बच्चों का पन्ना

माल खाऒ

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चुहिया रानी रोज बनाती,
लौकी की तरकारी|
कहती है इसके खाने से,
दूर हटे बीमारी|

पर चूहे को बीमारों का,
भोजन नहीं सुहाता|
कुतर कुतर कर आलू गोभी,
बड़े प्रेम से खाता|

उल्टी सीधी सीख जमाने,
की न उसको भाती|
झूठ कभी न बोला करता,
सच्ची बात सुहाती|

बजा बजा डुगडुगी रोज वह,
लोगों को बुलवाता|
बड़े प्रेम से यही बात फिर,
सबको ही समझाता|

बढिया भोजन करने से ही,
हटती हर लाचारी,
माल खाओ और मस्त रहो
कहती दुनिया दारी|