक के निम्बू व हरी मिर्च उतार रहे हैं।                                                                                 निर्मल रानी