कांग्रेस से ज्यादा भाजपा भयभीत है केजरीवाल से

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तेजवानी गिरधर

जल्द ही नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे अरविंद केजरीवाल भले ही लगातार दिल्ली सरकार व सोनिया गांधी के जवांई राबर्ड वाड्रा के बहाने कांग्रेस पर हमले बोलते जा रहे हों, मगर भाजपा उनसे ज्यादा भयभीत है। उसे डर है कि वे न केवल कांग्रेस विरोधी वोटों में, जो कि इस बार भाजपा को मिलने की उम्मीद थी, में हिस्सा बांटेंगे, अपितु भाजपा से निराश मतदाताओं में भी सेंध डालेंगे।

हिंदूवादी भाजपा केजरीवाल से कितनी भयभीत है, इसका अनुमान इस विश्लेषण के साथ दिए गए चित्र से, जो कि किसी हिंदूवादी ने फेसबुक पर लगाया है, से लगाया जा सकता है। जैसे ही यह चित्र फेसबुक पर लगा, टिप्पणियों का तांता लग गया। हिंदूवादियों ने केजरीवाल को न केवल भद्दी-भद्दी गालियां बकीं, अपितु उन्हें कांग्रेस व सोनिया का एजेंट तक करार दे दिया। इस बहसबाजी में बेचारे केजरीवाल समर्थक बार-बार शालीन भाषा में सफाई देते रहे, मगर हिंदूवादियों ने उन पर ताबड़तोड़ हमले जारी रखे।

असल में प्रतीत ये होता है कि जो केजरीवाल पहले कांग्रेस पर हमले बोलने के कारण भाजपा को बड़े प्रिय लग रहे थे और इसी वजह से भाजपाइयों ने उनका साथ दिया, वे ही जब दोधारी तलवार की तरह भाजपा पर भी हमले करने लगे तो भाजपाइयों को सांप सूंघ गया है। संघ व भाजपा ने टीम अन्ना का पीछे से साथ दिया ही इस कारण था कि जो काम वह खुद नहीं कर पाई, वह टीम अन्ना कर रही थी। जो माहौल भाजपा के दिग्गज लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से नहीं बन पाया, वह टीम अन्ना ने खड़ा करके दिखा दिया। जाहिर सी बात है कि खुद भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी भाजपा स्वयं तो कांग्रेस के विरोध में सशक्त आंदोलन खड़ा नहीं कर पाई, मगर बिना स्वार्थ के केवल देशभक्ति के लिए आंदोलन करने वाली टीम अन्ना ने वह माहौल खड़ा कर दिया, जिसका सीधा-सीधा लाभ भाजपा को होना था। तब तक इस बात की आशंका नहीं थी कि केजरीवाल अलग से पार्टी बनाएंगे, इस कारण भाजपा यही सोच रही थी कि वह टीम अन्ना के आंदोलन से बना कांग्रेस विरोधी माहौल अपने पक्ष में वोटों के रूप में भुना लेगी। मगर जैसे ही केजरीवाल टीम अन्ना से अलग हो कर नई पार्टी बनाने का उतारु हुए, भाजपा का सोचा हुआ प्लान बिगड़ गया। इतना ही नहीं केजरीवाल ने भाजपा को भी निशाने पर ले लिया। कोयला घोटाले में तो उन्होंने कांग्रेस व भाजपा को एक ही तराजू में तोल दिया। इससे बड़ा नुकसान ये हुआ कि जो भाजपा कांग्रेस के विकल्प के रूप में लोगों को स्वीकार्य थी, उस पर भी कालिख पुत गई। कांग्रेस तो चलो पहले से बदनाम थी, इस कारण कोयला घोटाले की कालिख से जहां सत्यानाश, वहां सवा सत्यानाश वाली कहावत की चरितार्थ हो रही थी, मगर दूध की धुली कहलाने वाली भाजपा की सफेद कमीज पर लगी थोड़ी भी कालिख उभर कर मुंह चिढ़ा रही है। इतने पर भी भाजपा ने सबक नहीं लिया। बिजली बिल को लेकर दिल्ली में चल रहे आंदोलन में भाजपा नेता विजय गोयल ने सदाशयता में केजरीवाल को मंच पर बुला लिया और केजरीवाल ने सिला ये दिया कि पलट कर भाजपा पर ही हमला बोल दिया। गोयल पछताए तो बहुत, मगर रोने के सिवाय उनके पास कोई चारा नहीं था। इस घटना के बाद अब भाजपा बेहद सतर्क हो गई है।

इसी कड़ी में किसी भाजपाई ने फेसबुक पर मुहिम के रूप में यह चित्र शाया किया, ताकि हिंदूवादी वोट खिसक कर केजरीवाल की ओर न चले जाएं। इस चित्र पर प्रतिक्रिया करते हुए भाजपाइयों ने अनेक उदाहरण देते हुए केजरीवाल को कांग्रेस जैसा ही सेक्युलर कुत्ता करार दिया। ये बहस इतनी घटिया स्तर पर हो रही है कि उसमें प्रयुक्त शब्दों का उल्लेख तक करना मर्यादा के खिलाफ प्रतीत होता है।

कुल मिला कर सच ये है कि कांग्रेस व भाजपा को एक जैसा बताने की कोशिश में केजरीवाल कांग्रेस से ज्यादा नुकसान भाजपा को पहुंचा रहे हैं। आगे आगे देखें होता क्या है?

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तेजवानी गिरधर
अजमेर निवासी लेखक तेजवानी गिरधर दैनिक भास्कर में सिटी चीफ सहित अनेक दैनिक समाचार पत्रों में संपादकीय प्रभारी व संपादक रहे हैं। राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश सचिव व जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अजमेर जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। हाल ही अजमेर के इतिहास पर उनका एक ग्रंथ प्रकाशित हो चुका है। वर्तमान में अपना स्थानीय न्यूज वेब पोर्टल संचालित करने के अतिरिक्त नियमित ब्लॉग लेखन भी कर रहे हैं।

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  1. कभी” इंडिया अगेंस्ट करप्शन” के वाहन पर बैठे कपटी अरविन्द केजरीवाल के प्रभाव में आ मैं यहाँ अपनी टिप्पणियों के लिए बहुत लज्जित हूँ| भारत के इतिहास में ईस्ट इंडिया कंपनी, अंग्रेजी साम्राज्य और तत्पश्चात उनके कार्यवाहक प्रतिनिधि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्थन में अब तक लगे भारतीय मूल के देशद्रोहियों से दुष्टतर अरविन्द केजरीवाल आज स्वतन्त्र भारत के माथे पर कलंक है|

  2. व्यक्तिगत रूप से अरविंद केजरीवाल के विरोध में तेजवानी गिरधर द्वारा लिखा लेख, “कांग्रेस से ज्यादा भाजपा भयभीत है केजरीवाल से,” और उस पर उसी मानसिकता में प्रस्तुत सांतनु आर्य की टिप्पणियां भारतीय इतिहास को फिर से हमारे समक्ष ला खड़ा करते हैं| इन्हीं कारणों से मुठ्ठी भर फिरंगी समस्त भारतीय उप महादीप में दो शतक से अधिक अपना प्रभुत्व बनाये १९४७ में भारतीय विभाजन के बीच विश्व में सबसे बड़े जन समुदाय के स्थानांतरण में अधिकतर शांति से रहते एक लाख से अधिक हिंदू, सिख और मुसलमानों के खूनी नरसंहार के उपरांत गाजे बाजे के साथ देश से प्रस्थान कर गये|

    जीवन के सत्तर से अधिक अपने जीवन काल में मैंने कल तक केवल भारतीय जन संघ और तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी को अपना समर्थन दिया है| यदि कोई ध्यान से निरिक्षण करे, पिछले पैंसठ वर्षों में अधिकांश काल विपक्ष में रहे इस राजनैतिक गुट नें न तो भारतीय लोकतंत्र को कोई नयी दिशा दी है और न ही सत्ताधारी कांग्रेस द्वारा देश भर में साधारण नागरिक के जीवन में किसी प्रकार का सुधार अथवा समाज में कोई प्रगति दिलवाई है| यद्यपि भाजपा भ्रष्ट नहीं, तथापि उनके विपक्ष में रहते समस्त भारत में भ्रष्टाचार और अनैतिकता क्योंकर फल फूल रही है? आज बाजपा में ऐसे तत्व हैं जो लूट मार में कांग्रेस गठबंधन से होड़ लगाये हुए हैं| अवश्य ही भारतीय जनता पार्टी ने मुझे निराश कर दिया है| अब प्रश्न यह है कि यदि यह सभी राजनैतिक गुट भारत और भारतवासियों का भला चाहते हैं तो वे अरविंद केजरीवाल का क्यों विरोध कर रहे है?

    यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज राष्ट्रवाद लुप्त हो चुका है और पार्टी-बाजी में उलझ कुछ लोग देश और देशवासियों को भूल जाते है| यहाँ प्रस्तुत लेख में केवल पार्टी-बाजी ही हो रही है, भारत और भारतवासियों का कोई उल्लेख नहीं है| उनका क्या हुआ? भेडिया यदि शिकार से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या?

    मैंने सदैव सोचा है कि भारत में विविध संस्कृतियों और भाषाओं के होते हिंदी (देवनागरी लिपि) ही राष्ट्रीय भाषा के रूप में न केवल देशवासियों का गौरव और उनमें एकता जगाने में सहायक हो सकती है बल्कि हिंदी भाषा उनकी सामाजिक और आर्थिक भलाई को भी परिभाषित करने में समर्थ है| आज राष्ट्रीय भाषा का पद तो न दिला सके परंतु अवसर-वादी प्रवक्ता.कॉम पर हिंदी माध्यम से पार्टी-बाजी पर निरर्थक वाद-विवाद द्वारा भोले भाले निष्कपट भारतवासियों में अरविंद केजरीवाल जैसे राष्ट्रवादियों के प्रति भ्रम और शंका फैलाने अवश्य आ पहुंचे है! हिंदी भाषा केवल राष्ट्रवाद का प्रतीक है| यहाँ किसी तेजवानी गिरधर के लिए कोई स्थान नहीं है|

    पाठक गण, जानिये, आज भारत और भारतीयों की दयनीय स्थिति में केवल दो ही वर्ग हो सकते हैं| आज का राष्ट्रद्रोही वर्ग जो अपने स्वार्थ के लिए भ्रष्ट व्यवस्था को ज्यों का त्यों रखते समाज विरोधी तत्वों को समर्थन देता हैं और दूसरा वर्ग है राष्ट्रवादी जो निस्वार्थ देश और देशवासियों की सेवा में जुट जाने को लालयित है| अरविंद केजरीवाल की वेबसाईट, इंडिया अगेंस्ट करप्शन, पर उन्होंने अपनी आगामी राजनीतिक पार्टी में भावी उमीदवार की विशेषताओं को परिभाषित किया है| अवश्य पढ़ें! मैं चाहूँगा कि उसी प्रकार एक आदर्श भारतीय के लक्षण भी परिभाषित होने चाहियें| राष्ट्रवादी को मत रोको; राष्ट्रवाद ही आपका भविष्य है|

    • इन्सानजी
      आप बचपन से पढ़ते आये होंगे की गांधीजी और नेहरूजी ने देश को आजादी दिलाई वो भी अहिंसा से परन्तु में और कोई भी सच्चा राष्ट्रवादी इस बात को एक मत स्वीकार नहीं करेगा आखिर क्यों क्योंकि ये कहना तो पूरी तरह गलत होगा की गांधीजी या नेहरूजी का आजादी के आन्दोलन में कोई योगदान नहीं था परन्तु गांधीजी और नेहरूजी की वजह से देश ने क्या नहीं खोया आजादी मिली तो देश खंड विखंड हो गया उसके बाद इस अहिंसावादी की वजह से तिब्बत चला गया और कश्मीर जाते जाते बचा इनकी कांग्रेस ने आज देश को त्रस्त कर रखा है और १९४७ से पहले अहिंसा केवल हिन्दुओ को मुसलमानों के हाथो मरने के लिए गांधीजी ने एक बड़े हथियार के रूप में काम में लिया और उन शहीदों की जगह लेकर आजादी का पूरा श्रेय ले लिया उन सचे शहीदों की आत्मा आज भी भटक रही होगी अपना सही स्थान इतिहास में लेने के लिए
      मेरे कहने का अर्थ है की गाँधी और नेहरु के समकक्ष या उनकी विचारधारा वाले किसी राष्ट्रवादी को देश की जनता का समर्थन नहीं मिलना चाहिए और आज का केजरीवाल अगर जनता ने समर्थन दिया तो कल का दूसरा नेहरु होगा जो मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दुऊ के विनाश के लिए कोई भी हथकंडा अपनाने को तेयार रहेगा देश को फिर खंड खंड करेगा कश्मीर पाकिस्तान को देगा और असं बांग्लादेश को केरल स्वंत्र राष्ट्र बना देगा क्योंकि जिस मार्ग पर ये लोग चल रहे है उनका परिन्नाम यही होगा जैसे पहले कथित आजादी भारत को मिली थी इसे ही आगे कथित भार्स्ताचार मुक्त भारत मिलेगा इसलिए मेरा निवेदन है आपसे की इनकी वीचार धारा को गहरे से समझाने की कोशिस करे
      एक बार ये सफल भी हो गए तो जो जनता जो उम्मीद कर रही है वो उसे कभी नहीं मिलेगा क्योंकि या तो ये खुद विवश हो जायेंगे भ्रष्टाचार करने के लिए या इनको विवश उन व्यापारियों द्वारा किया जायेगा जिनका पैसा लेकर ये आन्दोलन या पार्टी बना रहे है
      इनमे एक भी बात अगर सच्चे राष्ट्रवादी लगती हो तो उससे मुझे जरुर अवगत कराएगा इनके ढोंग से तो में पूरी तरह से अवगत हु

      भार्श्ताचारियो से लड़ने के लिए किसी भ्र्स्ताचारी को साथ में लेने की जरुरत नहीं अगर कोई जवाब आपके पास हो तो नीछे बहुत से प्रशन दिए हुए है मेरी भी शंका का समाधान हो जायेगा में भी इनका साथ देने लग जाऊंगा
      धन्यवाद

