वैश्विक स्पेस एक्सप्लोरेश में बड़ा कदम है-मिशन एक्सिओम-4 

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत निरंतर अपने झंडे गाड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित वाणिज्यिक मिशन एक्सिओम-4 के जरिये भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचना भारत के ‘नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम’ के लिए संभावनाओं का एक नया द्वार है। कितनी बड़ी बात है कि शुभांशु दुनिया के 634वें अंतरिक्ष यात्री बनें हैं।सच तो यह है कि शुभांशु शुक्ला की यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर है। वास्तव में, यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत निरंतर अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी तकनीकी प्रगति, मेहनत और लगन का प्रमाण पूरे विश्व को दे रहा है और भारत ने विश्व के समक्ष यह साबित कर दिया है कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में धीरे- धीरे सिरमौर बनने के कगार पर है। सच तो यह है कि आने वाले समय में भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई शक्ति बनकर उभरेगा जहां वह विश्व के अन्य देशों का नेतृत्व करता दिखेगा। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में एक्सिओम-4 के जरिए भारत ने संपूर्ण विश्व को एक नया संदेश दिया है। गौरतलब है कि शुभांशु शुक्ला और चालक दल को लेकर एक्सिओम-4 मिशन 25 जून को कैनेडी स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।  गौरतलब है कि इस मिशन में एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग किया गया है। इसरो, निजी क्षेत्र और वैश्विक सहयोग के समन्वय से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं को साबित करते हुए भारत को एक नई पहचान दिलाई है। गौरतलब है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारत के इसरो के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया, जो अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो शुभांशु आइएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय है। पाठक जानते होंगे कि 41 साल पहले वर्ष 1984 में राकेश शर्मा ने तत्कालीन सोवियत संघ के यान(सोयूज) से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। ग्रुप कैप्टन शुभांशु ने अंतरिक्ष से नमस्कार किया और इस प्रकार से उन्होंने नया इतिहास रच दिया।शुभ्रांशु अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में कदम रखने वाले पहले भारतीय हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार अंतरिक्ष में 60 प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से 12 में कैप्टन शुभांशु शामिल होंगे, निश्चित ही यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। वैसे शुक्ला भारत द्वारा संचालित सात प्रयोग करेंगे, जिनमें बीज, शैवाल और सूक्ष्मगुरुत्व में मानव शरीरक्रिया विज्ञान पर कार्य शामिल है। गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य साथियों को लेकर रवाना हुआ अंतरिक्ष यान(एक्सिओम-4) 28 घंटे के सफर के बाद 4.02 बजे आइएसएस से जुड़ा। डॉकिंग की प्रक्रिया 4.16 बजे तक पूरी हुई। आइएसएस का हैच खोलने की प्रक्रिया में पौने 2 घंटे लगे और गुरूवार 26 जून 2025 को 6 बजे चारों अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में पहुंच गए। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि कैप्टन शुक्ला के साथ मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन (अमरीका), मिशन विशेषज्ञ तिबोर कापू (हंगरी) और पोलैंड के स्लावोज उज्नानस्की विज्मिव्सकी भी आइएसएस पहुंचे हैं। इन चारों एस्ट्रोनॉट के स्पेस स्टेशन पर पहुंचते ही वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने उनका गले लगाकर स्वागत किया और वेलकम ड्रिंक दिया। शुभांशु ने जब अंतरिक्ष से संदेश दिया कि-‘ बच्चे की तरह स्टेप लेना सीख रहा हूं…।’ उन्होंने अपने संदेश में कहा-‘ नमस्ते… फ्रॉम स्पेस ! मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर बहुत उत्साहित हूं। सच कहूं तो, जब में कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था। 30 दिन के क्वारंटाइन के बाद, मैं बस यही चाहता था कि अब चल पड़े। लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो ऐसा लगा जैसे आपको सीट में पीछे धकेला जा रहा हो। यह एक अद्भुत राइड थी.. और फिर सब कुछ शांत हो गया। आपने बेल्ट खोली और आप वैक्यूम की शांति में तैर रहे थे।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि उनका यह संदेश जानकर 140 करोड़ से अधिक देशवासियों की बांछें खिल उठी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वे 14 दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे, जैसा कि उन्होंने यह बात कही है कि , ‘अगले 14 दिन विज्ञान और अनुसंधान को आगे बढ़ाने में अद्भुत होंगे।’ बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि राकेश शर्मा के अलावा अभी तक भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्रियों की यदि हम बात करें तो इनमें कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स शामिल रहीं हैं। पाठकों को बताता चलूं कि कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय अमरीकी महिला (वर्ष 1997 और वर्ष 2003 में की अंतरिक्ष यात्रा) तथा सुनीता विलियम्स आइएसएस अभियान में हिस्सा लेने वाली भारतीय मूल की यात्री (वर्ष 2006, 2012 और वर्ष 2024 में यात्रा) रहीं हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित इस चौथे मिशन में भारत की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत अब केवल लॉन्च वाहन या सैटेलाइट निर्माण तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों(इंटरनेशनल मेन्ड स्पेस मिशन्स) में सक्रिय भागीदार बनने की ओर भी बढ़ चुका है। पाठकों को बताता चलूं कि एक्सिओम-4 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है। इसमें मानव स्वास्थ्य, माइक्रोग्रैविटी और जैविक प्रणालियों पर शोध, साथ ही जीवन के लिए जरूरी प्रणालियों का परीक्षण और मेडिकल स्टडी करना शामिल है। वास्तव में इस मिशन का उद्देश्य व्यवसाय और अनुसंधान के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में कमर्शियल अंतरिक्ष स्टेशनों की व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना भी है। इसके अलावा, एक्स-4 का उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। जैसा कि ऊपर जानकारी दे चुका हूं कि इस मिशन में कई देशों के अंतरराष्ट्रीय क्रू मेंबर शामिल किया गया है। यह कमर्शियल और वैश्विक अंतरिक्ष(स्पेस) एक्सप्लोरेशन(अन्वेषण)में एक बड़ा कदम है। इससे कमर्शियल अंतरिक्ष मिशनों और साझेदारियों को बढ़ावा मिलेगा। वास्तव में, कैप्टन शुभांशु की यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो संभवतया: साल 2027 में भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन( ह्यूमन स्पेस मिशन) होगा। निश्चित ही इस मिशन से देश के युवाओं और वैज्ञानिकों को नवीन प्रेरणा और प्रोत्साहन मिल सकेगा। कहना ग़लत नहीं होगा कि पृथ्वी की कक्षा में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) में शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष प्रवास ऐसी रिसर्च स्टडीज से जुड़ा है, जो पूरी मानवता के लिए उपयोगी होंगे। वास्तव में इस मिशन से अंतरिक्ष स्टार्टअप परिदृश्य को नई ऊर्जा मिल सकेगी। भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में निरंतर उत्तरोत्तर विकास और प्रगति के आयामों को छू रहा है और भारत का अपने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह पर पहुंचना, एक ही मिशन में सौ से ज्यादा उपग्रहों को लॉन्च करना, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बनना, सूर्य के अध्ययन के लिए देश का पहला ऑब्जर्वेशन मिशन आदित्य एल-1में कामयाबी हासिल करना इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। यहां पाठकों को बताता चलूं कि पिछले दस सालों में करीब 400 उपग्रहों को लॉन्च करने के बाद भारत वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष में अपने स्टेशन की स्थापना के साथ ही साथ वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर अपना पहला अंतरिक्ष यात्री भेजने की योजना बना रहा है, यह भारत की अंतरिक्ष ऊंचाइयों को दिखाता है। इतना ही नहीं, इसरो के विभिन्न अंतरिक्ष कार्यक्रमों और अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश से समाज और देश को अभूतपूर्व लाभ हुए हैं।नोवास्पेस की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2014 और 2024 के बीच भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिये 60 बिलियन अमरीकी डॉलर उत्पन्न किये हैं, 4.7 मिलियन रोज़गार उत्पन्न किये और कर राजस्व में 24 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान दिया है। पाठकों को बताता चलूं कि इसरो विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है और इसके लॉन्च मिशनों की सफलता दर बहुत अधिक रही है, यह हमारे वैज्ञानिकों की अथक मेहनत और प्रयासों का फल है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 तक भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग 6,700 करोड़ रुपए (8.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) हो गया है, जो वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 2%-3% का योगदान देता है, जिसके वर्ष 2025 तक 6% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि (सीएजीआर) के साथ 13 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के अगले कुछ वर्षों में पांच गुना बढ़कर 44 अरब डॉलर तक पहुंचने के अनुमान हैं।अंत में यही कहूंगा कि वाणिज्यिक मिशन एक्सिओम-4 निश्चित ही भारत के अंतरिक्ष महाशक्ति बनने की दिशा में एक सशक्त, शानदार कदम है।

सुनील कुमार महला

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