कविता

आओ हम दीप जलाएं

प्रभुनाथ शुक्ल

आओ हम एक दीप जलाएं!
मन का अँधियारा दूर भगाएं!!

आओ हम मन के दीप जलाएं!
तन के तम को हम दूर भगाएं!!

आओ हम एकता का दीप जलाएं!
दम्भ-कपट और छल-छीद्र भगाएं!!

आओ हम स्नेह का दीप जलाएं!
द्वेष-राग को मिल सब दूर भगाएं!!

आओ हम भाईचारे का दीप जलाएं!
नफरत की खड़ी वह दिवार गिराएं!!

आओ हम राष्ट्र प्रेम का दीप जलाएं!
मिल कर सब भारत की जय गाएं!!