      • व्यर्थ के वाद-विवाद में न उलझ मैं आपको अपना सुझाव देता हूँ कि यदि आप देश में वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट हैं तो किसी भी चुनिन्दा राष्ट्रवादी अभियान से जुड़ जाएं और उस अभियान को अपना सकारात्मक योगदान दें| आवश्यकता पड़ने पर अपने समानांतर कार्यक्रम द्वारा छोटे बड़े सभी राष्ट्रवादी अभियान संगठित हो अनैतिकता और भ्रष्टाचार में लिप्त वर्तमान व्यवस्था को एक अच्छा विकल्प दे पायेंगे| देश भर में राष्ट्रवादी संगठन ही उन्नति की कुंजी है| अभी तो राष्ट्रवाद को ढूंढो; हिंदू मुसलमान का भेद क्या, देश में हर प्रकार की विभिन्नता मिट जायेगी| सबल समृद्ध भारत उजागर होगा| धैर्य रखें|

  3. केजरीवाल के भ्रस्टाचार के खिलाफ आन्दोलन से भ्रस्ताचारियो मैं खलबली मचने मैं कोई हेरानी नहीं होनी चाहिए. बल्कि मैं तो हेरान इसलिए हूँ की कुछ उन लोगो मैं भी खलबली मची हे जो भ्रस्ताचार के बिरुद्ध लड़ रहे हे,
    आज टी वी पर देखा कोई एनी नामक महिला केजरीवाल से उनकी पहचान पूछ रही हे, जिसे अन्ना टीम का सदस्य बताया जाता हे, और कुछ लोग तख्तियां लिए खड़े थे की अन्ना को धोखा क्यों दिया आदि आदि. मैं अन्ना का भी स
    मर्थक हूँ और केजरीवाल का भी , अगर दोनों भ्रस्ताचार की खिलाफ लड़ रहे हे तो एक दिन वो अपने मुकाम पर जरूर पहुचेंगे , लेकिन अगर आपस मैं ही लड़ते रहे रहे तो भ्रस्टाचारी तमाशा देखेंगे और ये दोनों ख़तम हो जायेंगे, यही बात मुझे अच्छी नहीं लगी की एनी नामक महिला केजरीवाल से उसकी पहचान पूछ रही हे, अगर वो केजरीवाल को पसंद नहीं करती तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं हे, मैं भी बहुत से लोगो को पसंद नहीं करता. क्या वो केमरे के सामने केजरीवाल से सवाल पूछकर खुद भी फेमस होना चाहती थी या अपने किस आका (?) को खुश करना चाहती थी. अब क्या अन्ना लोगो से उसकी पहचान पूछकर आन्दोलन मैं शामिल करेंगे ? अगर वो केजरीवाल को भी पसंद करता हो और भ्रस्टाचार की खिलाफ भी लड़ना चाहता हो तो क्या अन्ना उसको अपने साथ नहीं लेंगे . जिस देश मैं भगवान राम पर भी लांचन लगाये गए हे उस देश अन्ना कहाँ से लायेंगे वो गंगाजल जेसे साफ मन एवं छवि वाले लोग, जिन्होंने कभी अपने जीवन मैं झूठ न बोला हो और कोई भी गलत काम न किया हो. अन्ना का रास्ता गाँधीवादी हे वो लोगो को जागरूक कर रहे हे की अच्छी छवि वाले लोगो को वोट दो, अरे भाई बताने का कष्ट करोगे की ये अच्छी छवि वाले लोग कोन हे और हम उन्हें केसे पहचानेंगे , अगर कांग्रेस भ्रस्त पार्टी हे क्या बी जी पी वाले ईमानदार हे?, क्या बसपा को वोट दे या मुलायम को ?, निर्दलीय तो बिन पेंदे का लोटा होता हे फिर वोट किसे दे ? . जब आपको पता ही नहीं की वोट किसे देना हे तो जागरूक होकर क्या करेंगे, केजरीवाल कम से कम ये तो कह रहे हे की वोट हमारी पार्टी को दो, अरे अगर तुम्हे उनकी पार्टी पसंद नहीं तो मत दो , गाली क्यों दे रहे हो, अन्ना का तो कोई उम्मेदवार नहीं होगा फिर वो किन साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवार को वोट देने की अपील कर रहे हे, अगर कांग्रेस का कोई उम्मेदवार साफ सुथरी छवि वाला होगा तो क्या अन्ना उसे ही वोट देने की अपील करेंगे और क्या आप उसे ही वोट दोगे ?, और जीतने के बाद क्या वो उम्मीदवार सोनिया या राहुल के खिलाफ बोलेगा.
    कुछ लोग केजरीवाल पर अन्ना का आन्दोलन छीन लेने का आरोप लगा रहे हे. ये आरोप ऐसा हे जेसे कि कहा जाये कि किसी बच्चे से उसकी लोली पॉप छीन ली हे , ये सवाल बड़ा ही बचपना लिए हे, अन्ना कि अपनी पहचान हे, केजरीवाल ने अपनी बना ली हे, चाहे अन्ना का भी इसमें सहयोग रहा हो, अगर केजरीवाल के कार्यो से भ्रस्ताचारियो को मिर्ची लग रही हे तो ये बात समझ आती हे, लेकिन अगर भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ने वालो को भी मिर्चे लगने लगे तो उनकी नीयत पर मेरे मन मैं सवाल जरूर उठता हे .
    बहुत से लोग फेस बुक पर केजरीवाल को गालिया दे रहे हे कोई उनकी नीयत पर सवाल उठाता हे, कोई उनकी अन्ना से अलग होने पर , कोई किसी कारण से, पर कोई भी फेस बुक का शेर ये नहीं बताता कि इस भ्रस्त तंत्र से केसे लड़ा जाये, काफी की चुस्कियां लेते हुए अपने कमेन्ट लिख देता हे , ऐसे लोग ये भी जान ले की जब अन्ना या बाबा रामदेब अपना आन्दोलन खड़ा करते हे तो उन्हें भी गालियाँ पड़ती हे, अगर ये लोग अन्ना या बाबा राम देव के समर्थक नहीं हे तो शायद वो लोग हे जो किसी भी आदमी के भ्रस्ताचारियो से लड़ने के खिलाफ हो और ऐसे लोग कोन हे ये सब जानते हे.
    इसलिए मेरा उन लोगो से निवेदन हे कि अगर वो भ्रस्ताचारियों से लड़ना चाहते हे तो ये मत देखो कि तुम उसे पसंद करते हो या नहीं , सिर्फ लड़ो और इन भ्रस्ताचारियो को मार भागो , आपस मैं बाद मैं निपट लेंगे.

