माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और संचार विश्वविधालय, भोपाल में 22 जनवरी को उर्दू पत्रकारिता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी ‘उर्दू पत्रकारिताः चुनौतियां और अपेक्षाएं’ में उर्दू पत्रकारिता के सामने क्या चुनौतियां हैं? वह किस तरह, स्वयं को संभालकर आज के समय को संबोधित करते हुए जनाकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती है, जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
इस बारे में बात करते हुए, विश्वविधालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने बताया, “आजादी के आंदोलन से लेकर, भारत के नव-निर्माण में उर्दू के पत्रकारों एवं उर्दू पत्रकारिता ने अपना योगदान देकर एक बड़ा मुकाम बनाया है। आज, जबकि देश की तमाम भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता प्रगति कर रही है और अपने पाठक वर्ग का निरंतर विस्तार कर रही है। उर्दू पत्रकारिता इस दौड़ में पिछड़ती दिख रही है। नए जमाने की चुनौतियों और अपनी उपयोगिता के हिसाब से ही भाषाएं अपनी जगह बनाती हैं। ऐसे में, उर्दू पत्रकारिता के सामने क्या चुनौतियां हैं? वह किस तरह, स्वयं को संभालकर आज के समय को संबोधित करते हुए, जनाकांक्षाओं की पूर्ति कर सकती है। इन प्रश्नों पर संवाद बहुत प्रासंगिक है।”
संगोष्ठी में देश के जाने-माने और सीनियर उर्दू जर्नलिस्ट सहित कई पत्रकारिता शिक्षक शामिल होने जा रहे हैं। इस संगोष्ठी को तीन भागों में बांटा गया है। पहले सत्र में, ‘उर्दू पत्रकारिता : चुनौतियां और अपेक्षाएं’। दूसरे सत्र में, ‘उर्दू पत्रकारिता की समस्याएं और समाधान’ और तीसरे सत्र में, ‘उर्दू पत्रकारिता शिक्षण की वर्तमान स्थिति और अपेक्षाएं’ पर चर्चा की जाएगी।