कविता

कलिंग

वीर वह होते हैं

जो सम्राट के बिना भी लड़ते  हैं,

लड़ते हैं बिना अस्त्र के 

लड़ते हैं बिना सस्त्र के।

क्योंकि युद्ध अस्त्र सस्त्र से नहीं

हाथी घोड़े से नहीं

लड़ा जाता है अपनी स्वाभिमान से । 

उन्हें पूछो जो लड़ गए

रक्त को सस्त्र  बनाके

और हरा दिए एक  नदीकी  पानी को

अपनी अपनी रक्त की अभिमान  से।

रणभूमि कांप उठा एक बच्चे की ललकार से

जो दूध  नहीं छोड़ा था

पर तलवार पकड़ लिया

वीरता की अहंकार से।

उस बच्चे को पूछो जो

दुनिया को सीखा दिया

युद्ध कैसे लढा जाता है

अपनी मृत्यु की हूंकार से।