    • कांग्रेस औरा भाजपा दोनो a और b टीम है. दोनो महा भ्रष्ट है. इसलिए मैं केजड़ीवाल जैसे अतिईमानदार को वोट दूँगा. कोई बताएगा कि केजड़ीवाल की पार्टी का नाम क्या है? एजेंडा क्या है? विदेशीनीति क्या है? आर्थिक नीति क्या है? कश्मीर पर उनकी क्या राय है? आरक्षण पर क्या राय है? देशद्रोहियों को जिन विदेशी संगठनों से चन्दा मिलता है, क्या उन्ही संगठनों के पैसे से पार्टी चलेगी या उद्योगपतियों से भी चन्दा लिया जाएगा. उद्योगपति चन्दा क्यों देंगे? भगवा-वन्देमातरम-भारतमाता उनके लिए अछूत ही रहेंगे? मुस्लिम तुष्टिकरण जारी रहेगा? साथ ही, बिजली बिल न भरने पर स्वयं आकर मेरा कनेक्शन जोड़ेंगे या इस काम के लिए उनकी सरकार कोई दल बनाएगी?
      🙂 🙂 🙂 श्री संजय बेंगानी

  4. क्या अरविन्द केजरीवाल सही में देश भक्त है अथवा देश की जनता के पीठ में छुरा घोंपा जा रहा है .. ????
    अरविन्द भक्तों से अनुरोध है की एक बार पूरा लेख पड़ें एवं उसके बाद अपने तर्क या कुतर्क करें…
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    अगस्त के माह में जब लोकपाल संसद की स्टैंडिंग समिति के पास था तो अनशन का कोई मतलब ही नहीं बनता था… क्यूंकि स्टैंडिंग समिति अपना नियत समय ही लेगी लोकपाल विधेयक के र
    ूप को निर्धारित करने को… ऐसे में मधुमेह रोग से पीड़ित अरविन्द सरकार पर दवाब बनाने को ९ दिन तक अनशन कर लेते हैं ये बात समझ में नहीं आई थी…क्यूंकि चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार इतने दिन तक मधुमेह का पीड़ित व्यक्ति यदि कुछ खाए नहीं तो गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं अथवा कोमा में जाने का खतरा होता है…९ दिन के अनशन के उपरान्त सवा घोषित क्रन्तिकारी ने अनशन ख़तम कर के पार्टी बनाने का निर्णय लिया …आशंका तो पहले दिन से थी परन्तु अब ये आशंका नहीं रह गयी थी… …
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    अब अगर बात करें अरविन्द के जन्लोक्पल की तो मेरा सवाल ये है की अरविन्द ने जो लोकपाल को चुनने का तरीका बताया है ड्राफ्ट में.. उसके अनुसार मग्सेय्सेय अवार्ड से अनुग्रहित व्यक्ति को लोकपाल के लिया चयन की प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी…. देखने एवं सुनने में बहुत अच्छा है…..परन्तु यहीं पर १ सवाल भी खड़ा होता है.. अरविन्द को पूरे आन्दोलन की मुख्या आर्थिक सहायता फोर्ड से मिली है.. दुनिया जानती है की फोर्ड के पीछे का असली चेहरा अमेरिका के एजेंसी सीआईए है… तो सीआईए भारत को भ्रष्टाचार से क्यूँ मुक्त करना चाहेगी…?? या फिर अरविन्द १ मोहरा है सीआईए का जो अमेरिका के इशारों पर नाचने वाले लोकपाल को भारत में लाने के षड़यंत्र में शामिल हैं… क्यूंकि ये बात सोचिये की यदि फोर्ड समथित लोकपाल भारत में बनता है तो जिस दिन अमेरिका को कोई डील करनी है एवं उस समय भारत का प्रधान मंत्री आज के प्रधानमंत्री की तरह मजबूर न हो कर मज़बूत प्रधानमंत्री हुआ तो उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर दो दिन में उसको सत्ता से बेदखल कर दिया जायेगा…
    दुनिया का कोई भी देश चैरिटी पर काम नहीं करता… यदि फोर्ड ने लोकपाल केलिए पैसा लगाया है तो निसंदेह अपने स्वर्थ्य भी सीधे करेगा….
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    अरविन्द की बात करें तो जिस तरह से उन्होंने राजनीति में आने के बाद आँख बंद कर के कीचड उछालना शुरू किया … वो आने वाले वक़्त में उनके लिए खतरनाक है… वाड्रा पर आरोप लगाया….मानता हूँ की वाड्रा भ्रष्ट हैं.. लेकिन इस से अरविन्द के कांग्रेसी होने की ही पुष्टि ज्यादा होती है… कांग्रेस का इतिहास है…की यहाँ मर्दों को बच्चे पैदा होने के लिए ही रखा गया है.. फिर चाहें वो फिरोज … संजय हों या राजीव… ये बात भी जगजाहिर है की पिछले कुछ समय से प्रियंका एवं वाड्रा के सम्बन्ध सामान्य नहीं हैं… तो क्या ऐसे में जांच करा कर वाड्रा को गलत दिखा कर प्रियंका के द्वारा तलाक देने के बाद त्याग मूर्ती के रूप में प्रचारित किया जाये तो बड़ी बात नहीं…
    अरविन्द के दूसरे दांव बिजली के कनेक्शन जोड़ने पर कुछ बोलने की ज़रुरत नहीं क्यूंकि २ दिन मीडिया में दिखने के बाद खुद अरविन्द भी अब उस जगह झाँकने नहीं गए हैं.. जहाँ उन्होंने कनेक्शन जोड़े थे…
    अरविन्द के तीसरे दांव पर अरविन्द ने मामला बहुत सही उठाया था की सलमान खुर्शीद ने पैसा खाया है.. लेकिन एक तरह से इसको वाड्रा मामले को दबाने के रूप में भी देखा जा सकता है….. क्यूंकि उसके बाद वाड्रा की चर्चा होना बंद हो गयी… अब धीरे धीरे जांच करवा कर वाड्रा एवं प्रियंका के तलाक की प्रष्टभूमि बनायीं जाये तो कोई बड़ी बात नहीं… यदि ऐसा होता है तो अरविन्द ने कांग्रेस को तुरुप का इक्का ही दिया है..
    अरविन्द के चौथे दांव में पासा उल्टा पद गया क्यूंकि अंजलि दमानिया ने जो आरोप गडकरी पर लगाये थे वो उलटे पड़ गए.. क्यूंकि यदि कागजों की बात करें तो खुद अंजलि की ज़मीन भी वहां थी.. जिसको उन्होंने आदिवासियों से खेती के बहाने ले कर … उपयोग निर्माण कार्य में किया…
    अब यदि अरविन्द के राजनितिक करियर के रूप में इन चार दांव की बात करें तो कहीं न कहीं कोयला घोटाले को दबाने की बू भी आती है… वहीँ दूसरी तरफ जिस तरह आज तक ने सारे खुलासे किये हैं अरविन्द के साथ मिल कर तो उस से ये संदेह भी पैदा होता है की क्या आजतक को भी फोर्ड से “मोटामाल” मिल है..??
    वहीँ दूसरी और जिस तरह से अरविन्द ने अपने मित्र नविन जिंदल पर चुप्पी साधी है वो आश्र्यापूर्ण है… वैसे यहाँ ये बता दूं की जिस नविन जिंदल पर कोयले के खेल में अरविन्द ने चुप्पी साधी है उसी नविन जिंदल की कंपनी में अरविन्द के पिताजी भी काम करते हैं…एवं इन्ही नविन जिंदल ने अरविन्द को फोर्ड के बाद सबसे अधिक पैसा दिया है.. एवं ये नविन जिंदल साहब कांग्रेस के सांसद भी हैं…
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    मित्रों यहाँ बात केवल अरविन्द की नहीं अपितु उनके साथ रहने वाले लोगों के आचरण की भी है… जिस प्रशांत भूषण को अरविन्द गले लगा केर रखते हैं.. वो भूषण साहब बार कौंसिल से लताड़ खा चुके हैं पैसा खा कर केस दबाने के केस में..याद कीजिये नकली करेंसी का केस ..जहाँ सरकार पर भी शक गया था.. खुद इनकम टैक्स के कमिश्नर ने भी ये बात कही थी की साकार की जानकारी में है उसकी सहमति से ही नकली करेंसी भारत में छप रही है…
    भूषण साहब कश्मीर पर अपनी अलगाव वादी विचारधारा पर प्रसाद भी पा चुके हैं…
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    इन सब के अतिरिक्त अरविन्द ने अफज़ल गुरु को समर्थन देने वाले संदीप पाण्डेय को भी बहुत समय तक सीने से लगा कर रखा…
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    एक सबसे महत्वपूर्ण बात ये की जिस तरह अरविन्द सिर्फ २ मुख्य पार्टी को निशाना बना रहे हैं… एवं वामपंथी दलों से इनकी वैचारिक समानता है .. उसके देखते हुए इस सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता की अरविन्द आगे चल कर तीसरे मोर्चे के गठन की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हों…
    वैसे भी अरविन्द ने अपनी पार्टी की वैचारिक रूपरेखा बताते हुए अल्पसंखयकों के लिए ११ प्रतिशत का आरक्षण घोषित कर दिया है जो एक तरह से समाजवादी पार्टी के कार्य को ही आगे बढाया जा रहा है..
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    देश की जनता को सजग रहने की आवश्यकता है वरना जो अगर जनता छली गयी तो बात बहुत दूर तलक जाएगी….

