संघ के इन्द्रेश मुसलमानों के शत्रु हैं या उनके चहेते?

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-मंगलमय

संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश को जो लोग थोडा बहुत जानते हैं, वे उनके नाम का उच्चारण करने से पहले स्वतः ही आदरणीय शब्द लगा लेते हैं. जो उनके बारे में काफी कुछ जानते हैं, वे उन्हें परम आदरणीय कहते हुए उनका नाम लेते हैं तथा उनके निरंतर संपर्क में रहने वाले उन्हें माननीय इन्द्रेश जी कहा करते हैं.

हरियाणा स्थित कैथल के अपने अत्यंत प्रतिष्ठित और धनाढ्य परिवार से लगभग चार दशक पूर्व विरक्त होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में जीवन भर अविवाहित रहते हुए देश सेवा का संकल्प लेने वाले इन्द्रेश देश हित के विभिन्न कार्यों में सदैव सक्रिय रहते हैं और संघ के अनेक बड़े प्रकल्पों से जुड़े रहते हैं. वे अपनी बहु आयामी प्रतिभा के दम पर अपने हाथ में लिए गए लगभग सभी कठिन कार्यों को कुशलतापूर्वक संपन्न कर दिखाते हैं. उन्होंने पिछले कुछ ही वर्षों में लाखों देशभक्त मुसलमानों को राष्ट्रहित में एकजुट करके दिखाया है.

अपने देश के वे सभी नेता, जो आजकल एक नए छद्म सेकुलर धर्म के अनुयायी बन गए हैं, एक ही सामूहिक एजेंडे को लेकर चल रहे हैं और वह है- देश में विभिन्न मत, सम्प्रदाय और जातियों के लोगों में अलगाव की भावना उत्पन्न करना, समाज को तोड़ना और लोगों को मूर्ख बनाकर उन्हें आपस में लड़वाते हुए सत्ता से चिपके रहना.

संघ के इन्द्रेश देश के समाजभंजक नेताओं के राष्ट्रविरोधी एजेंडे की राह में एक बहुत बड़ा रोड़ा हैं. वे देश के छद्म सेकुलर नेताओं की आँखों में सदा से ही रड़कते रहे हैं, परन्तु आजकल तो वे मानों उनकी आँखों की किरकिरी ही बन गए हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि कुछ ही वर्ष पहले इन्द्रेश ने देश में हिंदू-मुसलमान के बीच पनपने वाले शत्रु भाव को मिटाने का बीड़ा उठाया था और इन दिनों वे देश में हिंदू-मुसलमान के बीच वैमनस्य की दीवारें गिराने में जुटे हुए हैं और अपने लक्ष्य में लगातार सफलता प्राप्त करते जा रहे हैं. इन्द्रेश ने हज़ारों मुस्लिम परिवारों को संघ के राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ जोड़ लिया है. वे आज के छद्म सेकुलरों के लिए एक बड़ी चुनौती इसलिए हैं, क्योंकि यदि देश में हिंदू और मुसलमान दोनों सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर एकमत होकर एक ही दिशा में चलने लगेंगे तो सेकुलरों की दुकानों पर ग्राहक आने बंद हो जाएँगे. तब हिंदू-मुसलमान के बीच घृणा फैलाने वालों का बाज़ार भाव गिर जाएगा और ऐसे में संभव है देशवासी इन छद्म सेकुलरों पर देशद्रोह के दावे ठोकने लगें और उन्हें सलाखों के पीछे भिजवा दें.

अतः आर एस एस के इन्द्रेश उन सब लोगों के लिए एक मुसीबत बन चुके हैं, जो देशवासियों को हिंदू-मुस्लिम के नाम पर हमेशा लड़वाते रहना चाहते हैं, क्योंकि इन्द्रेश ने देशभक्त मुसलमान बंधुओं का संगठन करने की दिशा में बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है. उन्होंने ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के साथ हज़ारों मौलानाओ और मुस्लिम बुद्धिजीवियों को भी जोड़ दिया है.

इसका एक बड़ा प्रमाण हमने अपनी आँखों से तब देखा, जब दो वर्ष पहले अमरनाथ आन्दोलन के समय जब उमर अब्दुल्ला ने (दुर्योधन की तरह) संसद में घोषणा कर डाली थी कि ‘हम’ कश्मीर की एक इंच भी भूमि अमरनाथ के तीर्थयात्रियों के लिए नहीं देंगे और वहीं पर बैठे हुए राहुल और उसकी गोरी मम्मी सोनिया माइनो (गाँधी?) ने उसकी बात का मौन समर्थन कर दिया था, तो इन्हीं इन्द्रेश के नेतृत्व में देश के हज़ारों राष्ट्रवादी मुसलमान आंदोलित हो उठे थे और वे बाबा अमरनाथ के भक्तों व जम्मू के लोगों को अपना पूरा समर्थन देने के लिए कश्मीर की ओर उमड़ पड़े थे.

उस समय ‘मुस्लिम राष्ट्रीय मंच’ के बैनर तले मुसलमानों का एक विशाल काफिला मार्ग में स्थान-स्थान पर अमरनाथ आन्दोलन के लिए जन-जागरण करता हुआ कश्मीर की ओर चल निकला. उसी दौरान हरियाणा के अम्बाला में देर रात उस काफिले ने अपना पड़ाव डालने का फैसला किया. पड़ाव डालने का निर्णय अचानक होने के कारण ठीक से खाने-सोने की व्यवस्था नहीं थी. कुछ स्थानीय लोगों ने उस काफिले के भोजन की व्यवस्था की. काफिले में शामिल बहुत से मुस्लिम बंधुओं को रात साढ़े ग्यारह बजे के बाद भी सिर्फ रूखा-सूखा भोजन ही उपलब्ध कराया जा सका. व्यवस्था की कमी के कारण काफिले में शामिल जो लोग ओढ़ने-बिछाने का कपड़ा पाए बिना नीचे दरी पर ही सो गए थे, उनमे बहुत से बुद्धिजीवी, मौलाना और हज कमेटियों के प्रमुख भी थे.

इन्द्रेश उस काफिले के साथ नहीं थे. हमें कई घंटे उस काफिले के प्रमुख लोगों के साथ रहने का अवसर मिला और उनसे बातचीत हुई. हमने उस दिन तक संघ के किसी इन्द्रेश का नाम सुना भी न था, परन्तु काफिले के उन मुसलमान भाइयों के मन में इन्द्रेश के प्रति अपार श्रद्धा को देखकर अद्भुत आनंद हुआ और ‘आर एस एस के इन्द्रेश’ से मिलने की प्रबल इच्छा जाग उठी. बाबा अमरनाथ आन्दोलन के समर्थन में मुसलमान बंधुओं के कश्मीर की ओर कूच करने के समाचार कई दिनों तक अख़बारों में प्रकाशित होते रहे.

आगे पहुँचकर, उन मुसलमान बंधुओं को सरकारी दमन के कारण जम्मू-कश्मीर की सीमा पर लाठियां खानी पड़ी और उनमे से बहुत थोड़े ही लोगों को श्रीनगर तक जाने की अनुमति दी गयी थे, शेष सभी को गिरफ्तार कर लिया गया.

हज़ारों मुसलमानों को देशहित में एकजुट करने का यह कार्य इन्द्रेश जी ने कर दिखाया है. कांग्रेस सरकार द्वारा उन पर आरोप लगाने का मुख्य कारण मुसलमानों में उनकी छवि को खराब करने का घिनौना प्रयास ही है. कांग्रेस का यह बेशर्म सिद्धांत है कि राजनीति में सब जायज़ है. इस नाजायज़ राजनीति के फेर में सोनिया के चेलों ने अब देश हित के बारे में सोचना लगभग छोड़ ही दिया है.

संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य इन्द्रेश पर लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है. ये आरोप भले ही देशद्रोही राजनेताओं के कुत्सित इशारों पर घड़े गए हों, परन्तु इन झूठे आरोपों को तैयार करने के लिए जिन पुलिस अधिकारियों पर दबाव डाला गया है, उनमे भी तो देशभक्ति का अंश हैं. वैसे भी झूठ तो झूठ ही रहता है, इसलिए इन झूठे आरोपों में से कोई भी आरोप अदालत में टिका रहने वाला नहीं है.

कांग्रेस ने संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश पर आरोप लगाकर संघ को बदनाम करने के लिए यही समय क्यों चुना, उसके तीन तात्कालिक कारण हैं-

1 . बिहार के चुनाव में गोरी के लाल राहुल की थोड़ी-बहुत इज्ज़त बचाने के लिए स्वयं को आर एस एस का घोर विरोधी सिद्ध करके मुस्लिम वोटों का अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करने का प्रयास करना.

2 . गुलाममंडल खेलों के नाम पर हुई लूट में शीला की दिल्ली सरकार लपेटे में आ रही है, इससे लोगों का ध्यान हटाना.

3 . गुजरात में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया और सभी मुस्लिम और दलितों ने नरेन्द्र मोदी को अपना निर्विवाद नेता घोषित करके सेकुलरों के मुह पर कालिख ही पोत दी, बिहार के लोगों का इस खबर पर ध्यान न जाए, इसलिए मीडिया में एक नया बवाल खड़ा करना.

कांग्रेस के आयातित नेता उस इतिहास की ओर से आँखें मूंदे बैठे हैं, जो कांग्रेस को यह सीख दे सकता है कि संघ पर झूठे आरोप लगाओगे और इसे अनुचित तरीके से दबाने का प्रयास करोगे तो यह पहले से भी अधिक प्रखर और ताकतवर होकर सामने आ खड़ा होगा.

12 COMMENTS

  1. मंगलमय जी ये लेख बहुत बढ़िया है. मैंने इसे दी गई सुचना को पहली बार पढ़ा है. इसमें मेरे लिए काफी कुछ है. वाकई मैंने इन्द्रेश्जी का नाम अभी हाल में ही सुना है. पहले कभी नहीं जनता था. मैं सोचता था इन्द्रेश जी कोई छोटे मोटे RSS कार्यकर्ता होंगे. जिसके द्वारा कांग्रेस RSS बदनाम करना चाहती है. लेकिन अब समझ आया की कांग्रेस ने काफी मोटा शिकार किया है. शायद कांग्रेस यह शिकार पचा न पाए और बदहजमी का शिकार न हो जाये.
    राहुल गाँधी को अपने ननिहाल की राजनीती में भी अपनी भूमिका तलाशनी शुरू कर देनी चाहिए. उसको शरण वहां तो मिलेगी ही. ऐसे लोग भी कितने खुशकिस्मत होते हैं. मन चाह तो देश की राजनीती में हाथ आजमा लिया न मन पड़ा तो इटली की राजनीती तो है ही या फिर कुछ दूसरा भी कर सकते हैं.
    चतुर्वेदी जी ने सही कहा की राष्ट्रीयता की सीमा एक संकीर्ण है. और शायद हम भारतवासी इस राष्ट्रीयता की सीमा को झुठलाने लगे हैं. क्या फर्क पड़ता है की कश्मीर भारत में रहे या पाकिस्तान में या फिर स्वतंत्र रहे? रहेगा तो इंसानों का ही न. और फिर राष्ट्रीयता की हार होगी. अंतर्राष्ट्रीय ताकतों के हाथ हमें मजबूत करनी चाहिए. सीमा से फ़ौज तुरंत हटा लेनी चाहिए.
    आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता मिलनी चाहिए. चीन जमीन कब्जाता है तो कब्जाने दीजिए. अरे जमीन तो वहीँ के वहीँ है. कौन कोई उठा के ले जायेगा?
    भारत का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रहे या फिर सोनिया गाँधी या कार्ला ब्रूनी हमको क्या फर्क पड़ता है. सभी लोग इंसान हैं.
    हाँ अंग्रेजों को भागने की लड़ाई गलत थी क्योंकि यह संकीर्ण राष्ट्रीयता का समर्थन करती थी. सिर्फ लोकतंत्र के लिए लड़ना था. अंग्रेजों का ह्रदय परिवर्तन की जरुरत थी. शायद वो भी नहीं. अंग्रेज आज के नेताओं से लाख अच्छे थे. मैं तो बस कामना करता हूँ की हमारे वो सुनहरे दिन फिर लौट आयें. आहा पाकिस्तान फिर हमारा रहेगा. गोरी मेमों के दर्शन होंगे. और उनसे तहजीब सीखने को मिलेगा. हमारे पूर्वज कितने भाग्यशाली थे जो उनकी मर्यादा और तहजीब करीब से देख गए. इतना धवल तो मैंने आज तक किसी भौतिक वास्तु को भी नहीं देखा. जितना ये अंग्रेज हैं. आज भी वो जहाँ भी जाते हैं. उनको देखने वालों की लाइन लग जाती है.
    वो शासन भी अच्छा था थोड़ी बहुत बुराई तो सब जगह है. लेकिन कुल मिला कर अच्छा था. राहुल भी बिलकुल अंग्रेजों की तरह दीखते हैं. वो अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो एक तो विदेशी सोच होगी उस हिसाब से देश को अनुशासित ढंग से चला पाएंगे. हम तो बस गंवार हैं. हमको कोई हांकने वाला चाहिए. इस देश के नेताओं ने तो बन्थाधर ही कर दिया है. और इस सिस्टम में कोई ढंग का नेता पैदा भी नहीं हो सकता. अच्छा है राहुल. इमानदार है, इस रंग में रंग नहीं है. दीखता भी गजब का है. मैं तो बस राहुल का बेसब्री से इन्तजार कर रहा हूँ. सुना है टेलेंट हंट भी शुरू कर दिया है राहुल बाबा ने. पता नहीं कब मेरे ऊपर उनकी नजर पद जाये!

