गजल

खून के कई रिश्ते खून के ही प्यासे हैं…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

मुश्किलों में लोगों को खूब आज़माते हैं,

जो खरे उतरते हैं दोस्त बन जाते हैं।

 

जैसे छोटे बच्चे हैं कुछ भी जानते ही नहीं,

यूं सफ़ाई देते हैं कि रहनुमा लड़ाते हैं।

 

क्या क़लम की ताक़त है तानाशाहों से पूछो,

आप बेवजह हमको तोप से डराते हैं ।

 

तुम हमारे अपने हो इसलिये है हमदर्दी,

ये ही सोचकर तुमको आईना दिखाते हैं ।

 

राज में बड़ा होना आजकल मुसीबत है,

छोटे दल इशारों पर आयेदिन नचाते हैं।

 

खून के कई रिश्ते खून के ही प्यासे हैं,

क्या बुरे पड़ौसी हैं साथ जो निभाते हैं।

 

तहज़ीब ओ तमुद्दुन के मिलिये ठेकेदारों से,

ये ही लोग जैक्सन को देश में नचाते हैं।

 

हमको कौन भूलेगा उनको कौन जानेगा,

हम ग़ज़ल को कहते हैं वो ग़ज़ल सुनाते हैं।।

 

नोट-आज़मानाः परखना, रहनुमाः नेता, राजः सरकार, तमुद्दुनः संस्कृति