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    विवेक सक्सेना

  5. मुझे नहीं लगता की भाजपा के नेताओं की मोटी चमड़ी पर कुछ असर पड़ने वाला है वैसे देखा जाए तो आज भाजपा मे जो लोग विचारधारा पर समर्पित होकर काम कर रहे है वो धीरे धीरे हाशिये पर जा रहे है लेकिन फिर भी अभी वह बहुत अच्छी है कॉंग्रेस से ……………..यूं कहूँ की आँख की शर्म नहीं गयी है भाजपाइयों मे अभी भी |भाजपा एक केदार बेस्ड पार्टी है जिसे संघ के लोगो का कभी कभी समर्थन भी मिल जाता है हलकी हमेशा मिले ये जरूरी नहीं |जब भी संघ के लोगो को समर्थन नहीं देना होता है तब वो राजनीति से ही उदासीन हो जाते है नतीजा भाजपा बुरा हरती है आप उत्तर प्रदेश मे हुयी हार व राजस्थान मे हुयी हार देख सकते है जहा संघ बहुत मजबूत है फिर भी भाजपा हार गयी |खुद आपके शहर अजमेर का ही देख लीजिये|मुझे मेरे शहर का पता है जहा बहुत कोशिश करने के बाद भी भाजपा के लोग संघ के लोगों को वोट देने के लिए उत्साहित नहीं कर पाये ,चित्तोद्गड मे सुना है की संघ के ही कुछ नाराज लोग खड़े हो कर वोट काट दिये ………………केजरीवाल ने अन्न को कंधा बना कर बाबा को धोखा दिया फिर आना को धोखा दिया अब कीचड़ उछलने का खेल खेल रहा है लेकिन मेरा अनुमान है की जनता को भ्रष्टाचार से कोई फर्क नहीं पड़ता है उसे तो अपने तात्कालिक लाभ दिखते है वैसे भी जहा आजकल शादी ब्याव भी ये देख कर किए जाने लगे है की छोरे की ऊपर की कमाई कितनी है तो कहा जाकर किसको रोये ????

  6. में टीम केजरीवाल के खिलाफ लिखना नहीं चाहता..में भी उन करोडो लोगो में से हूँ जो चाहते हैं इस्थितियाँ बदले, व्यवस्था परिवर्तन हो, लेकिन सच से आँखे फेर के भरोसा करू तो कैसे करू, राजेंद्र सिंह अलग हुए, कोई बात नहीं, शिवेंद्र चौहान अलग हुए, कोई बात नहीं, बाबा रामदेव अलग हुए, कोई बात नहीं, संतोष हेगड़े अलग हुए, कोई बात नहीं, किरण बेदी जी अलग हुई, कोई बात नहीं, अन्ना जी अलग हुए चलो जी कोई बात नहीं, जनरल
    v k सिंह जी अलग हुए चलो कोई बात नहीं, लेकिन सवाल ये है की जब ये सब चले गए तो बचा क्या है, केजरीवाल जी पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगा रहा लेकिन क्या संजय सिंह, गोपाल राइ, स्वाति मालीवाल मयंक गांधी, दमानिया और वीरेंद्र यादव किस सिविल सोसाइटी से हैं, जिन्दगी भर इनमे से बहुत से लोग समाजवादी पार्टी के चंदे पे पले हैं और कभी भी कोई उल्लेखनीय योगदान इन्होने नहीं दिया..अन्नी कोहली ने क्या आरोप लगाए में उनपे नहीं जाता..लेकिन जिस बच्चे को ये चीख चीख कर NSUI का बता रहे हैं वो इनकी कोर टीम के साथ रहा है..तस्वीरे गवाह हैं की जो भी इनके खिलाफ जाता है ये उसको पहचानने से इनकार कर देते हैं, इस तस्वीर में जो दाढ़ी वाले भाईसाब हैं इन्होने २ साल दिए हैं आन्दोलन को सडक से लेकर मनीष सिसोदिया के ऑफिस तक जिनको अब टीम केजरीवाल पहचानने से इनकार कर रही है और NSUI के नेता बता रही
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=466969356659185&set=a.168101059879351.30782.168098616546262&type=1&theater

  7. विश्वसनीयता सदैव कसौटी कि मोहताज होती है
    इसलिए अंधविश्वास नही करना चाहिए किसी पर विश्वास और अंध विश्वास के बीच उतनी ही बारीक लाइन है जितनी हद से ज्यादा वफ़ादारी और गद्दारी के बीच है
    https://www.youtube.com/watch?v=Fkp5dlZpPZ4&list=UUKUWJUZbUriFpoOzgkatf4Q&index=31&feature=plcp
    https://www.youtube.com/watch?v=h-eRKtgJ2pk&feature=relmfu

    https://www.youtube.com/watch?v=CHnVxgOSFXU&feature=relmfu

    • केजरीवाल इतना नकटा है कि उसे मुंह परअन्नी कह गई चोर, मक्कार, मगर उसे फर्क ही नहीं पडा

  8. प्रवक्ता टीम ने मेरी काफी कमेंट्स यहाँ से हटा दी है कुछ कोम्मेट्स में अशलील शब्द थे परन्तु वो मेरे द्वारा नहीं लिखे गए थे बल्कि केजरीवाल समर्थको के फेसबुक वाल से लिए गए कमेंट्स थे मेरा उद्देश्य सिर्फ लेखक साहब को ये बताना था की आप एक तरफ़ा पक्ष लेकर जो कह रहे है की फेसबुक पर हिंदुवादियो द्वारा केजरीवाल को भद्दी भद्दी गलिय दी जा रही है केजरीवाल समर्थको ने तो अन्ना को भी गलिय देने से नहीं छोड़ा जिनका कुछ दिनों पहले तक गुणगान करते नहीं थकते थे उसी का थोडा सा नमूना मैंने पेश किया था फिर भी में माफ़ी चाहता हु ऐसे शब्दों के लिए

    परन्तु मेरे कई कमेंट्स में कोई भद्दापन नहीं था फिर सारे कमेन्ट क्यों हटाये गए है में उम्मीद करता हु की वो सारे कमेन्ट जो अश्लीलता को नहीं बल्कि केजरीवाल की अश्लियत को दिखाते है उन्हें आप वापिस यहाँ पोस्ट करेंगे
    धन्यवाद

      • जी धन्यवाद मेरा उद्देश्य भी ऐसी टिप्पणिया करना नहीं है बस एक झूठ को आइना दिखने की कोशिश थी

      • आपका बहुत बहुत साधुवाद, फेसबुक इन दिनों गालियों का ठिकाना बना हुआ है, जहां लोग अनर्गल भडास निकालते हैं

  9. https://navbharattimes.indiatimes.com/arvind-kejriwal-vs-digvijay-singh/articleshow/16898940.cms

    अपने तीखे सवालों से सत्ता पक्ष और विपक्ष की नींद हराम कर देने वाले केजरीवाल अब दिग्विजय सिंह सवाले के सामने चारों खाने चित नजर आ रहे हैं। दिग्विजय सिंह द्वारा 27 सवालों की लंबी फेहरिस्त भेजने के एक दिन बाद भी टीम केजरीवाल एक भी सवाल का जवाब देने को तैयार नहीं। टीम केजरीवाल का मानना है कि दिग्विजय सिंह को अगर इन सवालों के जवाब दिए गए, तो वह फिर नए सिरे सवाल पूछेंगे। साथ ही टीम केजरीवाल का यह भी कहना है कि दिग्विजय के सावलों में से एक भी सवाल देश से जुड़ा नहीं है, इसलिए जवाब देने की कोई जरूरत नहीं। यह सिर्फ दिग्विजय सिंह की एक चाल है। वह जनता को करप्शन के मुद्दे से भटकाना चाहते हैं। हालांकि, दिग्विजय के कई सवाल केजरीवाल से व्यक्तिगत हैं, लेकिन कुछ सवाल उनके आंदोलन और एनजीओ से भी जुड़े हैं।

    सवालों से घबराई टीम केजरीवाल!
    अपने तीखे सवालों से राजनीति के दिग्गजों को चारों खाने चित करने वाले वाले केजरीवाल पर दिग्गविजय सिंह के सवाल भारी पर रहे हैं। अपनी पादर्शिता की ढिंढोरा पीटने वाली टीम केजरीवाल दिग्विजय के सवालों पर लीपापोती करती नजर आ रही है। टीम केजरीवाल को लग रहा है कि अगर उन्होंने दिग्विजय के सवालों के जवाब दिए तो फंसने का डर है। उन्हें लग रहा है कि दिग्विजय ने पहले सबूतों को इक्ट्ठा किया है फिर सवाल दागे हैं।

    पीएम, सोनिया को खुली बहस की चुनौती
    [ जारी है ]

    दिग्विजय सिंह के सवालों पर अरविंद केजरीवाल ने पलटवार किया है। केजरीवाल ने कहा कि वह दिग्विजय के सवालों का तभी जबाव देंगे जब पहले उनके सवालों का जवाब मिले। केजरीवाल ने कहा है कि उन्होंने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से भी सवाल पूछे थे, पहले उन सवालों के जवाब मिलने चाहिए। केजरीवाल ने दिग्विजय को जनता के सामने तमाम सवालों पर बहस की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। उन्हें प्रधानमंत्री, सोनिया और राहुल को सार्वजनिक बहस के लिए जनता सामने लाना चाहिए। अगर दिग्विजय ऐसा नहीं पाएं तो कांग्रेस में रहने का उनका कोई मतलब नहीं।

    टीम केजरीवाल के अहम सदस्य संजय सिंह ने भी कहा है कि आम आदमी के सहारे सरकार चलती है। हमने 15 मंत्रियों से सवाल पूछे, लेकिन हमें एक भी सवाल का जवाब नहीं मिला। सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है तो उसे सामने आकर खुली बहस करना चाहिए। संजय सिंह ने कहा कि ऐसे में दोनों पक्ष एक दूसरे के सवाल का जवाब देंगे।

    दिग्विजय की विश्वनीयता नहीं!
    इस मामले पर टीम केजरीवाल के अहम सदस्य मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिग्विजय सिंह की विश्वसनीयता नहीं है। वह सिर्फ कांग्रेस परिवार को बचाने के लिए इस तरह की हरकत करते हैं। मनीष ने कहा कि क्या दिग्विजय सिंह ने कभी किसानों की जमीन हड़पने वाले रॉबर्ट वाड्रा से सवाल किया है? क्या उन्होंने कोयला घोटाले से जुड़े मामलों में किसी से सवाल पूछा है? दिग्विजय सिर्फ भ्रष्टाचार के मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने का काम करते हैं।

    जवाब तो मिलने चाहिए
    दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह का कहना है कि केजरीवाल को उनके सवालों के जवाब देने चाहिए। ये सवाल अहम हैं और देश से जुड़े हैं।

    कांग्रेस महासचिव दिग्विजय के कुछ सवाल इस प्रकार हैं:-
    क्या यह सच है कि 20 साल की आईआरएस की नौकरी के दौरान आपकी पोस्टिंग दिल्ली से बाहर नहीं हुई?
    क्या आपकी आईआरएस पत्नी का भी कभी दिल्ली से बाहर तबादला नहीं हुआ?
    आपने अपनी स्टडी लीव की रिपोर्ट सरकार को क्यों नहीं दी?
    आपके एनजीओ कबीर को फोर्ड फाउंडेशन से कितना पैसा मिला?
    इन पैसों का इस्तेमाल कहां किया गया?
    क्या इन पैसों का इस्तेमाल करप्शन को मिटाने के लिए किया गया?
    आपका एक बार चंडीगढ़ ट्रांसफर हुआ, लेकिन आपने जॉइन नहीं किया?
    क्या यह सच है कि चंडीगढ़ ट्रांसफर के बाद वीआरएस लेने की कोशिश की?
    क्या आपने नौकरी में रहते हुए एनजीओ बनाने के लिए सरकार से इजाजत मांगी थी?
    सरकारी नौकरी करते हुए विदेशी संस्था से पैसे लेने की इजाजत ली?
    आपकी कोर कमिटी के एक सदस्य ने 20 करोड़ रुपये की धांधली का आरोप लगाया, आपने इसका जवाब क्यों नहीं दिया?
    आप अमेरिकी एनजीओ आवाज के साथ रिश्तों का खुलासा करेंगे?