  2. एक वास्तविक घटना का उल्लेख कर के आपने हमारा ज्ञान बढ़ाया हे, मुस्लिमो में भी धीरे धीरे यह विश्वाश बन रहा हे की हम जब साथ साथ आगे बढेंगे तब ही देश उन्नति कर सकता हे , हिन्दू मुस्लिम दोनों मिल कर जब देश हित राष्ट्र वाद को समर्थन देंगे वो दिन भारत के भविष्य का मिल का पत्थर होगा. मेरे ध्यान में एक समाचार आ रहा जो की राजस्थान पत्रिका में छपा था राम मंदिर के विवाद पर, राष्ट्र वादी मुस्लिम मंच ने मुसलमानों की सर्वोच्च कमिटी से ११ प्रश्न किये थे, जिसे पढ़ कर समझ में आया की अब मुस्लिमो को राजनीतिक लोग ज्यादा नहीं ठग सकते, राष्ट्र हित में जो होना चाहिए वो अब मुस्लिमो में भी स्पष्ठ हो रहा हे. जय हिंद जय भारत

  3. प्रवक्ता का आजका विचार पढा, और इंद्रेश जी पर यह लेख, कितना सार्थक प्रतीत होता है।
    आजका विचार:
    जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो।

  4. बहुत अच्छा लेख लिखा अपने
    आप लेखनी रियल में एक लेखक की लेखनी है सो बेस्ट ऑफ़ लुक्क

  5. संघ के इन्द्रेश मुसलमानों के शत्रु हैं या उनके चहेते? – by – मंगलमय

    (१) मंगलमय जी,

    आपके प्रश्न का उत्तर यदि मुस्लिम समुदाय से सीधा आये तो अधिक मान्य होगा.

    विदित नहीं कि प्रवक्ता.कॉम पल चल रही इस बहस का आम मुस्लिम समुदाय के कितने लोगों को विदित होगा.

    (२) इंटर नेट पर चल रही बहस का अपना महत्व है,

    (३) पर दूसरी और, इसके साथ-साथ ज़मीन से उंची आवाज़ भी उठनी चाहिए

    ” जय इन्द्रेश ” ” जय RSS ”

    और एक मोर्चा मार्च करते निकले.

    ऐसे मोर्चे का प्रबंध स्वयं इन्द्रेश जी तो नहीं करेंगे.

    (४) आशा करता हूँ कि ऐसा कुछ तुरंत करने का प्रबंध किया ही जा रहा होगा और मेरी चिंता व्यर्थ की ही होगी.

    AMEN !

    – अनिल सहगल –

  6. बहुत बढ़िया इस अमंगल के छन में आपने सुमंगल लेख लिख डाला. बधाई

  7. मंगलमय, जैसा नाम वैसा ही काम……..
    आज जब अधिकतर बुद्धिजीवी राहुल और विदेशी मम्मी के चारण गान में व्यस्त है और आप अपनी ओजस्वी लेखनी से समाज का मंगल कर रहे हैं.

    इन्द्रेश जी के व्यक्तित्व को उजाकर कर समाज के समक्ष रखा ….. आभार.

  8. वाह …बहुत शानदार…जब तक कलम के राष्ट्रवादी सिपाही कायम हैं तब तक कांग्रेसी और वाम पंथी उचक्के न संघ का बाल बांका कर सकते न ही देश का. देश भी कांग्रेस के बावजूद छः दशक से कायम रहा है और संघ भी उसके बावजूद भी कायम रहेगा अनंत समय तक.

  9. आप ऐसे ही लिखते रहें जितना ज्‍यादा ब्‍लाग पर लिखा जाएगा उतना ही इन कुटिल राजनेताओं के समझ आएगा कि हमने किस देशभक्‍त के कंधे पर हाथ रख दिया है।

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