मनमोहन सिंह का सुराज चिंतन

1
254

विजय कुमार

15 अगस्त हमारा स्वाधीनता दिवस है। इस दिन प्रधानमंत्री महोदय लालकिले से भाषण देते हैं। इसमें वे देश और विदेश की नीति तथा अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते हैं। 

इस भाषण के बारे में चिंतन-मनन काफी पहले से होने लगता है। पिछले दिनों इसी चिंतन में डूबे मनमोहन जी को बैठे-बैठे झपकी लग गयी। उन्हें लगा मानो वे लालकिले से भाषण दे रहे हैं। उसके कुछ अंश आप भी सुनें। 

भाइयो और बहनो, जय हिन्द। 

आज हम आजादी की सालगिरह मना रहे हैं। कैसी हैरानी की बात है कि आप आजाद हैं; पर मैं नहीं। मुझे वही करना पड़ता है, जो मैडम जी कहती हैं। आपको पता ही है कि हमारे इस सर्कस (क्षमा करें मंत्रिमंडल) में कैसे-कैसे लोग भरे हैं ? मैं उनमें से कई को रखना नहीं चाहता; पर क्या करूं, एक तो मैडम, दूसरे राहुल बाबा और तीसरे गठबंधन की मजबूरियां। यानी करेला और नीम चढ़ा। इस चक्की में आपके साथ मैं भी पिस रहा हूं।

यह आजादी हमें महात्मा गांधी और उनके तीन बंदरों ने दिलाई। गांधी जी प्रायः स्वराज और सुराज की बात करते थे। मैं भी सुबह उठकर हर दिन इसके बारे में सोचता हूं। उनकी तरह मेरे जीवन का आदर्श भी ‘‘बुरा मत कहो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो’’ ही है। मैंने तय किया है कि मैं बुरा नहीं बोलूंगा। इसलिए मैं अपना मुंह बंद ही रखता हूं। पिछले दिनों मैं दांतों के ड१क्टर के पास गया, तो मुंह खोलना ही पड़ा। क्या करता, वहां भी मजबूरी ही थी।

यद्यपि मैडम जी ने कहा है कि मुझे कभी-कभी बोलना चाहिए। इससे सेहत ठीक रहती है। इसलिए पिछले दिनों मैंने पांच पत्रकारों के साथ बात की थी। मैंने तय किया है कि मैडम जी की खुशी के लिए मैं हर पांचवे महीने पांच पत्रकारों से मिलूंगा।

जहां तक बुरा देखने की बात है, मैंने यह भी बंद कर दिया है। राजा हो या सिब्बल, चिदम्बरम् हो या कलमाड़ी; मैंने किसी के काले कारनामे नहीं देखे। विरोधी दल वाले चाहे जो कहें; पर मेरा सबसे यह कहना है कि गांधी जी के अनुयायी बनें और बुरा न देखें।

मैं बुरा सुनने से भी दूर रहता हूं। भ्रष्टाचार कितना बुरा शब्द है। पिछले दिनों अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने पूरे देश में इसका प्रचार किया। मैंने कई बार कान पर हाथ रखे; पर फिर भी आवाज आती रही। इसलिए मैंने अन्ना को बहका लिया और और बाबा को भगा दिया। अब अन्ना फिर तैयार हो रहे हैं। मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि हम बुरी बात सुनने को बिल्कुल तैयार नहीं हैं।

कुछ लोग काले धन की बात करते हैं। यह काले-गोरे का भेदभाव अंग्रेजों की देन है। अब भारत स्वतंत्र है, इसलिए हम रंगों के इस भेदभाव को नहीं मानते। जहां तक स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा गुप्त धन की बात है, उसे लोग निकाल कर अन्य देशों में जमा करा रहे हैं। यह हमारी नीतियों का ही असर है।

प्यारे देशवासियो, गांधी जी का बहुत बड़ा भक्त होने के कारण मैं हर दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रणाम करता हूं। गांधीभक्ति का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा ? भारत में खानदानी लोकतंत्र नेहरू जी की देन है। इसलिए पिछले 65 साल से हम इस खानदान को सिर पर बैठाए है। इस बोझ से चाहे सिर टूटे या देश; पर हम उन्हें नीचे नहीं उतारेंगे।

पिछले दिनों कई गाड़ियां पटरी से उतर गयीं। इसका मुझे दुख है; पर जब पटरी से उतरी हुई मेरी सरकार को आप झेल रहे हैं, तो गाड़ियों को भी झेल लें। आप जानते ही हैं कि मेरी सरकार की तरह रेल मंत्रालय भी रिमोट से चलता है। मेरी सरकार का रिमोट दस जनपथ पर है, तो रेल मंत्रालय का कोलकाता में। जब गाड़ियां भी रिमोट से चलने लगेंगी, तब कोई दुर्घटना नहीं होगी।

इस बारे में मेरा यह भी कहना है कि आप हवाई जहाज या कार से सफर करें। इसीलिए हमने हवाई यात्रा सस्ती कर दी है। रेल में आरक्षण भले ही न मिले; पर हवाई जहाज में तुरंत मिलता है। राशन के लिए लाइन में लगना पड़ता है; पर आप इच्छा व्यक्त करें, तो कार बेचने वाले आपके घर के आगे लाइन लगा लेंगे।

मैं जानता हूं कि आप महंगाई से बहुत परेशान हैं। हमने इसके लिए एक भारी-भरकम मंत्री रखा हुआ है। वे इतने भारी हैं कि हम उन्हें हटा भी नहीं सकते। उन्होंने दूध, दाल, प्याज, टमाटर…जिस पर हाथ रखा, वही बाजार से गायब हो गया। कल मेरे पेट में दर्द था। मैंने उनसे कहा कि आप मेरे पेट पर हाथ रख दें। शायद इससे दर्द भी गायब हो जाए। इससे वे नाराज हो गये।

मुंबई के बम विस्फोट की चर्चा करने से कोई फायदा नहीं है। उन्हें रोकना न आपके बस में है न मेरे। इसलिए ऐसे कामों के बाद बयान देने की जिम्मेदारी हमने अपने सब बड़े नेताओं को दे रखी है। वैसे हर बार की तरह इस बार भी हमने पाकिस्तान से विरोध प्रकट कर दिया है और अमरीका से शिकायत कर दी है।

भाइयो, अपनी प्रशंसा अपने मुंह से करना अच्छा नहीं लगता; पर आज नहीं बोलूंगा, तो फिर कब बोलूंगा। पता नहीं अगली बार बोलने का मौका मिले या नहीं ? आप तो देख ही रहे हैं कि हमारे खिलाड़ियों ने गुलामंडल खेल में कितना अच्छा प्रदर्शन किया है। यह बात दूसरी है कि सबसे बड़े खिलाड़ी दौड़ते हुए जेल में पहुंच गये हैं। इससे अच्छा सुराज और क्या होगा ?

मैंने टी.वी. पर देखा है कि गांवो में लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता। मेरी सरकार ने बोतलबंद पानी हर शहर तक तो पहुंचा ही दिया है, अगले कुछ साल में वह गांव तक भी पहुंचने लगेगा। इन दिनों राशन भले ही महंगा हो; पर हमने मोबाइल फोन सस्ते कर दिये हैं। भूखे पेट मोबाइल पर संगीत सुनें और मस्त रहें।

इसके बाद भी सुराज के आने में जो कमी बाकी हैं, वो आप हमें बतायें। हमारा पक्का संकल्प है कि मैडम जी और राहुल बाबा के नेतृत्व में हम उन्हें भी लाकर रहेंगे। भले ही आज आये या पचास साल बाद; भले ही हम और आप न रहें; देश में न मिला, तो विदेश से लाएंगे; पर सुराज लाएंगे जरूर।

यह चिंतन शायद आगे भी चलता; पर तभी न जाने कहां से मैडम जी का फोन आ गया और वे व्यस्त हो गये। इसलिए बाकी भाषण फिर कभी।

1 COMMENT

  1. वाह वाह विजय कुमार जी
    भारी भरकम लेख पढ़ते पढ़ते सिर चकराने लगा था लिखते रहिये

Leave a Reply to Satyarthi Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here