  10. अपने आप ही अपनी ईमानदारी का डंका पीटने वालों को सांप सूंघ गया है दिग्गी के सवालों पर…
    भैया सवाल है ही ऐसे की चड्डी भी उतर दें केजरीवाल एंड गैंग के……
    वैसे ये वही राजा हरिश्चंद्र हैं जो २० साल तक दिल्ली में ही डेरा डाले रहे.. एवं कहीं तबादला नहीं हुआ … आप लोग खुद ही देखिये की दिग्गी ने क्या गलत पुछा है.. माना की कांग्रेसी है परन्तु बात तो सही ही पुछा है इस बार….
    —————————————————————————–
    क्या यह सच है कि 20 साल की आईआरएस की नौकरी के दौरान आपकी पोस्टिंग दिल्ली से बाहर नहीं हुई?
    क्या आपकी आईआरएस पत्नी का भी कभी दिल्ली से बाहर तबादला नहीं हुआ?
    आपने अपनी स्टडी लीव की रिपोर्ट सरकार को क्यों नहीं दी?
    आपके एनजीओ कबीर को फोर्ड फाउंडेशन से कितना पैसा मिला?
    इन पैसों का इस्तेमाल कहां किया गया?
    क्या इन पैसों का इस्तेमाल करप्शन को मिटाने के लिए किया गया?
    आपका एक बार चंडीगढ़ ट्रांसफर हुआ, लेकिन आपने जॉइन नहीं किया?
    क्या यह सच है कि चंडीगढ़ ट्रांसफर के बाद वीआरएस लेने की कोशिश की?
    क्या आपने नौकरी में रहते हुए एनजीओ बनाने के लिए सरकार से इजाजत मांगी थी?
    सरकारी नौकरी करते हुए विदेशी संस्था से पैसे लेने की इजाजत ली?
    आपकी कोर कमिटी के एक सदस्य ने 20 करोड़ रुपये की धांधली का आरोप लगाया, आपने इसका जवाब क्यों नहीं दिया?
    आप अमेरिकी एनजीओ आवाज के साथ रिश्तों का खुलासा करें

  11. Real Face of Kejriwal & associates
    कुछ कूल ड्यूड , केजरीवाल का इतिहास बताते हुए लिख रहे हैं की उन महाशय ने IIT से बी टेक किया ,और फिर IRS बने और देश के लिए सब कुछ छोड़ दिया. मै उन लोगो को ध्यान दिला दू की हमारे देश के प्रधानमंत्री भी ऑक्सफ़ोर्ड से पढ़े है. सलमान खुर्सीद , पी चिताम्बरम ,कपिल सिब्बल भी वही से पढ़े है.
    यदि अच्छे जगह से पढ़ने और पद छोड़ने से ही आ
    दमी त्यागी बन जाए तो ये सब लोग भारत के सबसे त्यागी व्यक्ति रहे होते.
    यदि कोई व्यक्ति IRS की नौकरी छोड़कर करोडो रुपये का NGO चला रहा हो ,बीबी खुद IRS हो और उस तुच्छ तुलनात्मक त्याग के बदले भारत जैसे देश का प्रधान मंत्री बनाने का ख्वाब देखे तो यह त्याग नहीं शुद्ध लालच है. अतः ऐसे लालचियो के तथाकथित त्याग के आगे अंधभक्ति न करे .
    डॉ भूपेंद्र

  12. अब आते है ये भार्स्ताचारी कैसे है प्रसंत भूषण खुद स्टाम्प घोटाले का आरोपी है ही अब आते है केजरीवाल की भ्रष्ट निति और जनता के साथ किये गए घोटाले पर
    यहाँ पर वह दोनों लिंक दी हुई हैं, जिनसे केजरीवाल का यह ऐयाशी का बिल मिला है.

    https://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=4&HT1=%3FBIG-PIC%3D

    https://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=5&HT1=%3FBIG-PIC%3D

    जो लोग कहते हैं, कि अरविन्द केजरीवाल को अगर पैसा ही कमाना होता, तो वो राजनीति क्यों आता. वो तो वैसे भी अच्छे सरकारी फंड पर था.

    पर एक बार इस बिल पर ज़रूर नज़र डालें, जो केजरीवाल ने आंदोलन में आए चंदे के हिसाब के रूप में दिया है.

    पहले बिल में ९ लाख २९ हज़ार रुपये सैलरी के दिखाए हैं वही दूसरे बिल में १९ लाख ७८ हज़ार ८२५ रूपये सैलरी के लिए खर्च बताए हैं.
    ऐसी ही कई सारी गडबडियां इस बिल में आप देख सकते हैं. पर मेरा उद्देश्य यहाँ पर केवल इस बात को दिखाने का है, कि क्या यह आंदोलन जनता की हक की लड़ाई था या पैसे लेकर आंदोलनकारियों को बुलाया गया था?
    क्या अन्ना गैंग जो भी अनशन या नौटंकी कर रही थी, वो एक ‘पेड’ स्टंट थे?

    अगर आंदोलन भी पेड होते हैं, तो इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी, कि पैसे लेकर भी आंदोलन किये जाते हैं.

    कोई सफाई हो तो जरुर पेश कीजियेगा और आप अपने प्रिय केजरीवाल के सम्पर्क में हो तो उससे इस पर सफाई जरुर मांगिएगा

    आगे भी बहुत कुछ है मेरे पास जो सीधा केजरीवाल टीम के विरुद्द जाता है परन्तु इन पर सफाई दे फिर आगे की बात करते है

    धन्यवाद

  13. में मानता हु की भाजपा कोई कम भरष्ट नहीं परन्तु जिसका आप समर्थन कर रहे वो केवल भ्रष्ट ही नहीं बल्कि गद्दार भी है गद्दार का मतलब समझते है कैसे में बताता हु परसांत भूषण जैसे लोग कश्मीर को पाकिस्तान में विलय करना चाहते है ये आपको भी पता होगा और आप ये भी जानते होंगे की यही प्रसंत भूषण व् इसके कुछ साथी अफजल गुरु को निर्दोष व् उसकी सजा माफ़ करने की वकालत कर चुके है अब आते आपके प्रिय मानुष केजरीवाल पर जिसे भ्रष्ट राजनीती का मसीहा आपने कहा जो भार्स्ताचार व् अपराध मुक्त देश बनायेगे आप एक और गद्दार जामा मस्जिद का इमाम बुखारी को भी जानते होंगे जिसके खिलाफ भारत की दो सौ अदालतों से गिरफ्तारी के वारंट जारी है परन्तु वो अभी मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने छोड़ रखा है उसके तलवे चाटने ये केजरीवाल खुद जा चूका है और उसके कहने पर ११% मुस्लिम आरक्षण को भी समर्थन दे रहा है तो इसकी गद्दारी की बात आपको समझ में आ गई होगी कोई सफाई हो तो जरुर पेश कीजियेगा

    • भई वाह, कमाल है, केजरवाल के खिलाफ लेख हो तो लेखक कांग्रेस व भाजपा का पिट्ठू, भाजपा व कांग्रेस के खिलफ लिखें तो केजरवाल का पिट्ठू

