खुशिओं के दिन फिर आयेगे

 राकेश कुमार सिंह

मुसाफिर चलता जा,
कोशिस करता जा,
गम के बादल छट जायेगे,
खुशिओं के दिन फिर आयेंगे !
मंजिल जब मिल जायेगी !

मेहनत से इतिहास बदल दो,
दुनिया का आगाज बदल दो,
लहू से अपने सींच धरा को,
फिर से अपनी परवाज बदल दो,
खुशिओं के दिन फिर आयेगे !
मंजिल जब मिल जायेगी !

बन नयी क्रांति के नये उपाशक,
नव चेतना का बिगुल बजाकर,
गति हीन शिथिल जन जीवन में,
नव जागरण का अमृत भर दो,
खुशिओं के दिन फिर आयेगे !
मंजिल जब मिल जायेगी !

सास्वत सत्य यही हमेशा,
कर्म ही जीवन कर्म ही पूजा,
जीवन दर्शन कर्म समाहित,
कर्म ही हितकर कर्म प्रवाहित,
खुशिओं के दिन फिर आयेगे !
मंजिल जब मिल जायेगी !

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राकेश कुमार सिंह
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 15 फरवरी सन 1965 को हुआ। शिक्षा स्नातक पेशे से सिक्योरिटी ऑफिसर वाईएमसीए नई दिल्ली में कार्यरत शौकिया लेखन क्रॉउन पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संकलन *'यादें'* इपीफैनी पब्लिकेशन के द्वारा काव्य संग्रह *तुम्हारे बिना* और स्ट्रिंग पब्लिकेशन के द्वारा *सीपियाँ*और *काव्यमंजरी* प्रकाशित। (काव्य संकलन 120 सर्वश्रेष्ठ कविताएं *दिव्या* और 200 सर्वश्रेष्ठ शायरियां साझा संकलन में सहभागिता ऑनलाइन पत्रिकाओं जैसे प्रवक्ता.कॉम, अमर उजाला.कॉम, रिटको.कॉम, योर कोटस.कॉम पर हजारों रचनाएं प्रकाशित।

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