जाधव मामला : एक और पाकिस्तानी प्रहसन

सुरेश हिन्दुस्थानी
भारत के बारे में पाकिस्तान कैसा सोच रखता है, इसका खुलासा एक बार फिर हो चुका है। कई अवसरों पर पाकिस्तान की यह मानसिकता विश्व के सामने आ चुकी है, इसके बाद भी पाकिस्तान किसी भी प्रकार से सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। पाकिस्तान की मंशा पर उठ रहे सवालों के बाद भी पाकिस्तान चतुराई करने से बाज नहीं आ रहा। आगे भी इस बात की गुंजाइस नहीं है कि पाकिस्तान सुधार के रास्ते पर कदम बढ़ाए, क्योंकि यह हमेशा ही देखा गया है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि वह अपने गुनाहों पर परदा डालने के लिए अपने द्वारा किये कृत्यों का दोष दूसरों पर मढ़ने का आरोप लगाता रहता है। कहा जाता है कि जो अपने दोषों को छिपाने का प्रयास करता है, वह कहीं न कहीं स्वयं के साथ विशवासघात ही करता है, पाकिस्तान भी कुछ ऐसा ही कर रहा है। जो दुनिया की नजर में गलत है वह पाकिस्तान की नजर में वह गलत नहीं होता, सीधे शब्दों में कहा जाए तो पाकिस्तान सुधरना ही नहीं चाहता।
भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान एक बार फिर से अपनी मानसिक कुटिलता को उजागर कर रहा है। बाईस महीने से पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव से उसकी मां और पत्नी की मुलाकात जिस तरह से कराई गई, उससे पाकिस्तान का मंशा सामने आ रही है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की ओर से इस मुलाकात के बारे में विरोधाभासी बयान भी दिए गए। एक तरफ पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा महमूद आसिफ ने जहां इस मुलाकात को राजनयिक पहुंच बताने का प्रयास किया था, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि यह मुलाकात मानवीय आधार पर कराई गई है। दोनों में सच क्या है? यह पाकिस्तान जानता होगा, लेकिन जिस प्रकार से मुलाकात कराई गई है। वह गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है। वास्तविकता यह भी है कि पाकिस्तान की ओर अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों की अवहेलना कर भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच देने में बहुत पहले से आनाकानी करता रहा है। ऐसे में भारत को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।
कुलभूषण जाधव की नजदीक की मुलाकात को पाकिस्तान ने दूरी में बदल दिया। भले ही जाधव और उसके परिजन सामने खड़े रहे, लेकिन यह सामने खड़े होने का नाटक दोनों के बीच में बहुत बड़ी दूरी का अहसास कराता हुआ दिखाई दे रहा था। दोनों के बीच कांच की दीवार खड़ी कर दी। फिर सवाल यही आता है कि यह कैसी मुलाकात थी, पाकिस्तान यह कैसी मानवीयता थी। क्या इसे पाकिस्तान की संवेदनशीलता माना जा सकता है, यकीनन यह पूरा मामला संवेदनहीनता की श्रेणी में आता है। दूसरा सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि मुलाकात के नाम पर पाकिस्तान ने भारत को लगातार गुमराह किया। पाकिस्तान की ओर से जैसा भरोसा दिलाया गया, वैसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। इसलिए पाकिस्तान पर आगे भरोसा करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा कृत्य ही होगा।
पाकिस्तान की ओर से किया गया मुलाकात का नाटक अब सामने आ गया है। पाकिस्तान प्रारंभ से ही कुलभूषण जाधव के मामले में सवालों के घेरे में है। उसको ईरान से अपहरित कर 3 मार्च 2016 को ब्लूचिस्तान से गिरफ्तार करने की बात कही जा रही थी, जो कई प्रश्न पैदा कर रही है। दूसरी बात यह है कि कुलभूषण जाधव भारतीय जासूस कहा गया, जबकि सत्यता यह है कि जाधव उस समय न तो भारतीय नौसेना के अधिकारी थे और न ही भारतीय जासूस, वह केवल व्यापार के सिलसिले में गए थे, लेकिन पाकिस्तान ने जाधव को आतंकवादी तक कह दिया। भारत सरकार की ओर से सक्रियता पूर्वक उठाए गए कदमों के कारण ही पाकिस्तान द्वारा दी गई फांसी की सजा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने रोक दी। यह एक प्रकार से भारत की कूटनीतिक जीत ही थी। अब आगे भी भारत को इसी प्रकार के कदम उठाने होंगे, तभी कुलभूषण जाधव को बचाने का रास्ता तैयार किया जा सकता है।
