कविता साहित्‍य

श्रंगार रस के कवि

frndमित्र एक कविता लिखें,

चित्र भी संग चिपकायें,

चित्र देख कविता लिखें,

या लिखकर गूगल पर जायें।

शब्द जाल ऐसा बिछायें,

हम उलझ उलझ रह जायें।

श्रँगार मिलन की वेला मे

हवा मे ख़ुशबू उड़ायें।

सूखे पत्तो से भी ,

कवि  उनकी आहट पाँयें।

 

दूजे  मित्र  कविता लिखें,

समय के घाव बतायें,

विरह की अग्नि में तड़प कर,

विरह के गीत गाँये।

‘उनके’ साथ बिताये पल,

याद करें दोहरायें,

बीती बातों के मोह से,

बाहर निकल न पाये।

श्रंगार रस के ये कवि

दुनियाँ इक और बसाये,

कल्पना की दुनियाँ मे,

मन पछी इधर उधर उड़ाये,

कविता मे किस के गुण  गांयें,

घर मे पत्नी के नाज़ उठायें।