मंदिर जैसी माँ

mother-child           सुबह खुद चार पर उठकर,
हमें माँ ने जगाया है|
कठिन प्रश्नों के हल क्या हैं,
बड़े ढंग से बताया है|

किताबें क्या रखें कितनी रखें,
हम आज बस्ते में,
सलीके से हमारे बेग को ,
माँ ने जमाया है|

बनाई चाय अदरक की,
परांठे भी बनाये हैं|
हमारे लंच पेकिट को,
करीने से सजाया है|

हमारे जन्म दिन पर आज खुद,
माँ ने बगीचे में|
बड़ा सुंदर सलोना सा ,
हरा पौधा लगाया है|

फरिश्तों ने धरा पर,
प्रेम करुणा और ममता को|
मिलाकर माँ सरीखा दिव्य,
एक मंदिर बनाया है|

Previous articleप्यार के बदलते मायने
Next articleमातृप्रेम की सत्य घटनाएँ
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,011 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress