ऐसी दिवाली मनायें।।

0
177

तू दीया मै बाती ,दोनो इक दूजे के साथी
दोनो दृढ़ अपनी बातो पे, दोहरा चरित्र न आता
दीया सूना बाती बिन ,बाती सूनी कहलाये
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

बाती को दीये का सहारा, दीया को बाती है प्यारा
इक दूजे के साथ खड़े हों, प्यार हमेशा रहे हमारा
ऐसी प्रीत रहे अपनी कि, अंधियारा भी जल जाये
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

बाती दिये के साथ चले जब, तेल समर्पण का हो
अन्धकार में स्वच्छ दिखे, तन मन दर्पण सबका हो
तेल प्रेम का बाती में, ये दीया ही पहुचायें
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

बाती के रेशे रेशे में , तेल प्रेम का भर दो
दीये बाती में न अन्तर , हो ऐसा कुछ कर दो
दीया बाती तेल मिले सब, दीपक ही कहलाये
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

स्वर्ण रोशनी दीपक की , घर द्वार करे जग रोशन
दीये बाती आलिंगन से, प्रेम ज्योति हो अन्तर्मन
हुए समर्पित ऐसे जैसे, आपस में खो जायें
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

साथ रहें हैं साथ जलेंगे, चाहें आये आंधी
प्रेम का तेल बिके ना चाहें बिक जाये सोना चांदी
लौ धीमी बाती की हो, तो दीया घबरा जाये
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

तिमिर भ्रष्ट हो अहं नष्ट हो,उन्नति का भी पथ प्रशस्त हो
नेत्र मिलें चाहें वो व्यस्त हो,स्वच्छ छवि नयनों में मस्त हो
परहित में हम सदा जलें, दीपक ‘एहसास’ दिलाये
तू मुझमें मैं तुझमें देखूं, ऐसी दिवाली मनायें।।

  - अजय एहसास

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,855 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress