विश्ववार्ता

भारत की कमजोर विदेश नीति का परिणाम चीनी घुसपैठ : मयंक चतुर्वेदी

china-indiaचीन ने फिर एक बार भारत को कमतर आंकते हुए उसकी सीमाओं के अंदर घुसपैठ कर भारतीय क्षेत्र में लाल निशान लगाकर और जगह-जगह चीन लिखकर इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वह अपने साम्राज्यवादी विस्तार के लिए स्वतंत्र है। उस पर कोई अंतरराष्ट्रीय कानून लागू नहीं होते, न वह अपने पडोसियों को कहीं गिनता है। चीन पूरी तरह स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय दबाव से मुक्त एक ऐसा देश है, जिसके जो मर्जी में आएगी वह करेगा।

यह पहला अवसर नहीं है, जब चीन ने भारतीय सीमाओं के अंदर घुसने की कोशिश की है। भारतीय सेना के सामने इस बात के ट्रोक साक्ष्य मौजूद हैं कि पिछले एक माह के अंदर चीनी हेलीकाप्टर 24 बार भारत की सीमा में घुसे हैं। भारत के लद्दाख क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन मानो चीन का शगल बन गया हो, उसके सैनिक इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा माने जाने वाले माउन्ट ग्या के पास भारतीय हिस्से में 15 से लेकर 17 यानि डेढ किलोमीटर तक घुसकर लाल रंग से चीन लिख जाते हैं और जिस पर भारत का विदेश मंत्रालय उसे गंभीरता से लेना तो दूर उसे सामान्य घटना मानकर टालने की कोशिश करता है। इसका कम से कम कोई देश भक्त भारतीय तो समर्थन नहीं करेगा।

वस्तुत: यह वह क्षेत्र है, जो जम्मू-कश्मीर में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश में स्पीति और तिब्बत को आपस में जोडता है। बि’टिश काल 1914 में भारत-चीन के बीच हुए शिमला समझौते में मैकमोहन रेखा को दोनों देशों के बीच की सीमा मान लिया गया था, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी के शासन के बाद चीन के इरादे बदल गए, उसने मैकमोहन रेखा को नामंजूर करते हुए लद्दाख पर अपना दावा जताया। भारत इसमें उलझा रहा और उसने तब तक तिब्बत को हडप लिया। भारतीय हिस्सा जो अब अक्साई चीन के नाम से जाना जाता है, जिसका आकार 30 हजार वर्ग किमी है को चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर अपने कब्जे में ले लिया। हिन्दुस्तान के पूर्वी क्षेत्र में दोनों देशों के बीच दो तरह की सीमाएं हैं, वैसी ही जैसी भारत-पाकिस्तान के बीच में है। अक्साई चीन के साथ का क्षेत्र जिस लाइन से बंटा है, उसे लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल कहा जाता है, जिसका कि सीमांकन अभी तक नहीं हो सका है। चीन की सेना इसका फायदा उठाती है और जब मर्जी में आता है, वह भारत के अंदर तक घुसी चली आती है।

भारत के पास इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि चीन ने जो भारत से युध्दा कर हजारों वर्ग किलोमीटर की जमीन हडपी है वह कहीं से भी कभी चीनी हिस्सा नहीं रहा है। इसके अलावा आज जिस 25 हजार वर्ग किलोमीटर पर वह अपना दावा ठोक रहा है वह तो विशुध्दा रूप से भारत का ही हिस्सा है। प्राय: सिक्किम-तिब्बत सीमा छोड जो कहीं न कहीं चीन से जुडी सीमाए हैं, उस सभी हिस्से में चीन ने किसी न किसी स्तर पर सीमा विवाद खडा कर रखा है। क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा चार हजार 56 किलोमीटर लम्बी है। उसने अभी अक्साई चीन पर जो भारत का ही हिस्सा है, पर पूरी तरह कब्जा कर रखा है। भारत और चीन के बीच चार हजार किलोमीटर की जो सीमा रेखा है, सैन्य रपटों के अनुसार पिछले वर्ष चीनियों ने 223 बार भारतीय सीमा में घुसकर अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन किया था। इस वर्ष सिर्फ अगस्त माह में ही चीनी सैनिकों ने अवैध रूप से भारतीय सीमा के अंदर प्रवेश कर अंतरराष्ट्रीय नियमों की धज्जियां उडा दीं। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के घुसपैठिए केवल भारतीय सीमा में प्रवेश करने तक ही सीमित नहीं रहे, वे जम्मू-कश्मीर के लेह इलाके से भारतीय सैनिकों के लिए रखा पेट्रोल और डीजल भी अपने साथ ले गए। इसी क्षेत्र में दो चीनी हेलिकोप्टरों ने हिमालयी कस्बे के चुमार इलाके में डिब्बा बंद खाना गिराया। लद्दाख के डमडोग और ट्रिग पहाडियों में यह चीनी हेलिकाप्टर आए दिन आते-जाते रहते हैं।

भारतीय सेना के अधिकारियों ने ट्रोक बार इस बात के लिए केन्द’ सरकार को आगाह किया है कि यदि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और चीन सीमा विवाद के बीच अपने तर्कों को प्रभावपूर्ण तरीके से नहीं रखेगी तो आने वाले समय में चीन अक्साई क्षेत्र की तरह कई भारतीय इलाकों को हडप जाएगा। यह अंदेशा जताने के बाद भी केन्द’ की कांग’ेसनीत संप्रग सरकार है कि जागती ही नहीं, उस पर सेना की बात का कोई असर नहीं होता, बल्कि हमारे देश के विदेश मंत्री उलटे चीन की बकालत करने लगते हैं