वहां जहां धरती और आसमान
मिलते हुए दीखते हैं
वहां मेरा गाओं है।
एक मिट्टी के घर
कोने में एक लकड़ी के बक्सा
बक्से के अंदर मेरे दादाजी के
भगबत गीता
मेरे बचपन के कुछ किताबें
और कुछ कोरा कागज़।
में यही कहीं रहता हूँ
और सपने देखते रहता हूँ
कोई मुझे अँधेरा कोई तन्हाई और कोई
उदासी का रूप देता है
में लेकिन खुदको अभी भी
युवा महसूस करता हूँ
वहां जहाँ धरती और आसमान
मिलते हुए दीखते हैं
वहां में रहता हूँ।
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