वास्तव में भारत के प्रति दुर्भाव रखने वाले पाकिस्तान की हर कार्यवाही किसी भी प्रकार से भारत पर दबाव बनाने की रहती है। ऐसा करते समय पाकिस्तान संभवत: यह भूल जाता है हमेशा दबाव की राजनीति करना किसी भी प्रकार से सही नहीं मानी जा सकती, एक न दिन सच्चाई का सामना करना ही होता है। झूठी कहानियां गढ़ना पाकिस्तान की फितरत में शामिल हो चुका है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि झूठ का कोई आधार नहीं होता, लेकिन पाकिस्तान झूठ को आधार बनाने का ही काम करता रहा है। पाकिस्तान ऐसा करके संभवत: भारत की स्वच्छ छवि को दुनिया के सामने बदनाम करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने गिरेबान में झांके और आत्म सुधार के मार्ग पर अग्रसर होने की कार्यवाही करे।
पाकिस्तान ने कुलभूषण सिंह जाधव को जिस प्रकार से भारतीय जासूस बताकर मौत की सजा सुनाई है, उससे तो यही प्रमाणित होता है कि पाकिस्तान अपने गुनाहों को छिपाने के लिए उसे जासूस बताने की असफल चेष्टा कर रहा है। कहते हैं किसी का गुनाह बताने के लिए जब उसकी तरफ अंगुली की जाती है तो हाथ की बाकी अंगुली उसकी स्वयं की तरफ होती हैं। यानी अंगुली करने वाले का दोष सामने वाले से चार गुना ज्यादा होता है, लेकिन जब किसी निरपराध की तरफ इस प्रकार की कार्यवाही की जाती है तो स्पष्ट तौर पर यह स्वयं के दोष को छिपाने का षड्यंत्र ही कहा जाएगा। पाकिस्तान का चरित्र एक बार फिर सबके सामने है। इस बार हालांकि उसका दोष पिछली बार की अपेक्षा कहीं ज्यादा है, क्योंकि जिस कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान जासूस की संज्ञा दे रहा है, उसके बारे में ईरान सरकार की जांच में उसके बारे में कोई भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला, जो उसे जासूस सिद्ध करता हो। इतना ही नहीं कुलभूषण जाधव के दस्तावेजों से भी यह प्रमाणित नहीं हो रहा है कि वह जासूस है। इस बात को पाकिस्तान भी अच्छी तरह से जानता है कि कुलभूषण जासूस नहीं, व्यापारी है, पाकिस्तान की नजर में कुलभूषण का दोष केवल इतना ही है कि वह भारतीय है।
पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव के बारे में की गई इस कार्यवाही से पूरा देश व्यथित है। इस कार्यवाही की सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। सभी लोग पाकिस्तान को पूरी तरह से कठघरे में खड़ा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। सभी जगह कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने जिस प्रकार से मुलाकात कराई है, वह न्याय संगत नहीं मानी जा सकती। वर्तमान में हमारे देश में पाकिस्तान के हर भारत विरोधी कृत्य की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती है, लेकिन एक सवाल बार बार मन में आता है कि ऐसे देशभक्ति के मामले में भारत के अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं की जाती। वास्तव में मुसलमान समाज द्वारा भी राष्ट्रभाव को प्रदर्शित करने वाला भाव व्यक्त करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो मुसलमान की तरफ संदेह पैदा होता है। इस संदेह को दूर करने के लिए मुसलमानों को भी राष्ट्र की मुख्य धारा में आने का प्रयास करना चाहिए, जिससे समाज के अंदर व्याप्त वैमनस्य के भाव को समाप्त करने में सहयोग मिल सके। (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,851 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress