बाबाअन्ना लाइव मीडिया पर सरकारी चाबुक

राजकुमार साहू
देश ,भ्रष्टाचार के बुखार से तप रहा है और आम जनता महंगाई की आग में जल रही है, मगर सरकार के कारिंदों को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि ऐसा नहीं होता तो वे इन घातक समस्याओं के मामले में माकूल कदम जरूर उठाते। बीते एक  दशक में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और इसकी आसमानी हवाईयां भी रूकने का नाम नहीं ले रहा है।,भ्रष्टाचार  की समस्या तो इस देश के लिए जैसे नासूर बनती जा रही है। वैसे तो देश में सफेदपोाभ्रश्टाचार की कोई कमी नहीं है, यह इस बात से भी पता चलता है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब कोई घूसखोर पकड़ा नहीं जाता। एक बात है कि बड़े सफेद्पोशियो का भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते कुछ भी बिगाड़ नहीं पाते। नतीजा यही होता है कि भारत में सफेद धन को विदोी बैंकों में काला धन बनाकर रखा जाता है और देश की अर्थव्यवस्था तारतार होती रहती है। देश की आधी से अधिक आबादी भूख से तड़पती है, दो जून की रोटी के लिए उन्हें त्राहीत्राही होनी पड़ती है, ऐसे में देश में एक वर्ग ऐसा बनता जा रहा है, जो एाोआराम की जिंदगी जी रहा है, भानोषौकत को छोड़िए, उल्टै देश में अरबखरबपतियों की नई जमात खड़ी हो रही है । कहने को तो, भारत में सर्वहितायबहुजन सुखाय की दि में कार्य किए जाने की बात, उंची इमारतों में रहने वालों द्वारा किया जाता है, मगर यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत में किस तरह आर्थिक असमानता ब़ती जा रही है ?
अब मुद्दे की बात करें तो बेहतर होगा। अभी पिछले छहसात दिनों से मीडिया में, देश में योगदक्षी बाबा रामदेव तथा समाजसेवी अन्ना हजारे के द्वारा काला धन और भ्रश्टाचार के खिलाफ किए जा रहे आंदोलन छाए हुए हैं।देश की हर जुबान पर इन्हीं मुद्दों की चर्चा है और मीडिया में हर आंखें इन्हीं खबरों को ूंढ रही हैं। मीडिया भी दार्कों के मर्म को पूरी तरह समझता है, तभी तो पिछले पांच दिनों तक न जाने कितनी बार ‘बाबा लाइव तथा अन्ना लाइव’ के अलावा ‘सरकारी हुक्मरानों का लाइव’ छाया रहा। इस बीच जिस तरह बाबा लाइव व अन्ना लाइव को जनता ने सिरआंखों पर लिया, उस तरह देश की अवाम ने सरकार के मंत्रियों की बेतुकी सफाई को कितने हल्के में लिए, यह इस बात से समझा जा सकता है कि 8 जून को अन्ना द्वारा राजघाट किए गए अनान में हजारों लोगों की स्वस्फूर्त उपस्थिति रही। यहां गौर करने वाली बात यह रही है कि किसी राजनीतिक पार्टी की रैली या सभा की तरह ‘बाबा या अन्ना’ के सत्याग्रहअनान में भीड़ जुटाए नहीं गए थे, बल्कि वे एक ऐसे मुद्दे के समर्थन में जुटे थे, जिससे भारत का हर अवाम त्रस्त है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि दिल्ली में जारी आंदोलन को देश भर में समर्थन तो मिल ही रहा है, साथ ही दिल्ली में दूसरे राज्यों से भी लोग आंदोलन में भामिल हो रहे हैं। इसी को बाबा रामदेव व अन्ना हजारे अपनी सबसे बड़ी जीत मान रहे हैं और लगातार काला धन व भ्रश्टाचार के खिलाफ हर स्तर पर लड़ने दंभ भर रहे हैं।
निचत ही बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन की आग में घी डालने का काम किया है, इलेक्ट्रानिक मीडिया का व्यापक कव्हरेज ने। जिस तरह लगातार कई दिनों से बाबा रामदेव तथा अन्ना हजारे मीडिया की टीआरपी का आधार स्तंभ बने हुए हैं। साथ ही मीडिया भी ‘बाबा लाइव तथा अन्ना लाइव॔ से अटा पड़ा दिखाई देता है। मीडिया में अनुमान से ज्यादा कव्हरेज दिखाने से केन्द्र सरकार की मुकिलें और ब़ी हैं, क्योंकि एक अरसे में अब तक ऐसे हालात कभी बने भी नहीं है। लिहाजा इसी का परिणाम रहा है कि इलेक्ट्रानिक चैनलों को सरकार की ओर से पत्र जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि बाबा रामदेव तथा अन्ना हजारे के आंदोलन का ‘लाइव कव्हरेज’ न करें। इसके अलावा इनके आंदोलन से जुड़े कुछ ऐसे मुद्दे को न दिखाएं, जिससे दो में स्थिति बिगड़े। यहां पर सवाल यही है कि क्या बाबा रामदेव की मांग जायज नहीं है ? क्या देश में काला धन वापस आना नहीं चाहिए ? क्या देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होना चाहिए ? ऐसे तमाम तरह के सवाल कई बरसों से खड़े हैं, जिनके जवाब पाने आम जनता भी बेचैन है, परंतु केन्द्र सरकार द्वारा इन मुद्दों पर हाथ ही खींचा जा रहा है। अब, जब काला धन तथा भ्रश्टाचार का मुद्दे को लेकर वृहद स्तर पर आंदोलन भाुरू हुआ है तो उसे सरकार द्वारा किसी न किसी तरह कुचलने की कोशिशकी जा रही है। इससे सरकार की छवि भी धूमिल होती जा रही है। इस बात को सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह तथा यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को समझने की जरूरत है, मगर अफसोस, इनकी ओर से जैसा जवाब आना चाहिए, वह नहीं आ सका।
सरकार ने 45 जून की दरमियानी रात रामलीला मैदान में जिस तरह दबंगई दिखाते हुए रात में ही हजारों लोगों को पुलिसिया हाथों से खदेड़ा। उसके बाद तो सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रनचिन्ह लगना स्वाभाविक था, क्योंकि केन्द्र की यही सरकार है, जो यह कहती है कि उसका हाथ, हर आम आदमी के साथ है। जब इस सरकार का हाथ आम आदमी के साथ है, तो फिर क्यों जनताहित के मुद्दों को दरकिनार किया जा रहा है। सरकार काला धन को वापस लाने तथा उन सफेदपोा चेहरों के नाम उजागर करने क्यों पीछे हट रही है ? यह बात भी जगजाहिर है कि अब तक केन्द्र में जितनी भी सरकार रही हैं, उनके कार्यकाल के मुकाबले इस यूपीए सरकार के दामन में ,भ्रष्टाचार  के ज्यादा धब्बे लगे हैं। भ्रश्टाचार के कारण यूपीए की सरकार, जनता की अदालत में पूरी तरह कटघरे में खड़ी है। बावजूद, खुद को पाकसाफ बताने के साथ,भ्रष्टाचार का बचाव करने, यह सरकार कोई गुरेज नहीं कर रही है। ऐसी सरकार को आने वाले चुनाव में जनता का करारा जवाब जरूर मिलेगा, क्योंकि मीडिया भी आम जनता के दर्द को सामने लाता है, उस पर भी सरकार, दंभी चाबुक चलाने हिचक नहीं रही है।

1 COMMENT

  1. मुझे लगता है की भ्रष्टाचार की लड़ाई में कहीं ना कहीं क्रेडिट लेने की होड लग गई है और strategy की कमी है , जिस से यह सारा महोले पैदा हो गया है, अगर सब लोग स्वार्थ छोड़ कर एक जुट हो कर भरष्टाचार की लडाई लडेंगे तो सफलता जरुर मेलेगी

Leave a Reply to SANJAY KUMARFARWAHA Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here