  14. आगे क्यों अभी देखते है केजरीवाल समर्थको की शालीनता व् मर्यादा पूर्ण शैली का अजीब नमूना

    कल जैसे ही अन्ना हजारे ने केजरीवाल से अपने सम्बन्ध समाप्ति की घोषणा की और कहा की वो अब बाबा रामदेव के साथ नयी टीम बनायेंगे जिसमे केजरीवाल और उसके समर्थको के लिए कोई जगह नहीं होगी तभी मैं समझ गया आज बवाल जरुर होगा
    सवेरे मैंने कुछ (लगभग ८) केजरीवाल समर्थको के पेजों को देखा ….बड़ा दुःख लगा ये देखकर की वहां केजरीवाल समर्थको ने अन्ना हजारे की माँ बहन एक कर रखी थी
    वहां के कुछ कमेंट और विचार आपके सामने रखता हु
    ** केजरीवाल जी इमानदार है पर ये अन्ना तो भगोड़ा निकला
    ** अन्ना को बीजेपी वालो से खरीद लिया है
    ** क्या बे अन्ना सोनिया पे दिल आ गया क्या
    ** ये सब उस ठरकी बाबा रामदेव के कारण हुआ जो बीजेपी का दलाल है
    ** अन्ना ने बहुत बड़ी गलती कर दी ..एक तो इसे केजरीवाल जी ने मान सम्मान दिलाया और अब ये भाग रहा है
    ** आज सब अन्ना को केजरीवाल जी की वजह से जानता है वरना इस बूढ़े की औकात ही क्या है
    ** अन्ना को बीजेपी की लडकिय पसंद आ गयी लगता है या सोनिया जी ने रात को बुलाया होगा
    ** अन्ना भी साला फट्टू निकला ……केजरीवाल जी आप आगे बढ़ो हम साथ है
    ** आज जो केजरीवाल के साथ नहीं वो जरुर करप्ट होगा …मुझे तो इस अन्ना पे शुरू से ही शक था
    हा हा हा हा
    इसे कहते है गुठली चूस कर कचरे में फेक देना …कल तक जो अन्ना के गुण गाते थे आज वही केजरीवाल समर्थको ने अन्ना की धोती तक उतार दी ………………………
    खैर मुझे क्या मैं तो इसलिए खुश हु क्योकि हम मोदी समर्थक केजरीवाल समर्थको से लाख गुना अच्छे है .हमारा एक ही लक्ष्य है मोदी जी और सिर्फ मोदी जी
    जय जय सिया राम …………जय जय माँ भारती ………………..
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=459065497478383&set=a.113202735397996.19442.100001248102026&type=1&%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%8F%E0%A4%9F%E0%A4%B0

    माफ़ कीजियेगा ये मेरी भाषा शैली नहीं ये आप जैसे केजरीवाल समर्थको की ही है नितिन गडकरी पर बहुत आरोप लगाये थे और सबूत भी पेश किये थे क्या हुआ उन सबूतों का केजरीवाल ने अपने उसी मुह से ये क्यों कहा की मुझे भटकाया गया है

    • आपको गलतफहमी है, मै। किसी का समर्थक नहीं हूं, आपने मेरे सवाल को तो धुमा ही दिया, सच को स्वीकार करना सीखें महाशय

  15. अभी तक इस लेख को बहुत कम लोगों ने पढ़ा है,अतः आप उस तरह की टिप्पणी से बचे हुए हैं ,जो फेशबुक पर दिखाई पड़ रही है,.यहाँ भी ऐसा ही कुछ होने वाला है.जहां तक मैं समझता हूँ ,केजरीवाल ग्रुप जनता को यह साफ़ साफ़ बतला देना चाहता है किआज भारत की वर्तमान राजनैतिक दलों में कोई भी ऐसा नहीं है,जो भ्रष्टाचार मुक्त हो.बीजेपी के समर्थकों को पता नहीं यह गलतफहमी क्यों है कि जनता उनकी पार्टी को साफ सुथरी समझती है.हो सकता है कि कुछ लोगों को यह गलतफहमी रही भी हो तो अब तो सबको आईना दिखाया जा रहा है.दिग्विजय सिंह ने जब अरविन्द केरीवाल पर प्रश्न दागे तो उसने तो पलटवार कर दिया.अब दिग्विजय सिंह ने वाजपेई और अडवानी के सम्बन्धियों और बच्चों के बारे में कहा है कि उनलोगों के खिलाफ उसके पास पुख्ता सबूत हैं.देखे अडवानी जी या बीजेपी की इसके बारे में क्या प्रतिक्रिया आती है?अगर बीजेपी चुप रह जाता है तो केजरीवाल ग्रुप इसको एक अन्य प्रमाण के रूप में पेश करेगा,क्योंकि पहले बीजेपी ने उसके पास सबूत रहते हुए भी वाड्रा के कारनामों का पर्दाफाश नहीं किया था.

    • बेशक भाजपा को कांग्रेस से बेहतर माना जाता है, इसमें गलतफहमी की कोई बात ही नहीं है, रहा सवाल केजरीवाल का तो वे तो कहीं ठहरते ही नहीं, उनका वजूद ही क्या है एक राजनीतिक दल के रूप में, सारों को चोर कह देने मात्र से आप साहूकार थोडे हो जाते हैं, अजी आप तो जमीन से उगे भी नहीं हैं

      • मुझे समझ में नहीं आता कि आप कथित टिप्पाणियों से मुझे डरा रहे हैं क्या, कौन परवाह करता हैं

        • सही है कोन परवाह करता है कल केजरीवाल ने परवाह की तो आज आप करेंगे
          कल अरविन्द केजरीवाल ने अपने एक वक्तव्य में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई जी पर भ्रष्ट्राचार के आरोप लगाये …….मिडिया ने जल्द ही उसका प्रसारण बंद कर दिया ताकि केजरीवाल की छवि न बिगड़े ..लेकिन तब तक खबर आग की तरह फ़ैल चुकी थी
          शाम को करीब 4 बजे महासभा वालो ने केजरीवाल के विरोध में उसके घर के सामने प्रदर्शन किया तो केजरीवाल के समर्थको ने हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं से मारपीट की और उनके युवा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को जान से मारने की धमकी दी
          कल गाजियाबाद में एक प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल समर्थको ने अन्ना समर्थको से जम के धक्का मुक्की की
          कल ही एक प्रेस कांफ्रेंस में अरविन्द केजरीवाल ने अपने ऊपर लगे किसी भी सवाल का जवाब देने से साफ़ इनकार किया
          दिग्विजय सिंह के किसी भी सवाल का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है

          अब केजरीवाल की निति समझ में आ ही गयी होगी
          सिर्फ मैं बोलूँगा ,,,,,सब सुनेंगे ,सिर्फ मैं घर घेरुंगा किसी ने मेरे घर घेरा तो जान ले लूँगा …..मैं सब से सवाल पूछुंगा लेकिन मैं जवाब नहीं दूंगा
          सब चोर है यही कहूँगा ,,पर अपनी टीम की जांच नहीं करूँगा
          ठोकपाल जिंदाबाद

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